मनुस्मृति दहन दिवस की ऐतिहासिक प्रासंगिकता
25 दिसम्बर को मनुसमृति दहन दिवस भी देश में आजकल मनाया जाने लगा है और सोशल मीडिया के प्रचलन के साथ साथ यह भी कुछ लोगों के लिए पर्व के रूप में अब देखा जाने… मनुस्मृति दहन दिवस की ऐतिहासिक प्रासंगिकता
25 दिसम्बर को मनुसमृति दहन दिवस भी देश में आजकल मनाया जाने लगा है और सोशल मीडिया के प्रचलन के साथ साथ यह भी कुछ लोगों के लिए पर्व के रूप में अब देखा जाने… मनुस्मृति दहन दिवस की ऐतिहासिक प्रासंगिकता
साल 1976-77 में डॉ ब्रज बसी लाल जी जो आर्कियो लॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया में बड़े पद पर थे ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर खुदाई प्रारंभ की। उनकी टीम में कई युवा आर्कियोलोजी वाले… भगवान श्रीराम मंदिर जी के निर्माण में श्री के के मुहम्मद जी का योगदान
श्रीमान वीरेंद्र गोयाल जी इंदौर में रहने वाले एक उद्योगपति हैं और इनका मूल निवास हरियाणा के हिसार जिले के गाँव तलवंडी रुक्का से है। ये लम्बे समय से इंदौर में रहते हैं और इनका… श्रीमान वीरेंद्र गोयल जी द्वारा प्रदत जीवन सूत्र
कितना बड़ा दर्द रै रामफल भाई आजकल वा छोरी भी अंग्रेजी गाणे सुण सै जुणसी अंग्रेज़ी के पेपर मैं मेरे पै पर्ची मांगया करदी डाक्टर की हाजिर जवाबी एक बै एक आदमी डॉक्टर धोरे जा… हरियाणवी देसी चुटकले
न्याय किसी भी सभ्यता की नींव होता है। भारत में जिस सभ्यता को फिलहाल हम जी रहे हैं उसमें बसने वाले बाशिंदों को जब जब न्याय की आवश्यकता पड़ती है तो वो अपनी जरूरत और… न्याय कानून मर्यादा और हम
मोबाइल रिचार्ज वर्सेज सुथरा ब्याह एक बार की बात जब ये जिओ आया ना था और मोबाइल के रिचार्ज बहुत महंगे होया करदे। एक खपीटर के न्यू जच गयी अक तेरा ब्याह तो बस फेसबुक… खपीटरों के किस्से कहानियां
माँ बोली आजकल ऐसा शब्द है जिसको हथियार बना कर देश में जनता को काटने बाँटने का काम कई जगह चल रहा है। माँ बोली के पैरोकार राज्यों को ऐसा चाहते हैं कि उनमें बस… माँ बोली के मसले और समाधान
गणित में निल बटे सन्नाटा रहने के बावजूद मेरी इंजिनीयरिंग में रुचि बराबर बनी रही मैंने ऐसे दोस्त ढूंढ लिए जो दीवार की चिनाई करने से लेकर रेडियो स्टेशन को सूट केस में पैक करके… रोजमर्रा के मसले और उनके संभावित समाधान
शिक्षा कभी शेरनी का दूध हुआ करती थी। जब गुरुजनों से विद्या दान में मिला करती थी। जिसे पी कर जीव दहाड़ने लगता था लेकिन अब आजकल ये रींगता हुआ जमाना इस बात का गवाह… शेरनी का दूध
कल देर शाम अजय गोदारा भाई जी के साथ चाय पर बैठा था तो इन्होंने किसी रेफरेंस में एक किस्सा सुनाया ठेठ बागड़ी बोली में। एक बार की बात है एक लाला जी अपने पोते… लाला जी का बदला