चौंसठ कला सम्पूर्ण व्यक्तित्व कैसा होता है

सनातन संस्कृति के साहित्य में चौंसठ कला सम्पूर्ण व्यक्तित्व का जिक्र आता है। भगवान श्रीकृष्ण को चौंसठ कला सम्पूर्ण व्यक्तित्व माना जाता है। लेकिन हमें यह कहीं नहीं बताया पढ़ाया जाता है कि वो चौंसठ कलाएं कौन सी हैं। मैंने साहित्य में थोड़ी शोध करके चौंसठ कलाओं कि सूची निकाली है जिसे आपकी जानकारी हेतु प्रस्तुत किया जा रहा है। 1:- इतिहास 2:- आगम 3:- काव्य 4:- अलंकार 5:- नाटक 6:- गायकत्व 7:- कवित्व 8:- कामशास्त्र 9:- दुरोदर (द्यूत) 10:- देशभाषालिपिज्ञान 11:- लिपिकर्प 12:- वाचन 13:- गणक 14:- व्यवहार 15:- स्वरशास्त्र 16:- शाकुन 17:- सामुद्रिक 18:- रत्नशास्त्र 19:- गज-अश्व-रथकौशल 20:- …

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डॉ नरेश बैंसला ने अपनी वैज्ञानिक समझ से सनातन संस्कृति के पौराणिक संदर्भों को समझाया

dr. naresh bainsla at kisan sanchar office zirakpur mohali punjab

यह सवाल अक्सर हमारे मनों में गूंजता रहता है कि हमारी संस्कृति में दुर्गा माता को आदिशक्ति के रूप में कैसे माना जाता है? आज किसान संचार कार्यालय में नयी दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसन्धान संसथान के प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स विभाग में कार्यरत सीनियर साइंटिस्ट डॉ नरेश बैंसला जी पधारे थे और उन्होंने चर्चा में आज बहुत सारी रोचक और वैज्ञानिक जानकारियों का खुलासा किया जो मेरे लिए तो बेहद नयी और मन में रौशनी भरने वाली थी। कुछेक बातें मुझे ऐसी लगी कि इसे भाईचारे के साथ सांझा किया जाये। महिलाओं को देवता भी नहीं समझ सकते हैं …

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गायत्री महामंत्र जाप से मिलती है दिव्यअलौकिक शक्तियाँ, मिलता है सम्पूर्ण सुख वैभव प्राप्त होता है मोक्ष

आलेख मानसपुत्र संजय कुमार झा / व्हाट्सप संपर्क सूत्र 9679472555 , 9431003698 जय वेदमाता गायत्री शुभाशीस एवं शुभकामनाएं हमारे शास्त्रों में तथा धार्मिक ग्रन्थों में मंत्रों का विशेष महत्व माना गया है और गायत्री मंत्र को महा मंत्र माना जाता है। गायत्री मंत्र के अक्षरों का आपसी गुंथन, स्वर-विज्ञान और शब्दशास्त्र के ऐसे रहस्यमय आधार पर हुआ है, जो कि उसके उच्चारण मात्र से सूक्ष्म शरीर में छिपे हुए अनेक शक्ति केन्द्र अपने आप जागृत होते हैं। यह गायत्री मंत्र सबसे पवित्र एवं सर्व शक्तिशाली है, जो ऋग्वेद के तीसरे मण्डल के 62वें सूक्त में मौजूद 10 वां श्लोक है। …

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वृंदावन के लाल बाबा

91 वर्ष के लाल बाबा 91 वर्ष के लाल बाबा 35 मिनट में पूरी करते हैं परिक्रमा और करीब 20 साल से भोजन का त्याग कर रखा है। सनातन धर्म में संतों का त्याग और समर्पण अविस्मरणीय है। बहुत से संतो ने अपना पूरा जीवन ही लोक कल्याण के लिए अर्पित कर दिया। वृंदावन में भी ऐसे हैं लाल बाबा, जिनका पूरा जीवन ही लोक कल्याण के लिए है। लोगों के कल्याण के लिए कठोर साधना, तपस्या करते हैं। कालीदह के निकट यमुना जी के किनारे एक मंदिर में लाल बाबा जी रहते हैं। 40 वर्ष से अधिक समय से …

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सनातन संस्कृति के संस्कारों के वाहक

भावुक करने वाला यह दृश्य महाराष्ट्र से है। वेंगुर्ला बस स्थानक के कंडक्टर सी.बी.जाधव. दो दिन पहले सेवा निवृत्त हुए तो बस के सामने भावुक होकर नतमस्तक हो गये। यही सजीव निर्जीव का भेद खत्म हो जाता है। अपने काम पर निष्ठा और प्रमाणिकता हो तो जिसके कारण एक बड़े समय तक अपनी, अपने परिवार की रोजी रोटी चलती रही हो उस साधन, संसाधन को लक्ष्मी स्वरूप मानकर उसका वंदन भी मन से निकलता ही है। इसीलिए अपनी सनातन संस्कृति में नई वस्तुओं के या दशहरे पर भी वाहन, वस्तुओं के पूजन की या रक्षाबंधन पर वाहन को भी राखी …

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माता सीता के जीवन से हम क्या सीख सकते हैं

सुनीता बिंदल माता सीता सनातन इतिहास में एक आदर्श महिला हुई हैं जिन्होंने मर्यादा पुरुषोतम भगवन श्रीराम की जीवन संगिनी बनकर उनका हर कदम पर साथ दिया आज के समय में सीता के जीवन से हम क्या सीखा सकते हैं इस बाबत आज हम कुछ चर्चा करेंगे सीता जी का तो पूरा जीवन ही त्याग व प्रेम से भरा हुआ है , उनका पूरा ही जीवन हमारे लिए शिक्षाप्रद व प्रेणादायक है सीता के बहुत सारे गुण जो हमको भी सीखने चाहिए। प्रकृति प्रेम सीता प्रकृति से बहुत प्रेम करती थी, बाल्यकाल से ही वो मिट्टी में लिपटी चिपटी रहती …

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श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।गुरु महाराज के चरण.कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे। •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन कुमार।बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन.करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए। ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• जय हनुमान …

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सनातन संस्कृति का मजबूत अंग है हमारा बाल्मीकि समाज

कैसे है वाल्मीकि समाज सनातनधर्म का अभिन्न अंग अरुण लवानिया अंग्रेजों के समय से ही सनातन की इमारत से एक एक कर ईंटों को सरकाने का षड़यंत्र चला आ रहा है। इसके पीछे जिसका भी का हाथ है उसका चेहरा हमसे अब छिपा नही है , कागजी स्वतंत्रता यानी ट्रांसफर ऑफ़ पॉवर के पश्चात उपजी नयी प्रजातियां जैसे नकली बौद्ध और वामपंथी भी इस कार्य में जुटे हैं। जातिविहीन समाज की बात करने वाले ऐसे तत्व जातियों की ही दुहाई देकर हिंदू समाज को तोड़ने में लगे हैं। अंबेडकर जी तो बिना आरक्षण के विपरीत परिस्थितियों में अपने पुरुषार्थ के …

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भगवान शिव के 108 नाम और उनके अर्थ

शास्त्रों और पुराणों में भगवान शिव के अनेक नाम है। जिसमें से 108 नामों का विशेष महत्व है। यहां अर्थ सहित नामों को प्रस्तुत किया जा रहा है। 1- शिव – कल्याण स्वरूप2- महेश्वर – माया के अधीश्वर3- शम्भू – आनंद स्वरूप वाले4- पिनाकी – पिनाक धनुष धारण करने वाले5- शशिशेखर – सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले6- वामदेव – अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले7- विरूपाक्ष – ‍विचित्र आंख वाले( शिव के तीन नेत्र हैं)8- कपर्दी – जटाजूट धारण करने वाले9- नीललोहित – नीले और लाल रंग वाले10- शंकर – सबका कल्याण करने वाले11- शूलपाणी – हाथ में त्रिशूल धारण करने …

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गधे की कब्र और अंधविश्वास का कारोबार

आचार्य रजनीश एक फकीर किसी बंजारे की सेवा से बहुत प्रसन्‍न हो गया। और उस बंजारे को उसने एक गधा भेंट किया। बंजारा बड़ा प्रसन्‍न था। गधे के साथ, अब उसे पेदल यात्रा न करनी पड़ती थी। सामान भी अपने कंधे पर न ढोना पड़ता था। और गधा बड़ा स्‍वामीभक्‍त था। लेकिन एक यात्रा पर गधा अचानक बीमार पडा और मर गया। दुःख में उसने उसकी कब्र बनायी, और कब्र के पास बैठकर रो रहा था कि एक राहगीर गुजरा। उस राहगीर ने सोचा कि जरूर किसी महान आत्‍मा की मृत्‍यु हो गयी है। तो वह भी झुका कब्र के …

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