हम पिंड बड़ौना पहुंचे और हम गाडी खड़ी करके हम एक कंपाउंड में पहुंचे जहाँ लकड़ी चीरने का एक आरा लगा था। कच्ची और चिरी चिराई लकड़ियों के ढेर लगे थे और थोड़ा आगे चलकर हमारा जोशीली आवाज से खैरमकदम हुआ।
सामने महबली संतलाल शर्मा जी खड़े थे जिनके चेहरे पर अद्भुत नूर था और वाणी में ओज और मिठास इतना था कि माहौल पूरी तरह से ऊर्जा से भरा था। मैंने आगे बढ़ कर संत लाल जी से हाथ मिलाया और हम दोनों वहां जा कर बैठ गए।
ग्वाला सरकार को वहां जैसे ही चारपाई और चलता हुआ पंखा नजर आया तो बोले भाई आप लोग बातें शातें कीजिये मैं एक घड़ी कमर सीधी करूंगा और बस वो तो चारपाई पर लेट गए और मैंने संतलाल जी से बातचीत शुरू की।
मैं उन्हें देख कर हैरान था क्यूंकि परमात्मा ने उन्हें दिव्यांग ही इस धरती पर भेजा जन्म से एक हाथ नहीं था और कद बमुश्किल तीन साढ़े तीन या फुट और पैरों में भी बैलेंस का अभाव। यानी के सीधे खड़े होने में भी चैलेन्ज।
सोने से पूर्व ग्वाला सरकार ने उनके परिचय में बताया कि संतलाल शर्मा जी पिछले तीस वर्षों से लकड़ी के व्यवसाय को बड़ी कुशलता से कर रहे हैं और ये अच्छे पढ़े लिखे हैं बाकी बातें आप संतलाल जी से कीजिये।
संतलाल जी ने बताया कि उनका जन्म सन 1975 में श्री रामनाथ शर्मा जी और श्रीमती प्रकाशो देवी जी के परिवार में हुआ और उनके पिता जी का आटे चावल और लकड़ी के आरे का काम था।
मैं बेशक दिव्यांग दिव्यांग ही जन्मा था लेकिन मेरे माता पिता ने मुझे बचपन से ही एक नार्मल बालक की तरह पाला पोसा और पहले तो मैं गाँव में ही पढ़ा और फिर आगे की पढ़ाई के लिए मैं रायपुर रानी वहां से नारायणगढ़ और फिर वहां से चंडीगढ़ तक पढने गया। पोस्ट ग्रेजुएट होने के बाद मैंने प्रभाकर भी किया। फिर जैसे सभी करते हैं सरकारी नौकरी लेने के भी अनेकों प्रयास किये लेकिन बात बनी नहीं।
घर पर चूँकि पिताजी का लकड़ी चीरने के साथ आटे और चावल का भी व्यवसाय था और मैं अपनी पढ़ाई के बाद पिताजी का काम में हाथ बंटाया करता था। मैं व्यवसाय की बारीकियों से भी परिचित था। मैंने यही मन बना लिया कि मैं अब कहीं नौकरी मांगने के बजाए अपने काम को ही बड़ा करूंगा।
बस यहीं जम गया मेरा विवाह शोभा रानी से हुआ और अब हमारा एक बेटा भी है जिसका नाम मिलन शर्मा है और वो बाहरवीं कक्षा में पढता है और डॉक्टर बनने के लिए मेहनत कर रहा है। हम लकड़ी के कई प्रकार के छोटे बड़े प्रोडक्ट बनाते हैं। जो कच्चे माल के तौर पर अलग अलग काम में प्रयुक्त होते हैं। मैं दिन भर यहीं फैक्ट्री में बैठ कर पूरा कामकाज देखता हूँ हमारी फैक्ट्री से कई लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है। मुझे इस बात कि बहुत ख़ुशी है कि हमारे काम से कई परिवारों में चूल्हे जल रहे हैं और बच्चे पढ़ लिख रहे हैं। मैंने हरियाणा सरकार के मान्यता प्राप्त संस्थान से एकाउंटेंसी में डिप्लोमा भी कर लिया है जो मेरे बहुत काम आता है ।
मैं अपने काम और अपने जीवन से पूरी तराह संतुष्ट हूँ क्यूंकि मैं अक्सर अपने से भी ज्यादा क्रिटिकल हालातों में लोगों को देखता हूँ। तो मुझे अपनी उनसे ठीक स्थिति का एहसास होता है। मैं प्रभाकर की पढ़ाई करने के लिए अपने गाँव से डेली बस में बैठ कर पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ जाया करता था। मुझे मेरे सभी दोस्त सपोर्ट किया करते थे और मैं आज भी फोन के माध्यम से अपने सभी दोस्तों के सम्पर्क में हूँ।
श्रीमान संत लाल शर्मा जी ने हमें शानदार चाय पिलाई और उनसे मिलकर मेरा मन अंत्यंत उत्साह से भर गया क्यूंकि शर्मा जी सकरात्मक सोच के साथ इतने लम्बे समय से इस स्थान पर सक्रिय हैं। इन्होने अपने इस जोश के साथ पूरे वातावरण को तरंगित किया हुआ है। जहाँ हम बैठे हुए थे वहां पर बहुत सारे आम के बड़े बड़े पेड़ लगे हुए थे। जिनपर इस बार भी भरपूर फल आया था। शर्मा जी ने मेरे पूछा क्या अप इन पेड़ों की उम्र बता सकते हैं? मैंने बहुत जोर् मारा लेकिन कुछ अंदाजा नहीं लगा पाया फिर संतलाल शर्मा जी ने बताया कि ये सारे पेड़ कम से कम पैंसठ साल पुराने हैं।
संतलाल शर्मा जी को परमात्मा ने बेशक थोड़ी से अक्षमता दे दी लेकिन इसके साथ उन्हें जो पक्का इरादा और ऊर्जा बख्शी है। वो सर्वथा दुर्लभ और अद्वितीय है इस बात का अंदाजा सिर्फ उनके साथ बैठ कर ही मिल सकता है। संतलाल जी ने जिस मेहनत और ईमानदारी से पढ़ाई पूरी की है उसका पूरा असर उनके व्यक्तित्व में साफ़ झलकता है। उनकी सोच में एक प्राकृतिक गुरुत्व है जो हरेक मिलने वाले व्यक्ति को प्रभावित और आकृष्ट दोनों करती है।
संतलाल जी कहते हैं कि मैं देहात में बैठ कर अपनी छोटी से इंडस्ट्रियल यूनिट से आगे बहुत आगे बढ़ने की सोच रखता हूँ। आधुनिक दौर में जिस तरीके से नई नयी तकनीकें आ रही हैं। व्यापर की राहें आसान हो रही हैं तो मैं भी नित नए नए विचारों का मूल्यांकन अपनी समझ से करता हूँ। जरूर एक दिन ऐसा आएगा कि मैं एक नए कार्य का शुभारम्भ करूँगा जो मेरे , मेरे परिवार , मेरे गाँव , मेरे समाज और समूचे देश के हित में होगा।
मैं महाबली संतलाल शर्मा जी की वैचारिक ऊर्जा की डोज लेकर वापिस आया हूँ और आज का गेडी रूट विद ग्वाला सरकार पूरी तरह से सफल रहा और हम संतलाल शर्मा जी को उनके परिवार को अनंत कोटि शुभकामनाएं देकर वापिस लौट गए और पूरे रास्ते उनके चेहरे का तेज और उनका आभा मंडल मेरे जेहन में सूर्य की भांति चमकता रहा जो अब भी बराबर ऊर्जा और रौशनी दे रहा है। मैंने उनका एक छोटा सा इंटरव्यू करके मेरे चैनल www.youtube.com/c/creativekamal पर विडियो के रूप में अपलोड भी कर दिया है जो सुबह तक आपको दिखाई भी देने लगेगा।