चावल का फोर्टीफिकेशन और हमारा भविष्य

दीपक राघव इस तरह के अनाज आगे जाकर कैंसर का कारण बनेंगे प्रकृति के साथ खिलवाड़ अब हमारे देश में एक नया षड्यंत्र कंपनियां करवा रही हैं, जिसमें गरीबों को मिलने वाले चावल को फोर्टिफाइड करने की घोषणा कर रहे हैं “राशन की दुकान पर मिलने वाला चावल हो, मिड-डे मील में बालकों को मिलने वाला चावल हो। वर्ष 2024 तक हर योजना के माध्यम से मिलने वाला चावल फोर्टिफाइड कर दिया जाएगा”। महिलाओं और बच्चों के कुपोषण की समस्या के निदान हेतु चावल को फोर्टिफाइड करना एक समाधान के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन क्या वाकई …

Read more

श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।गुरु महाराज के चरण.कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे। •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन कुमार।बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन.करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए। ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• जय हनुमान …

Read more

सनातन संस्कृति का मजबूत अंग है हमारा बाल्मीकि समाज

कैसे है वाल्मीकि समाज सनातनधर्म का अभिन्न अंग अरुण लवानिया अंग्रेजों के समय से ही सनातन की इमारत से एक एक कर ईंटों को सरकाने का षड़यंत्र चला आ रहा है। इसके पीछे जिसका भी का हाथ है उसका चेहरा हमसे अब छिपा नही है , कागजी स्वतंत्रता यानी ट्रांसफर ऑफ़ पॉवर के पश्चात उपजी नयी प्रजातियां जैसे नकली बौद्ध और वामपंथी भी इस कार्य में जुटे हैं। जातिविहीन समाज की बात करने वाले ऐसे तत्व जातियों की ही दुहाई देकर हिंदू समाज को तोड़ने में लगे हैं। अंबेडकर जी तो बिना आरक्षण के विपरीत परिस्थितियों में अपने पुरुषार्थ के …

Read more

पूंजी के पहाड़ से निकलेगा किसानों और कारीगरों की समस्या का समाधान।

मसला आज दुनिया अब ऐसे दौर में पहुंच चुकी है जहां सब कुछ पूंजी के सहारे चल रहा है और बड़े बड़े आर्थिक किले हमारे चारों और उद्योगपतियों ने बनाये हैं जिनकी मदद से वो सुबह शाम दिन रात अपने प्रोडक्ट्स एवं सर्विसेज के माध्यम से पैसा खींच रहे हैं। ग्रामीण इकॉनमी में पैसा आता तो है लेकिन रुकता नही है क्योंकि सुबह आँख खुलते ही व्हाट्सएप्प का स्टेटस चेक करने के साथ ही खर्चा होना चालू हो जाता है और फिर वो सुबह की चाय हो या नहाने का साबुन शैम्पू आदि हों हरेक वस्तु शहर से आती है …

Read more

प्रासंगिक हैं राष्ट्रनायक राजा महेंद्र प्रताप

मथुरा से जब आप हाथरस की ओर चलेंगे तो हाथरस जिले में प्रवेश करते ही एक कस्बा पड़ेगा मुरसान। मुरसान एक छोटा सा कस्बा है। वहां के राजा थे राजा महेंद्र प्रताप सिंह। राजा महेंद्र प्रताप उन विलक्षण और प्रतिभाशाली स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों में से एक रहे हैं जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ भारत के बाहर आज़ादी की मशाल और स्वतंत्र चेतना को जगाये रखा। उनका जन्म 1 दिसंबर 1896 को और मृत्यु 29 अप्रैल 1979 को हुयी थी। वे मथुरा से आज़ादी के बाद सांसद भी रहे हैं। वे स्वाधीनता संग्राम के सेनानी के साथ-साथ पत्रकार, लेखक और …

Read more

शूद्र एक घृणित सम्बोधन कब हुआ किसने किया और कैसे किया क्यों किया ? एक विश्लेषण

त्रिभुवन सिंह ऋग्वेद मे लिखा है ब्राम्हण्म मुखम आसीत शूद्रह अजायत। अर्थात परंब्रम्ह की जिह्वा है ब्रामहण । यानि जो तपस्या (रेसेर्च ) से जो मांनव कल्याण हेतु जो मंत्र खोजे जाते है , उसी को जिह्वा से जगत मे प्रचारित प्रसारित करने वाले को ही ब्रामहण कहते हैं । दूसरी बात उस परम्ब्रंह की उपासना जब कोई करता है तो उसके चरण को ही प्रणाम कर चरणामृत लेता है , उसके मुहं की उपासना नहीं न करता। कौटिल्य ने लिखा – स्वधर्मों शूद्रस्य द्विजस्य सुश्रुषा वार्ताकारकुशीलव कर्मम च ।अर्थात सर्विस सैक्टर , मैनुफेक्चुरिंग ,एंजिनियरिंग, पशुपालन, खनिज दोहन और व्यापार …

Read more

जलेबियाँ का रेट

एक बार की बात है एक छोरा बाज़ार मैं गया और वो हलवाई की दूकान के आगे जा कै खड़ा हो गया उड़े बढ़िया गरमा गर्म जलेबियाँ उतरण लाग रही थी जेब में एक भी रापिया धेला किमे था नहीं उसने सोची छोड्ड ना यार पहल्यां तू जलेबियाँ समार ले फेर देखांगे अर एक किलो जलेबी तुलवा ली अर खा गया चालन लाग्या तो हलवाई बोल्या ओ भाई ल्या रै जलेबियाँ के रपिये दे वो छोरा बोल्या लाला जी रपिये तो कोन्या , हलवाई कै उठ गया छो गेर कै नीचे तसल्ली तै ओसन(पीट) दिया बस वो छोरा झाड झूड …

Read more

डोभ वाली क्रिएटिव दादी गंगा देवी

मेरे जीवन मे जब जब ज्ञान से अपनी जीने की राह निकालने का सवाल आता है तो सबसे ऊपर दादी गंगा देवी जी का नाम आता है। दादी गंगा देवी ने बचपन मे खेतों में काम करते करते स्कूल के आते जाते बच्चों के साथ खेल खेल कर गिनती पहाड़े सीख लिए,बिल्कुल अनपढ़ होने के बावजूद कैलकुलेशन में एक दम परफेक्ट थी। इनका विवाह रोहतक जिले के डोभ गांव में श्री होशियार सिंह हुड्डा जी के साथ हुआ , दादी बताती हैं के थारा दादा पाली था और उसने हिसाब किताब का किमे ज्ञान न था, सारा हिसाब किताब और …

Read more

गौपालन गौसंरक्षण गौसंवर्धन गौशालाएं और कानूनी अडचनें और संभावनाएं

महक सिंह तरार और कमल जीत भूमिका गाय सनातन की आर्थिक धुरी है और धर्म के मूल में जो अर्थ होता है वह असल में गाय ही होती है। चूंकि गाय सनातन इकनोमिक सिस्टम की करंसी है इसी लिए जो हालात आज गाय की हो रखी है वही हालात हमारी करंसी अरतार्थ मुद्रा के हो रखे हैं मतलब कोई पूछता ही नही है हमारे ऋषि मुनियों ने बड़ी शोध करके गाय को पहचाना और फिर गाय को विकसित किया। गाय एक ऐसा जीव है जो जीरो डिग्री तापमान से लेकर पैंतालिस पचास डिग्री तापमान तक बड़े आराम से बिना किसी …

Read more

एक सीधा सवाल देश के किसानों से

इस देश में आत्मविश्वाश और आत्म निर्भरता का रास्ता केवल और केवल और खेतों से जाता है। हम जैसे नौकरी पेशा, बिना जमीन और बिना गाय वाले लोग संडे को सपरिवार खेतों में घूमने चले जाएं तो सड़कों और मॉल्स में से भीड़ छंट जाएगी और खेतों में रौनकें बढ़ेंगी। वहां अपन को फुलस्टॉप लगा देना मांगता है क्योंकि सभ्यता का चरम है वो उससे आगे संस्कार और मर्यादायें और संस्कृति की दुनिया शुरू होती है। फोटो लगभग तीन साल पुरानी है जब भाई Ajay Jangra जी कुरुक्षेत्र में जैविक खेतों की सैर कराने ले गए थे। सवाल किसांनो से …

Read more