विधि का विधान
प्रदीप सिसोदिया भगवान श्री राम का विवाह और राज्याभिषेक, दोनों शुभ मुहूर्त देख कर किए गए थे; फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ, न ही राज्याभिषेक! और जब मुनि वशिष्ठ से इसका उत्तर मांगा गया, तो उन्होंने साफ कह दिया “सुनहु भरत भावी प्रबल,बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।हानि लाभ, जीवन मरण,यश अपयश विधि हाथ।।” अर्थात – जो विधि ने निर्धारित किया है, वही होकर रहेगा! न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के! न ही महादेव शिव जी सती की मृत्यु को टाल सके, जबकि महामृत्युंजय मंत्र उन्हीं का आवाहन करता है! न गुरु अर्जुन देव जी, और …