विधि का विधान

प्रदीप सिसोदिया भगवान श्री राम का विवाह और राज्याभिषेक, दोनों शुभ मुहूर्त देख कर किए गए थे; फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ, न ही राज्याभिषेक! और जब मुनि वशिष्ठ से इसका उत्तर मांगा गया, तो उन्होंने साफ कह दिया “सुनहु भरत भावी प्रबल,बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।हानि लाभ, जीवन मरण,यश अपयश विधि हाथ।।” अर्थात – जो विधि ने निर्धारित किया है, वही होकर रहेगा! न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के! न ही महादेव शिव जी सती की मृत्यु को टाल सके, जबकि महामृत्युंजय मंत्र उन्हीं का आवाहन करता है! न गुरु अर्जुन देव जी, और …

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श्राद्ध करने की सहज विधि

कृष्ण भागवत किंकर पितृपक्ष, महालय या पार्वण पक्ष या श्राद्ध पक्ष 20 सितम्बर से आरम्भ होने वाला है। अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हुए उन्हें धन्यवाद पूर्वक स्मरण करने के साथ जीवन में शांति , सुख, समृद्धि, वृद्धि, निर्विघ्नता आदि के लिए श्राद्ध, पितृ तर्पण,पिण्डदान, गोदान, आदि करने का विधान सनातनी परम्परा है। लुटेरे-आक्रान्ताओं के आक्रमणों से उत्पन्न हजार वर्षों की अव्यवस्था के कारण अधिकांश सनातनी हिंदुओं में श्राद्ध के ठीक-ठीक विधानों की जानकारी न्यूनतम है साथ में प्रायः लोकाचार, क्षेत्रीय कर्मकांडों में उलझी हुई जटिल प्रक्रिया शेष है या प्रपंच की शिकार मात्र है। ऐसे में ठीक-ठाक …

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हनुमानजी की अद्भुत पराक्रम भक्ति कथा

जब रावण ने देखा कि हमारी पराजय निश्चित है तो उसने 1000 अमर राक्षसों को बुलाकर रणभूमि में भेजने का आदेश दिया ! ये ऐसे थे जिनको काल भी नहीं खा सका था! विभीषण के गुप्तचरों से समाचार मिलने पर श्रीराम को चिंता हुई कि हम लोग इनसे कब तक लड़ेंगे ? सीता का उद्धार और विभीषण का राज तिलक कैसे होगा?क्योंकि युद्ध कि समाप्ति असंभव है ! श्रीराम कि इस स्थिति से वानरवाहिनी के साथ कपिराज सुग्रीव भी विचलित हो गए कि अब क्या होगा ? हम अनंत कल तक युद्ध तो कर सकते हैं पर विजयश्री का वरण …

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सनातन के सप्तऋषि

ऋषि अंगिरा ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा ब्रह्मा के पुत्र थे। उनके पुत्र बृहस्पति देवताओं के गुरु थे। ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी। ऋषि विश्वामित्र गायत्री मंत्र का ज्ञान देने वाले विश्वामित्र वेदमंत्रों के सर्वप्रथम द्रष्टा माने जाते हैं। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत इनके पुत्र थे। विश्वामित्र की परंपरा पर चलने वाले ऋषियों ने उनके नाम को धारण किया। यह परंपरा अन्य ऋषियों के साथ भी चलती रही। ऋषि वशिष्ठ ऋग्वेद के मंत्रद्रष्टा और गायत्री मंत्र के महान साधक वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक थे। उनकी पत्नी अरुंधती वैदिक कर्मो में उनकी सहभागी थीं। ऋषि कश्यप …

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सनातन धर्म के सोलह संस्कार

भूमिका सनातन धर्म में सोलह संस्कारों यानि षोडश संस्कार का उल्लेख किया जाता है जो मानव को उसके गर्भाधान संस्कार से लेकर अन्त्येष्टि क्रिया तक किए जाते हैं। इनमें से विवाह, यज्ञोपवीत इत्यादि संस्कार बड़े धूमधाम से मनाये जाते हैं। वर्तमान समय में सनातन धर्म या हिन्दू धर्म के अनुयायी में गर्भाधन से मृत्यु तक सोलह संस्कार होते हैं। प्राचीन काल में जीवन के प्रत्येक महत्वपूर्ण चरण की शुरुआत संस्कार से आरम्भ की जाती थी। उस समय संस्कारों की संख्या भी लगभग चालीस थी। जैसे-जैसे समय बदलता गया तथा व्यस्तता बढती गई तो कुछ संस्कार स्वत: विलुप्त हो गये इस …

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भारत के महान रसायनज्ञ नागार्जुन

प्राचीन भारत के एक ऐसे रसायनशास्त्री जो किसी भी धातु को सोने में बदलने की क्षमता रखते थे। प्राचीनकाल में नागार्जुन भारत के प्रमुख धातुकर्मी एवं रसायनशास्त्री (Alchemist) थे। भारत में रसायन विज्ञान और धातु विज्ञान का इतिहास लगभग 3 हज़ार साल पुराना है प्राचीन भारत रसायन विज्ञान और धातु विज्ञान में कितना आगे था। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1600 साल पहले बने दिल्ली के महरौली में स्थित लौह स्तंभ’ को आज तक जंग नहीं लगा हैं। प्राचीनकाल में नागार्जुन भारत के प्रमुख धातुकर्मी एवं रसायनशास्त्री (Alchemist) हुआ करते थे। उन्होंने केवल 11 …

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