प्राकृतिक खेती के प्रवर्तक डॉ हरिओम

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dr hariom madam bimlesh

फोटो में जिन श्वेतधवल वस्त्रधारी सात्विक ऊर्जा पुंजों के दर्शन कर पा रहे हैं उनके सांसारिक नाम डॉ हरिओम और माता बिमलेश जी है।

डॉ हरिओम जी से मेरा परिचय साल 2007 से है लेकिन मेरी कभी उनसे बातचीत नहीं हुई कल ही पहली बार मुझे डॉ साहब का सानिध्य प्राप्त हुआ और मुझे इनकी वैचारिक गहराई और राष्ट्र निर्माण में किये जा रहे कार्यों से परिचय हुआ।

मुझे सदा से से ही इस बात का एहसास रहा है कि डॉ साहब का कृषि सेक्टर में किसान हित में मूल शोध पर जोर रहा है। हालात अनुकूल हों या प्रतिकूल इन्होने सिर्फ इस बात की परवाह की है कि किसान की खेती टिकाऊ कैसे हो और खेती किसानी पर पड़ रहे आवश्यक दबाव को काम किया जा सके।

कल मुझे महराष्ट्र के अमरावती जिले के आविष्कारक श्रीमान अनंत गुलवे द्वारा गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्राकृतिक फ़ार्म में जीवामृत निर्माण के ऑटोमैटिक प्लांट को देखना था। तो सुबह ही डॉ हरिओम जी को निवेदन कर दिया था और उनका तुरंत आदेश भी आ गया कि आ जाओ कुरुक्षेत्र। हालाँकि कल रविवार भी था और व्यवस्थाएं भी छुट्टी के कारण ढीली थी। लेकिन डॉ साहब जी के आदेश थे गुरुकुल के प्रबंधक श्रीमान राम निवास आर्य जी ने सभी व्यवस्थाएं बेहद शार्ट नोटिस पर चाक चौबंद कर दी और मैं सपरिवार चंडीगढ़ से कुरुक्षेत्र की ओर निकल गया।

वर्तमान में डॉ हरिओम जी हरियाणा राज्य कृषि विभाग द्वारा संचालित प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण केंद्र जो गुरुकुल कुरुक्षेत्र की भूमि में बना है उसके प्रोजेक्ट हेड हैं। कृषि विभाग के अधिकारीयों, हरियाणा और अन्य राज्य के किसानों को प्राकृतिक खेती का जीवंत प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।


बहुत ही सुरम्य वातावरण में रचा बसा गुरुकुल कुरुक्षेत्र आज आचार्य देवव्रत जी के नेतृत्व में राष्ट्र निर्माण में उल्लेख्नीय योगदान दे रहा है। इस गुरुकुल की स्थापना धर्मरक्षक स्वामी श्रद्धानन्द जी ने एक शताब्दी पूर्व की थी। श्रीमान रामनिवास आर्य जी ने बताया कि सन 1981 आचार्य देवव्रत जी इस गुरुकुल में जुड़े। उन्होंने अपने प्रयासों से गुरुकुल को आधुनिक दौर की मांग के अनुरूप शिक्षा प्रणाली को लागू कराया जिसका नतीजा संक्षेप में यह है कि पिछले सेशन में तीन सौ सीट्स के लिए 13000 छात्रों ने देश भर से आवेदन किया था।

नेशनल डिफेन्स एकेडमी और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में खूब बच्चे जा रहे हैं और गुरुकुल में बेहतरीन व्यवस्थाएं गौशाला , घुड़साल, फायरिंग रेंज, खलेने कूदने की सुविधाएँ आदि सब उपलब्ध हैं।


इसके साथ पूरा गुरुकुल प्राकृतिक खेती का शोध केंद्र बन चुका है और आचार्य देवव्रत जी जो इस समय गुजरात के राज्यपाल हैं और वे अपनी प्रतिभा और पद का उपयोग जनोपयोगी प्राकृतिक खेती के संवर्धन और संरक्षण में प्रयोग करते हैं। जिसका नतीजा है अब गुरुकुल कुरुक्षेत्र का प्राकृतिक कृषि फ़ार्म की मिटटी और इकोलॉजी इस स्तर पर आ चुकी है कि बिना किसी रासयनिक इनपुट के रोग रहित स्वस्थ फसलें लहलहा रही हैं। जिनके दर्शन करने किसान हर रोज अलग अलग जगह से पहुँचते हैं और सीखते हैं।


डॉ हरिओम जी कृषि विज्ञान केंद्र से सेवानिवृत होने के बाद गुरुकुल कुरुक्षेत्र की शोध टीम के अहम् मानव संसाधन रहे हैं। उन्होंने अपने सात्विक मूल शोध को यहाँ प्रयोग किया है और जिसका नतीजा आज हम सभी के सामने है।

डॉ हरिओम बताते हैं कि बिना किसी रासायनिक जहरीली इनपुट के आज धान और गन्ने फसलें बड़े आराम से उगती हैं लहलहाती हैं , जब धान की फसल की हार्वेस्टिंग की जाती है तो नीचे मेंढक मेंढकियों की फ़ौज दिखाई देती है। जो धान के तने से रस चूसने वाले कीड़ों को काबू में रखते हैं जब कल हम धान के खेत को देख रहे थे तो उसमें अजोला और काई भी भरपूर दिखाई रहे थे।

जो इस बात का प्रमाण है कि इकोलॉजी ने खेतों में अपनी जगह बना ली है। केचुएं अब इतनी भरपूर मात्रा में है कि भूमि एकदम नरम हो चुकी है कितना भी पानी आसमान से बरस जाए पानी जमीन में समा जाता है।


इन दोनों फोटो को गहनता से देखने के बाद आपके मन से अपने आप आवाज आ जाएगी कि बरसों के शोध को धीरे धीरे जब खेत में क्रमबद्द तरीके से प्रयोग किया जाता है तो नतीजे भी अप्रत्यशित मिलते हैं।

डॉ हरिओम जी ने अपने अनुभवों को एक पुस्तक में समायोजित किया जिसका विमोचन आचार्य देवव्रत जी भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी से आगामी 10 अगस्त 2023 को गुरुकुल कुरुक्षेत्र में करा रहे हैं। इस अवसर पर चार राज्यपाल भी अपनी उपस्थिति और विचारों से अवसर की गरिमा और शोभा बढ़ाएंगे।

डॉ हरिओम और माता बिमलेश जी की आध्यात्मिक यात्रा बहुत लम्बी हैं। कल मुझे उनके श्रीमुख से कुछ अनुभवों को सुनने का अवसर मिला माता बिमलेश जी ने बताया कि बचपन से ही उनकी अध्यात्म के शोध में रूचि थी। डॉ हरिओम जी से विवाह के उपरान्त उनका यह शोध और आगे बढ़ा जिसमें ध्यान मनन और चर्चा से घर में एक आश्रम जैसा माहौल बना और बहुत सारा साहित्य एकत्र भी किया गया। नया साहित्य लिखा भी गया डॉ साहब ने एक मासिक पत्रिका भी निकाली लेकिन उसे एक बंधन मान कर जल्द ही उससे मुक्त भी हो गए । अपने शरीर को ही एक आश्रम मान कर उसमें वैचारिक शोध को आगे बढ़ाया।

डॉ हरिओम जी का बेटा विजय जो महराणा प्रताप हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक है वो डॉ हरिओम जी की पुस्तक और शोध को अंग्रेजी में अनुवाद कर रहा है। खुद को भविष्य के लिए तैयार भी कर रहा है मुझे कल विजय के साथ के साथ भी बैठने का अवसर मिला और मैंने भविष्य के लिए प्राकृतिक खेती सेक्टर में तैयार होते एक जिज्ञासु शोधार्थी के वैचारिक मानस को अनुभव किया।

गुरुकुल कुरुक्षेत्र के फ़ार्म पर श्रीमान रामनिवास आर्य जी बताया कि उनका प्रयास है कि एक परमानेंट स्ट्रक्चर किसान के खेत पर खड़ा हो जिसमें जीवामृत का लगातार निर्माण हो। उसे ड्रिप सिस्टम से खेत के कोने में पहुंचाया जा सके और कोई भी कलपुर्जा बाहर से खरीद का ना लाना पड़े। उसके लिए डिज़ाइन स्तर पर शोध किया जा रहा है। इसके लिए बहुत सोच विचार करके एक स्ट्रक्चर भी खड़ा कर दिया गया है। आप इस चित्र में देख पा रहे हैं जिसमें डॉ हरिओम और श्रीमान रामनिवास आर्य जी दिखाई दे रहे हैं।

मैं अपने अनुभव से जानता हूँ कि प्राकृतिक खेती की बात करने वालों से अनगिनत सवाल पूछे जाते हैं जबकि जहर की दुकान खोल कर हवा मिटटी पानी को जहरीला बनाने वाले चिकने मुहं वाले लोगों से कोई सवाल नहीं पूछता है।

निवदेन नोट :
आप यदि खेती किसानी से जुड़े हैं और दिन में यदि एक समय भी भोजन करते हैं तो एक बार गुरुकुल कुरुक्षेत्र के फ़ार्म में आपका जाना बनता है और जाकर देखिये कैसे प्राकृतिक खेती के प्रयोग किये जा रहे हैं।


प्राकृतिक खेती अपनाना अकेले सिर्फ किसानों की ही जिम्मेदारी नहीं है हमें इसके लिए देश में एक माहौल बनाना पडेगा और प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों और शोधार्थियों के साथ खड़ा होना पडेगा उनकी हौंसला अफ़ज़ाई करनी पड़ेगी तब जा आकर कहीं वो रास्ता निकलेगा जिसमें हमारे देशवासी स्वस्थ जीवन की कल्पना कर पाएंगे।