बहुत याद आते हैं सरदार हरविन्द्र सिंघ आत्मा जी

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एक साल से भी ज्यादा समय बीत गया पिछले साल सितम्बर महीने की एक उदास सी शाम को जब मैं नारायणगढ़ से लौट रहा था तो अचानक से व्हाट्सएप्प पर एक संदेश प्राप्त हुआ जो सीनियर साथी श्री हरविंद्र सिंह आत्मा जी Harvinder Singh Atma के बारे में था। संदेश का ले आउट देख कर ही झटका लग गया और बड़े ही बोझिल मन से पढ़ा गया। आँखों के सामने अँधेरा था और दिमाग सुन्न।

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दो साल पहले ही नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय चंडीगढ़ Nabard Regional Office Haryana Chandigarh के बड़े अधिकारी श्री मलकीत सिंह जी Malkit Singh के मार्फत हैफेड ऑयल मिल Hafed Oil Mill ऑडिट प्रोजेक्ट के दौरान मेरा परिचय हरविंद्र सिंह आत्मा जी से हुआ था।

ऑडिट का टेक्निकल पक्ष मेरे जिम्मे था और फाइनांशियल पक्ष हरविंद्र सिंह जी Harvinder Singh Atma के जिम्मे था। कॉर्पोरट कंसल्टेंसी मामलों में यह मेरा पहला असाइनमेंट था। रिपोर्ट बनाने के सिलसिले में जब मैंने उनके साथ बैठना शुरू किया तो उनकी शख्सियत की गहराई और सामाजिक जुड़ाव का एहसास हुआ। सरदार जी बैंकिंग बैकग्राउंड से थे और HDFC बैंक में सीनियर पोजिशन से रिटायर हुए थे। वो रिटायरमेंट के बावजूद भी सक्रिय थे और एक फाइनेंशियल कंसल्टिंग फर्म Financial Consulting Firm चलाते थे जिसमें तीन चार लोग रोजगार पाए हुए थे।

अपने मातहतों के प्रति सरदार जी का रैवैया बेहद सम्मानजनक और उन्हें मोटिवेट रखने वाला था। यहीं से ही मैंने उनके विशाल हृदय की गहराई का अंदाजा लगा लिया था।जब मैने उनके साथ वर्किंग करनी शुरू की तो मुझे उनके कलैरिटी ऑफ थॉट पक्ष का पता चला। हमारी रिपोर्ट कोई पांच बार रिवाइज हुई मैंने कभी भी उन्हें उफ़ वाली स्थिति में नही पाया। क्लाइंट की रिक्वायरमेंट बार बार बदल रही थी लेकिन सरदार जी ने मुझे सिखाया की कंसल्टिंग का बिजनेस हमेशा बड़ा दिल और ठंडा दिमाग रख कर ही किया जा सकता है इसमें ग्राहक की संतुष्टि ही मुख्य ध्येय होता है।

जब हम बैठ कर रिपोर्ट पर काम कर रहे होते थे तो उनके फोन पर बीच बीच में अनेक फोन आते थे कहीं किसी आई कैम्प का जिक्र होता था, कहीं मेधावी बच्चो के लिए चलाए जा रहे निःशुल्क कोचिंग सेंटर का और कहीं किसी दवाई का किसी डॉक्टर का। मैं जितनी बार भी सरदार जी से मिला हर बार मेरे मन में उनके प्रति श्रद्धा बढ़ी ही। रिपोर्ट पूरी हो जाने के बाद भी मेरा सरदार जी से निरन्तर सम्पर्क बना रहा।

एक बात का मैं विशेष तौर पर जिक्र करना चाहता हूँ कि जितने भी दिन मैंने हैफेड आयल मिल की रिपोर्ट पर सरदार जी के साथ काम किया वे मुझे हमेशा 11 बजे ही बुलाते थे और फिर दो घंटे काम शाम करके वे मुझे और अपने सहयोगी (मैं उनका नाम भूल गया हूँ ) को नीचे थोड़ी दूरी पर बने एक बढ़िया होटल में लेकर जाते और बढ़िया खाना खिलाया करते थे और कभी भी उन्होंने मुझे बिल भरने नही दिया।

वे कहते थे कि रिपोर्ट शिपोर्ट तो बहाने हैं असली उद्देश्य तो हमारा अच्छा काम करना और अच्छा खाना पीना और अच्छा समय व्यतीत करना है। सरदार जी के आते ही होटल का सारा स्टाफ खुश हो जाया करता था और बड़े सेवा भाव से उनसे पेश आता था । यह सरदार जी की असली कमाई थी जिससे मुझे बेहद ख़ुशी और ठंडक का एहसास तो होता ही था और जो आगे भी मुझे हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।

कंसल्टिंग असायंन्मेंट पूरी हो जाने के बाद जब कभी भी मैंने नाबार्ड कार्यालय चंडीगढ़ जाना तो एक चाय सरदार जी के साथ लगाने का मूड बन ही जाया करता था और मोहाली के ए.एस.एम. फाइनेंशियल सर्विसेज के कार्यालय में चाय के साथ साथ कोई न कोई बात छिड़ ही जाया करती थी जो सैदेव एक सत्संग वाली फीलिंग में बदल जाया करती थी।

सरदार जी से दो चार मुलाकतें होने के बाद ही मैंने जब उनका नम्बर अपने फोन में सेव किया तो मेरे मन में जो प्रेरणा आई उसका अनुसरण करके मैंने उनका नम्बर जनरल आत्मा सिंह जी के नाम से सेव किया जो आज भी ऐसे ही मौजूद। यह प्रेरणा ऐसे ही नही आई उनके गुण और उनकी काबलियत से ही मेरे मन में यह भाव जागृत हुआ।

करोना काल मे समय की ऐसी तैसी हुई और आना जाना कम हो गया लेकिन इसी बीच सरदार जी से बातचीत भी हुई और वो पूरे मोटिवेशन में ही लगे और मेरा भी हौंसला बढ़ाया।करोना की कॉन्सपिरेसी थिओरीज को लेकर मेरे मन मे अनेक भ्रांतियां थी जिसे सरदार जी ने बड़े सरल तरीके और तर्क से साफ़ कर दिया था। अभी बस दो चार दिन से मेरे मन मे कई बार ख्याल आया कि सरदार जी को लंबे समय से फोन नही किया है क्यो ना फोन करके मिलकर आया जाए और बस मैंने सोचते सोचते समय निकाल दिया और रात यह खबर मिल गयी।

सरदार जी का चले जाना उनके वृहद परिवार के लिए एक बड़ा नुकसान है उनकी याद हमेशा आएगी और वे एक लाइट हाउस के जैसे थे जिन्होंने अपने साफ़ समझ से अनेक लोगों को जीवनभर रास्ता दिखाया और सभी के मनों में अपने शब्दों से डर को निकाला। सरदार जी के परिवार के सदस्यों के लिए उनका विछोड़ा सहना बेहद कठिन है। क्योंकि ऐसा सदस्य जिसने सभी को साम्भ रखा हो और वट वृक्ष के समान हो हरदम याद आता है।

मैं भी जिंदगी में हरदम नए नए चैलेंज लेकर ही चलता हूँ और जब कहीं उलझ जाता हूँ तो महाबली याद आते हैं जिन्होंने कभी हमें अपनी उंगलियां पकड़ कर चलना सिखाया और अपनी उस्तादी के साये में हमें चैलेंजेज़ को सामने से गुद्दी से पकड़ कर डील करना सिखाया सरदार हरविंद्र सिंघ आत्मा जी भी ऐसे ही एक महाबली उस्ताद थे जिन्हें मैं अक्सर याद करता हूँ।