Creative News Bulletin 12 January 2022

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गोल्डन लेटर बॉक्स

भारतीय डाक विभाग ने अपनी रचनात्मकता का परिचय देते हुए ओलिंपिक गोल्ड मैडल विजेता नीरज चोपड़ा के गाँव खंडरा में घर से कुछ दूरी पर एक बड़ा लेटर बॉक्स लगाया है जिसे सुनहरी (गोल्डन) रंग में रंगा गया है । गोल्डन लेटर बॉक्स लगाने की योजना के पीछे विचार यह है कि ओलिंपिक गोल्ड विजेता के मान सम्मान के साथ डाक विभाग ने अपनी पहचान जोड़ी है ताकि नीरज की उपलब्धियों से न सिर्फ गाँव के सभी युवाओं को अपितु देश के सभी युवाओं को प्रेरणा मिले और उन्हें इस बात का एहसास हो कि डाक विभाग जैसा बड़ा इदारा गोल्ड मेडेलिस्ट के सम्मान में अपनी परिपाटी बदल सकता है । क्यूंकि पूरे देश में डाक विभाग के लेटर बॉक्स का रंग गहरा लाल होता है । इस लेटर बॉक्स का उदघाटन हरियाणा सर्कल के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल रणजीत सिंह जी ने किया है और डाक विभाग ने नीरज के नाम से एक स्पेशल कवर भी जारी किया है।

सहकारी समितियां अब उपलब्ध करवाएंगी कारपेंटर और प्लम्बर

मध्यप्रदेश का सहकारी विभाग एक नया नवाचार करने जा रहा है जिसके तहत हरेक जिले में एक सहकारी सेवा प्रदाता समिति का गठन किया जाएगा जिसमें स्थानीय कारपेंटरों , पलम्बरों और अन्य सेवाएँ जैसे इलेक्ट्रिशियन आदि को पंजीकृत किया जाएगा और ये सेवा प्रदाता सहकारी समितियां राज्य सरकार द्वारा तयशुदा रेट पर नागरिकों को सेवाएँ उपलब्ध करवाएंगी इससे उपभोक्ताओं को एक ही जगह पर सारी सेवाएँ मिल जाएँगी और जवाबदेही भी तय हो जाएगी।

आमतौर पर अक्सर यह शिकायत आती है कि इस तरह के सेवा प्रदाता या तो अच्छे से प्रशिक्षित नही होते हैं और उनकी पहचान भी सुनिश्चित ना होने के कारण लोग उन्हें घरों में बुलाने में कतराते हैं । राज्य सरकार द्वारा जिला स्तर पर बनाई गयी सहाकरी सेवा प्रदाता समिति में जहाँ एक और सभी सेवा प्रदाता तकनीकी रूप से प्रशिक्षित होंगे वहीं दूसरी और उनकी शुल्क दरें भी मनमानी नही होंगी वे भी राज्यसरकार के द्वारा तय की जाएँगी ।

हरेक जिले में सेवा प्रदाता सहकारी अपना एक नम्बर जारी करेगी जहाँ से सेवाएँ लेने और फीडबैक हेतु सम्पर्क किया जा सकेगा बाद में सभी जिलों की सेवा प्रदाता सहकारी समितियों को मिला कर राज्य स्तर पर एक महासंघ भी बनाया जाएगा जिससे राज्य स्तर पर भी राज्य सरकार के साथ मिलकर सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं के मध्य एक समन्वय कायम किया जा सके।

अभी तक सहकारी समितियां ज्यादातर कृषि आधारित उद्योग धंधों पर ही फोकस करती आई हैं जिसकी वजह से सेवा क्षेत्र में पैदा हुये अवसरों का लाभ उनतक नही पहुँच सका है अर्बन क्लैप जैसे मोबाइल ऐप्प्स ने शहरों में प्लंबरों और कारपेंटर्स को ओर्गानाईज करके इस तरह की सेवाएँ देने की शुरुआत की है जो कि बेहद कामयाब रही है।

शिक्षा उड़ान नाम की स्कूल बिल्डिंग देगी कल्पनाओं को उड़ान

बिहार के समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीननगर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, सिवैसिंहपुर की मुख्य इमारत के ऊपर एक कक्ष को हवाई जहाज के आकार में बनाया गया है। इसमें एक पुस्तकालय की व्यवस्था की गयी है। इसे ‘शिक्षा उड़ान’ नाम दिया गया है। भवन के बाहर और अंदर की बनावट व सजावट ऐसी है कि बैठने वाले को हवाई जहाज की अनुभूति हो सके। भवन निर्माण में रनवे, पहिया, खिड़की, काकपिट विंडो आदि का ख्याल रखा गया है।

इस भवन को बनाने वाले स्कूल के प्राध्यापक श्रीमान मेघन साहनी जी बताते हैं कि सन 2017 में इसी स्कूल में एक शिक्षा एक्सप्रेस नामक प्रयोग किया गया था जिसमें स्कूल बिल्डिंग को एक रेलगाड़ी के आकर में पेंट किया गया था और स्कूल के बच्चों ने इसे बहुत पसंद किया था।

‘शिक्षा उड़ान’ में 40 बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं। प्रधानाध्यापक बताते हैं कि निर्माण में करीब दो लाख रुपये लगे हैं। इसे लोगों के सहयोग से जुटाया गया था। निर्माण स्थानीय मिस्त्री को डिजाइन बताकर कराया गया। इसे बनाने में तीन महीने लगे। पुस्तकालय में पाठ्यक्रम के अलावा साहित्यिक, महापुरुषों की जीवनी व इतिहास की करीब एक हजार पुस्तकें हैं। बच्चों लिए सामान्य ज्ञान, पुस्तकें हैं। बच्चों के लिए सामान्य ज्ञान, समाचार पत्र और विभिन्न प्रतियोगिताओं से संबंधित पुस्तकें भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे बच्चे देश-दुनिया के तमाम घटनाक्रम से अवगत हो सकेंगे।

भूल ना जाना अपने टिन टिन को

साल 1929 में मशहूर कार्टून कैरेक्टर टिनटिन जन्म हुआ था। टिनटिन सबसे पहले बेल्जियम के अखबार में नजर आया था और उसकी कार्टून सीरीज का नाम था ‘द एडवेंचर ऑफ टिनटिन’। दुनिया में टिनटिन की कॉमिक्स की 35 करोड़ से ज्यादा कॉपियां बिक चुकी हैं और 100 से ज्यादा भाषाओं में उनका अनुवाद हो चुका है।

टिनटिन कैरेक्टर को बेल्जियम के कार्टूनिस्ट जॉर्जिस रेमी ने बनाया था। जॉर्जिस को हर्जे नाम से भी जाना जाता है। जॉर्जिस की कॉमिक्स में टिनटिन दुनिया के अलग-अलग देशों में दौरा करके उनके रहस्यों को सुलझाता है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि जॉर्जिस रेमी ने कभी भी उन देशों का दौरा नहीं किया था, जहां टिनटिन कॉमिक्स में जाता था।

टिनटिन के साथ एक डॉग भी रहता था, जिसका नाम स्नोवी था । टिनटिन के ऊपर कई फिल्में भी बनी हैं। इनमें से पांच फिल्में जॉर्जिस के जीवित रहते रिलीज हुई थीं। 1983 में जॉर्जिस की मौत हो गई। उनकी आखिरी इच्छा थी कि उनकी मौत के बाद कोई दूसरा आर्टिस्ट टिनटिन पर कॉमिक्स न बनाए । टिनटिन पर कुल 24 कॉमिक्स छपी हैं। आखिरी कॉमिक्स 1986 में आई थी।  भूल मत जाना अपने टिन टिन को।

मिलिए मार्केटिंग गुरु दीपक अग्रवाल से

मार्केटिंग एक टेढा फील्ड है और दुनिया में शुरू होने वाले 90% बिजनेस मार्केटिंग सही ना हो पाने की वजह से फेल हो जाते हैं। हरकोई व्यक्ति इस क्षेत्र में हाथ आजमाने की हिम्मत भी नही करपाता है क्यूंकि इस फील्ड में अपने आप से उपर उठ कर न सिर्फ सोचना पड़ता है अपितु काम भी करना पड़ता है।

दीपक अग्रवाल जी एक ऐसे सज्जन हैं जिन्हें देश में मार्केटिंग गुरु के नाम से आज जाना जाता है। दीपक ने जीवन में कुछ नया आजमाने से पहले सोचा कि इससे पहले कि वे अपने सपने को आगे लेकर जाएँ उन्हें एक स्थिर करियर की जरूरत थी। उसे पाने के लिए उन्होंने पहले अपनी शिक्षा पूरी की और 2011 में चार्टर्ड अकाउंटेंट बन गए।

उन्होंने एर्स्ट एंड यंग कंपनी में इंटर्नशिप की और सी.ए. बनने के बाद उन्होंने एक साल और वहां काम भी किया। एक साल तक काम करने के बाद दीपक ने 2011 में अपना खुद का बिजनेस शुरू किया। उन्होंने अपने जुनून के साथ जाना तय किया और 2013 में ओनेक्स सोलूशन्स की शुरूआत की।

कोलकाता में जन्मे और सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़े दीपक अपनी कंपनी के बारे में बताया ‘ओनेक्स सोलूशन्स प्राइवेट लिमिटेड एक युवा कंपनी है, जिसने डिजिटल मार्केट में अपनी छाप छोड़ी है। हमने ग्राहकों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए नई टेक्नोलॉजी, रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक विशेषज्ञता के साथ प्रोडक्ट ब्रांडिंग में सुधार किया है और मोबाइल मार्केटिंग के तहत सेवा प्रदान करते हैं।

हम कुछ राष्ट्रीय ब्रांड्स जैसे ओला कैब, शॉपर्स स्टॉप, एशियन पेंट्स, के.एफ.सी., टेक महिंद्रा के साथ काम कर रहे हैं। उनकी कंपनी ओनेक्स सॉल्यूशंस स्वयं के म्यूच्यूअल फंड बचत के पैसों से शुरू की तब तक जब तक कि कैश फ्लो शुरू न हो गया ।

उतार-चढ़ाव के बावजूद उनका संघर्ष जारी था पर भाग्य ने तब करवट ली जब जीवन साथी के रूप में उन्हें एक सी.ए. पत्नी मिली। उन्होंने डायरेक्टर एकाउंट्स का रोल अपने हाथ में ले लिया। आज उनकी कंपनी में 18 कर्मचारी हैं और उनका ऑफिस कोलकाता, मुंबई, एनसीआर और दिल्ली में स्थित है।

इस साल उनकी कंपनी का रेवेन्यू लगभग 3 से साढ़े 3 करोड़ तक होने की सम्भावना है। हमेशा कुछ नया करते रहने से और अपने काम के प्रति ईमानदार होने से उन्हें ऊर्जा प्राप्त होती है। उनका बिजनेस फ्रेंचाइजी के जरिये फैल रहा है। उनका बिजनेस बड़ोदा और गुवाहाटी में भी बढ़ रहा है।