91 वर्ष के लाल बाबा
91 वर्ष के लाल बाबा 35 मिनट में पूरी करते हैं परिक्रमा और करीब 20 साल से भोजन का त्याग कर रखा है।
सनातन धर्म में संतों का त्याग और समर्पण अविस्मरणीय है। बहुत से संतो ने अपना पूरा जीवन ही लोक कल्याण के लिए अर्पित कर दिया।
वृंदावन में भी ऐसे हैं लाल बाबा, जिनका पूरा जीवन ही लोक कल्याण के लिए है। लोगों के कल्याण के लिए कठोर साधना, तपस्या करते हैं। कालीदह के निकट यमुना जी के किनारे एक मंदिर में लाल बाबा जी रहते हैं।
40 वर्ष से अधिक समय से वो वृंदावन की परिक्रमा लगाते हैं, करीब 15 किलोमीटर की यह परिक्रमा वह लगातार दौड़ के 35 मिनट में ही पूरी कर लेते हैं, जबकि अमूमन लोग इस परिक्रमा को 2घण्टे से 2:45 घंटे में पूरी करते हैं।
मगर लाल बाबा की दौड़ इतनी तीव्र गति से है कि वह मात्र 35 मिनट में यह परिक्रमा पूरी कर लेते हैं। परिक्रमा के समय बाबा के हाथ में त्रिशूल होता है और धूपबत्ती होती है, जो पूरी मार्ग को सुगंधित कर देती है। परिक्रमा मार्ग में जो भी मंदिर पड़ते हैं वहां पर शीश झुकाना नहीं भूलते हैं।
चामुंडा देवी मंदिर में तो वह बाकायदा पूजा अर्चन भी करते हैं। बाबा जी सुबह 5:30 बजे के करीब जब मंदिर में पहुंचते हैं तो भक्तगण भी स्थान छोड़ देते हैं। बाबा जी को देखकर मंदिर के द्वार को बंद कर दिया जाता है। करीब 10 मिनट तक लाल बाबा पूजन अर्चन करते हैं, उसके बाद त्रिशूल लेकर फिर परिक्रमा मार्ग की ओर आगे बढ़ जाते हैं।
अटल्ला चुंगी होते हुए परिक्रमा मार्ग से इस्कान गौशाला होते हुए फिर कालीदह स्थित अपने आप मंदिर पर पहुंचते हैं। यहां पर पूजन अर्चन करने के बाद वह थोड़ी देर के लिए ठहरते हैं ।
बाबा जी ने 20 साल से अन्न छोड़ रखा है अन्न
आश्चर्य की बात है कि बाबा जी ने 20 साल से अन्न छोड़ रखा है। लगातार 20 वर्षों से वह सोते भी नहीं है आसपास के तमाम लोगों ने यह बताया कि बाबा को कई वर्षों से सोते हुए नहीं देखा है। दिन भर वह सेवा में और भक्ति में लगे रहते हैं। रात 12:00 बजे से वह परिक्रमा की तैयारी में लग जाते हैं, उसके लिए वह फूल और माला तैयार करते हैं और करीब 3:00 बजे के बाद स्नान ध्यान करते हैं। तड़के 4.30 बजे के करीब परिक्रमा शुरू कर देते हैं और 35 मिनट में परिक्रमा पूरी कर लेते हैं।
इसके बाद वह बिहारी जी की तरफ जाने वाले मार्ग पर साफ सफाई भी करते हैं। करीब आधा किलोमीटर दूरी तक झाड़ू लगाकर पूरे मार्ग को साफ कर देते हैं। लाल बाबा ने मंदिर के पास ही दो पीपल के पेड़ भी लगा रखे हैं जो अब विशालकाय हो गए हैं और छाया देते हैं।
लाल बाबा जी का कहना है कि उन्होंने वर्षों पहले पेड़ छाया के लिए लगाए हुए थे और आज यहां तमाम श्रद्धालु रुकते हैं गर्मी के दिनों में यहां विश्राम करते हैं। बाबा जी के त्याग और समर्पण को देखकर बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं। सच, बाबाजी त्याग और समर्पण की साक्षात प्रतिमूर्ति हैं।