भूमिका
हिंदो भाषा के वैश्विक भाषा के रूप में प्रचार प्रसार के लिए पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था जहां 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। लेकिन इस दिन विश्व हिंदी दिवस मनाने की अधिकारिक घोषणा वर्ष 2006 में हुई थी, जिसके बाद हर साल 10 जनवरी को, विश्व हिंदी दिवस मनाया जाने लगा।
संयुक्त राष्ट्र की शैक्षिक और सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को के अनुसार, विश्व में 7,000 से अधिक भाषाएं है जिसमें भारत की 1635 मातृभाषाएं व प्रमुख 22 भाषा को आधिकारिक मान्यता प्राप्त है। हिंदी समूह भाषियों की अनुमानित संख्या सौ करोड़ से भी अधिक है।
हिंदी में है दम
आजादी के सत्तर साल के बाद हिंदी का काफी प्रचार प्रसार हुआ है और इसमें रेडियो टेलीविजन , फ़िल्में और बालीवुड के गानों का बहुत योगदान है। दक्षिण भारत के गैर हिंदी भाषी इलाकों के लोगों को जब मैं हिंदी बहुत अच्छे से बोलते हुए देखता था तो मैं उनसे पूछता था कि वे इतनी अच्छी हिंदी बोलना कैसे सीखे मुझे ज्यादातर लोगों ने बताया की रेडियो और टेलीविजन पर बॉलीवुड के गाने सुनकर उन्होंने हिंदी बोलना सीखा और बस फिर सीखते ही चले गये।
आज हिंदी न सिर्फ कश्मीर से कन्याकुमारी अपितु दुबई सिंगापूर और लन्दन जैसी जगहों पर समझी जाती है उसका कारण पिछले दो सौ वर्षों में हिंदी भाषियों का पूरे विश्व में अपनी योग्यता के आधार पर फैलाव और अपने सतकर्मों और सदव्यवहार से पूरी दुनिया में अपनी एक अच्छी पहचान स्थापित करना है।
इन्टरनेट और तकनीक के दौर में हिंदी
इन्टरनेट और तकनीक के दौर में हिंदी का भविष्य बहुत उज्जवल हुआ है क्यूंकि बहुत सारी पत्रिकाएं, लेख और ब्लोग्स अब व्हाट्सएप्प, टेलीग्राम , फेसबुक, इन्स्टाग्राम के माध्यम से उपलब्ध होने लगे हैं। जिसकी वजह से हिंदी पढने और समझने वालों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है। ठीक इसी तरह हिंदी में अपनी भावनाएं व्यक्त करने के माध्यम भी बढ़े हैं।
गूगल हिंदी इनपुट टूल , वौइस् टूल आदि के आजाने से पुराने हिंदी कीबोर्ड से निजात मिलगई है जिसे सीखना बेहद मुश्किल भरा काम हुआ करता था। मैंने कई लोगों को बस पांच मिनट से भी कम समय में हिदी टाइप करना सिखाया है
गूगल लेंस एप्प की मदद से अब अन्य भाषाओँ और लिपियों को पढ़ना भी बेहद आसान हो गया है मैं आजकल पंजाबी भाषा के डाक्यूमेंट्स को गूगल लेंस एप्प की मदद से बड़ी आसानी से हिंदी भाषा में बदल कर पढ़ लेता हूँ।
हिंदी और रोजगार
हिंदी भाषा में रोजगार मिलने में अब कोई दिक्कत नही है क्यूंकि टेलीकॉलर से लेकर शासकीय प्रबंधन में अब हिंदी की बेहद मांग है। कंप्यूटर डिजाइनिंग , पब्लिशिंग , प्रिंटिंग सब जगह हिंदी में कामकरने के अवसर उपलब्ध हैं। विदेशों में भी हिदी भाषियों के पहुँच जाने से हिंदी में ट्रांसलेशन और दुभाषिये की आवश्यकता पड़ने लग गयी है।
मेरे एक दोस्त हैं श्रीमान कमल ठाकुर जी जो कि हिमाचल प्रदेश के जोगेंदर नगर नामक स्थान के नज़दीक एक गाँव में रहते हैं जहाँ उनका एक सुंदर घर है जिसके सामने उनका एक खेत है और सूर्य की पहली किरण सीधे उनके घर में पहुँचती है घर के बगल में एक निर्मल पानी की धारा भी बहती है । कमल ठाकुर जी हिंदी ट्रांसलेशन का काम करते हैं हिंदी से अंग्रेजी और अंग्रेजी से हिंदी।
सारा काम इन्टरनेट के माध्यम से किया जाता है और पेमेंट भी डोल्लोर्स में मिलता है। कमल ठाकुर और उनकी पत्नी दोनों मिलकर इस काम को करते हैं अपने गाँव में रहकर प्रकृति की गोद में सुंदर जीवन व्यतीत करते हैं। जबकि इससे पूर्व कमल ठाकुर चंडीगढ़ में जॉब करते थे और हरवर्ष खर्चे बढ़ते जा रहे थे लेकिन इनकम नही बढ़ रही थी। कमल ठाकुर जी ने अपने टैलेंट और इन्टरनेट द्वारा दिए जा रहे अवसर को पहचाना और उसका उपयोग करके अपना जीवन संवार लिया और आज वे और उनका परिवार बेहद खुश हैं।
उपसंहार
बेशक आज हिंदी बोलने समझने वालों की कोई कमी नही है लेकिन हिंदी को सही तरीके से लिखने और शुद्ध वर्तनी का प्रयोग करने की समझ रखने वाले लोगों की काफी कमी है। कुछ समय पहले मुझे एक इंटरव्यू में बैठने का अवसर मिला जिसमें स्नातक और स्नातकोतर छात्र और छात्राएं इंटरव्यू के लिए आये हुए थे मैंने उन्हें उनके मनमुताबिक विषय दिए और उन्हें एक पेज हिंदी में लिखने का अवसर दिया
मैं यह देख कर बहुत हैरान और परेशान हुआ कि एक भी छात्र और छात्रा आम साधारण बोलचाल के लायक हिंदी लिखने में भी समर्थ नही थे और ऐसी ऐसी गलतियाँ कर रहे थे कि उन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता था।
ऐसे हालातों में स्कूल कालेजों में अध्यापकों और घर परिवार में अविभावकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों की भाषा शैली और उसे लिखने पढने और बोलने के तरीकों पर विशेष ध्यान दें अन्यथा आने वाले समय में हमारे नागरिक भाषा का आनंद नही ले सकेंगे और हिंदी के स्वरुप का पतन हो जाएगा।