राजीव भमराल की कलम से

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वैसे तो हर जीव निर्जीव में परमात्मा का अंश होता है लेकिन जो तरंगे आपके अंदर स्पंदन करती हैं वैसे माहौल में यदि परमात्मा आपको ले जाये तो खुद को खुशकिस्मत समझना चाहिए। ज़नाब राजीव भमराल “तारा भा जी” से मेरी पहली मुलाकात सन 1999 में नगरोटा कैंट वाले रास्ते पर हुई थी जब मैं पैदल पैदल पहली बार जम्मू से कटरा की ओर चला था।

एक दम अनजान शख्सियत से मुलाकात और फिर रात को मैं इनके पड़ाव के साथ नंदिनी एलिफैंट सेंचुरी में सड़क किनारे एक दुकान में रुक गया। तीन दिन के सफर में मैंने इनके अंदर गजब की रचनात्मकता, पॉजिटिव एनर्जी और लीड करने की क्षमता को अनुभव किया। पुराना बाजार गुरदासपुर में सर जी का एक स्टूडियो है और सेल्फ मेड एक पूरा संसार है जिसमे बहुत सारे लोगों के लिये जगह है।

गुरुदासपुर से वैष्णो देवी की पैदल यात्रा जो अक्सर होली में राजीव जी किया करते थे मुझे भी अनेक बार इनके साथ जाने का मौका मिला और मैं पैदल यात्रा के लिए धीरे धीरे तैयार हो गया। राजीव सर साधारण बात चीत में से भी ह्यूमर निकालने में सिद्धस्त है, एक बार अपनी फॉर्म में आ जाएं तो हस्ते हस्ते पेट मे बल पड़ सकते हैं।

पचास किलोमीटर सफर करने के बाद सभी के लिए खाना बनाना और सभी को खिला कर फिर खाना और एक एक चीज की ऐसी प्लानिंग के सह यात्री दंग रह जाएं। राजीव सर के साथ बिताया एक एक लम्हा अविस्मरणीय है, पुराने बिताए हुए समय के सुगंध दिमाग मे हमेशा छाई रहती है।

कलमकारी के नमूने

तुम तसल्ली ना दो बस बैठे रहो मेरे पास, वक़्त ही तो है कट जायेगा साथ साथ।

हमसे जलने वालों तुमभी क्या खूब करते हो , महफ़िल तुम्हारी दोस्त तुम्हारे और बातें हमारी करते हो

हर बाप की एक ख्वाहिश होती है , कि बच्चे की कोई ख्वाहिश ना रह जाए।

इतनी मुश्किल भी ना जिन्दगी , जितना मुश्किल हमने इसको बना लिया।

कुछ रिश्तों से इंसान अच्छा लगता है , कुछ इंसानों से रिश्ता अच्छा लगता है , इसे ही कहते हैं राम कृपा।

जिनकी नज़रों में हम अच्छे नहीं , कुछ तो बुरे वो लोग भी होंगे।

जिनकी आप “कदर” नहीं करते हैं ना , यकीन मानिए लोग उन्हें दुआओं में मांग रहे होते हैं।

मांगने को तो बहुत कुछ मांग लूं तुमसे, क्या दोगे गर तुम्हीं को मांग लूं तुमसे।

उसने हमें नज़र अंदाज किया, हमने उसे नज़र आना छोड़ दिया।

मेरे दोस्त कहतें हैं और सुनाओ , जब सूना देता हूँ पता नहीं क्यूँ बुरा मान जातें हैं सारे।

इश्क तो बातों से ही होता है चेहरे देखने के बाद तो अक्सर शादियाँ भी होती हैं जनाब।

बिना आवाज के रोना भी रोने से ज्यादा दर्द दे जाता है।

एक सचः ये भी है कि जो पति अच्छा खाना बना लेते हैं उनकी बीवियों की तबियत अक्सर खराब रहती है।

कुछ बातें, कुछ यादें , कुछ लोग और उनसे बने रिश्ते कभी भुलाए नहीं जा सकते हैं।

जोड़ों का दर्द क्या होता है यह सिर्फ जोड़े ही जानते हैं, कुंवारों को इसका एहसास तक नहीं है।

अच्छा लगता है के तुम पढ़ते हो मुझे, लेकिन जाहिर नहीं होने देते ये अलग बात है।

बेवफा होते तो भीड़ होती , वफादार रहे इसीलिए अकेले रह गए।

हाँ रहेगा हमेशा हमें इंतज़ार तुम्हारा , लेकिन तुम्हें कभी आवाज नहीं देंगे।

प्रेम पत्रों की एक खूबी ये भी है कि ये राख हो जाते हैं लेकिन कभी रद्दी नहीं होते।

अगर पेड़ से ऑक्सीजन की जगह वाई फाई मिलता तो , हर इंसान एक पेड़ जरूर लगता।

लहजे को जरा देख जवान है कि नहीं , बालों की सफेदी को बुढापा नहीं कहते।

खूबियाँ इतनी तो नहीं कि हर किसी का दिल जीत सकें लेकिन कुछ पल ऐसे छोड़ जायेंगे कि भूलना भी आसान नहीं होगा।

अपने किरदार की हिफाजत जान से बढ़कर कीजिये इसे जिन्दगी के बाद भी याद किया जाता है।

एक तजुर्बा बनावटी रिश्तों से ज्यादा , अकेलापन ज्यादा सुकून देता है।

अपनों ने ही सिखाया है जनाब कि कोई अपना नहीं होता है।

जब कभी भी आपको अपना घर छोटा लगने लगे , तो एक बार बैठ कर पौंछा लगा कर देखना महल लगने लगेगा महल।

इतनी जल्दी ना कर मनाने की , रूठ जाने पर भी हम तेरे ही हैं।

एक सच यह भी है कि नाराज इंसान को मनाया जा सकता है , लेकिन खामोश इंसान को नहीं।

अजनबी से दोस्त और फिर दोस्त से अजनबी बन्ने का सफ़र का नाम ही फेसबुक है।

बहुत सारे जरिये हैं कुछ कहने के , उनमें से एक जरिया है कुछ ना कहना।

उन लोगों से दूरियां ही ठीक हैं जिन्होंने नज़दीकियों की कद्र नहीं की।

हर सुलझा हुआ शख़्स कहीं ना कहीं उलझा जरुर होता है।

ठीक कुछ नहीं होता बस आदत हो जाती है।

मुझमें लाख बुराईयाँ सही किन एक खूबी भी है कि मैनें कभी भी अपने फायदे के लिए किसी से रिश्ता नहीं जोड़ा।

कोई नहीं सीखता दूसरों की बातों से एक हादसा जरूरी है इसके लिए।

सच का पता हो तो झूठ सुनने में कितना मज़ा आता है।

लगाव कैसा भी हो आखिर में पीड़ा का रुप ले ही लेता है।

कभी कभी मुझे लगता है कि मेरे हिस्से की खुशियां गलत एड्रेस पर डिलीवर हो रही हैं !!
दिल तकलीफ़ में है और तकलीफ़ देने वाले दिल में।

ज़िंदगी में कुछ लोग रिश्तेदार तो नहीं होते पर खास जरूर होते हैं अब इन्हें दोस्त कह लें या फिर किस्मत का तोहफ़ा।

आजकल के रिश्ते लोगों को दिखाने के लिए इकट्ठे अंदर से फाड़ियां ही फाड़ियां।

होते हैं हादसे सबके साथ हुई थी एक बार मुझे भी मोहब्बत।

हमें याद करने की ज़हमत न कीजिये जनाब ! र किरदार से हो वाकिफ़ तो देख लेना हम ख़ुद बखुद याद आएंगे।

जिंदगी की किताब में सबसे अच्छा पन्ना बचपन का होता है।

आप तो ऐसे उदास बैठे हैं जैसे बीवी के साथ बैठे हैं खुश रहिए जनाब।

दिल में मुझे रख लो मैंने कहा दिल तुम ही रख लो।

मोहब्बत का तो पता नहीं मगर इंसान नफ़रत दिल से करता है।

ज़िन्दगी इन दिनों कुछ यूँ कट रही है ना किसी से दुश्मनी है ना किसी से पट रही है।

एक लफ्ज़ { आप } और इस लफ्ज़ में मेरी पूरी दुनिया सिमट जाती है।

ए-ज़िन्दगी ले चल उसी “बचपन” में जहाँ ना कोई जरूरी था ना कोई जरूरत थी।

तेरे साथ ही गई वो रौनक ! इस शहर में अब रखा ही क्या है।

आज के समय में सुख का मतलब सिर्फ़ इतना है कि आप डॉक्टर और वकील को ना ढूंढ़ें और पुलिस आपको ना ढूंढे।

बाप रे अगर आज महिला दिवस है तो हर रोज क्या होता है।

सोचा था बताएँगे तुमसे मिलकर हर बात तुम्हें तुमने तो ये भी नहीं पूछा कभी कि ख़ामोश क्यों हो।

परेशान हर कोई है यहां ! कुछ तो सच में परेशान हैं तो कुछ सच से परेशान हैं।

अब किसी से मोहब्बत करने का रिवाज़ ही नहीं रहा ! हद से ज्यादा चाहो तो लोग मतलबी समझने लगते हैं।  

सबको पसंद आ जाऊं पैसा थोड़े हूं मैं।

“इत्तफ़ाक ” से ही तो हम दोनों टकराए नहीं कुछ तो साजिश इसमें (खुदा) की भी होगी।

जो लोग दिल से उतर जाते हैं उनसे बात करना तो दूर देखने को भी दिल नहीं करता।

इश्क बेरोज़गारों का काम है लेकिन टिकता सिर्फ रोज़गार वालों के पास ही है।

इंसान बहुत कमाल का है ! अगर कोई पसन्द करे तो बुराई नही देखता अगर कोई नफ़रत करे तो अच्छाई नही देखता।

जिन्हें हम ज़हर लगते हैं वो खुद हमे कौन सा‌ गुलाब-जामुन लगते हैं।

अगर इंसान सही है तो इन्तज़ार गलत नहीं।

मोहब्बत दोस्ती के बाद हो सकती है मोहब्बत के बाद दोस्ती नहीं क्योंकि दवा मरने से पहले काम करती है मरने के बाद नहीं।

थोड़ा सा ” ग़ुरूर “भी जरूरी है जीने के लिये ज्यादा झुक के मिलो तो दुनिया पीठ को पायदान बना लेती है।

“चुप”तुमसे कोई”एक” था और चुप तुम “हज़ारों” से हो गए हो ये तो बहुत नाइंसाफी है।

बुढ़ापे मे रोटी आप की औलाद नही आप के दिए “संस्कार” खिलाएंगे।

रातें अकेली अकेली कहाँ होती हैं तुम्हारा ख्याल अक्सर मन में रहता है।

बीच रास्ते में अगर पैट्रोल खत्म हो जाए तो पहिए की हवा भी निकाल देनी चाहिए बेइज्जती कम महसूस होती है।

सोचता हूं कुछ किस्से कहूं फिर सोचता हूं किस-से कहूं।

ख्वाहिशें तो कब की मर चुकी हैं ! बस कुछ ज़िम्मेदारियों ने ज़िंदा रखा हुआ है।

कहीं गुलाल के हिस्से में कोई गाल नहीं कहीं पे गाल की तकदीर में गुलाल नहीं ।

फर्क नही पड़ता कौन आपको पाने के लिए मरता है मायने तो ये रखता है कि आपको कौन खोने से डरता है।

कुछ लोगों को देख कर ” केसे हो ” की बजाये { क्यूँ हो } पूछने का दिल करता है।

जीवन का सबसे कीमती तोहफ़ा एक अच्छा मित्र है ! जो कीमत से नहीं किस्मत से मिलता है।

दूसरा मौका सिर्फ कहानियां देता है ज़िन्दगी नहीं।

कहीं भी जाओ! { कमबख्त } किस्से बीवी के ही हैं कोई ला के रो रहा है तो कोई लाने के लिए रो रहा है।

मित्रो सभी विवाहित यही कहते हैं हमारी शादी को इतने साल हो गए हैं पता ही नही चला मैं सभी अविवाहितों से कहना चाहता हूँ भाई पता चलता है हर रोज़ पता चलता है।

भगवान जी जिन औरतों को खूबसूरती देते हैं उनके पतियों को गंजापन देना नहीं भूलते।

यदि तीज और करवाचौथ जैसे वर्त न होते तो बहुत से लोग यह भी भूल गऐ होते कि वो पत्नी के साथ रह रहे हैं या मालकिन के साथ।

टिकट चेकर – टिकट प्लीज़ लड़की – ये लीजिए टिकट चेकर – ये तो पुरानी टिकट है लड़की – तो ट्रेन कौन सी नई है।

हर मोटा इंसान अक्सर यही सोचता है कि ऐसा क्या खाऊं जिससे मैं पतला हो जाऊं, सोचता वो खाने के बारे मे ही है छोड़ने के बारे में नहीं।

” मनपसंद इन्सान ” साथ हो तो उसकी खामोशियां भी सुनाई देती हैं।

इस बरस फिर से वही मलाल रह जाएगा ! हाथों में तेरे नाम का गुलाल रह जाएगा।

तीस साल के बाद आदमी ख़ूबसूरत या बदसूरत नहीं होता अमीर या गरीब होता है।

मित्रो आज की ये पीढ़ी शायद ही यह विश्वास ना पाए कि हमने वो दिन भी देखे हैं जब “आग” भी एक-दूसरे के घर से मांग कर लाई जाती थी।

आने वाले वक़्त में बीवियां अपने शौहर से कुछ इस तरह लड़ेंगी मेरी तो क़िस्मत ही खराब थी जो आपकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की।

तुम्हारे ( MASSAGE ) आते ही FACE पर SMILE आ जाती है।

बीवी इतनी भी अच्छी नहीं होनी चाहिए कि बन्दे का दिल उस जैसी एक और लाने का दिल करे।

मुसाफ़िर कल भी था मुसाफ़िर आज भी हूं ! कल अपनों की तलाश थी आज ख़ुद की तलाश में हूं।

पापा – फ़ोन बज रहा है तेरी मम्मी फ़ोन क्यों नहीं उठा रही ? बेटा- पापा मैंने मासी का नंबर भुआ के नाम पर सेव किया हुआ है।

दो लाईनें गहराई वाली कुछ रिश्ते हैं इसलिए चुप हैं ! चुप हैं इसलिए कुछ रिश्ते हैं।

सोचते हैं कि सीख लें हम भी बेरुख़ी करना ! सब को मोहब्बत देते देते हमने अपनी क़दर ही खो दी है।

बेटी की शादी अगर अच्छे इन्सान से हो जाए तो बाप को एक बेटा भी मिल जाता है।

ज़्यादा दोस्त होना जरूरी नहीं अच्छे दोस्त होना बहुत जरूरी है।

सिर्फ वजूद ही अलग है मेरा उनसे शामिल तो वो कब से मेरी रूह में ही हैं।

ख़ुशी पता कहां से शुरू होती है ? कि भाड़ में ग‌ए सब।

अपने ही अपनो को अच्छे नहीं लगते ।

देखेंगे ख़फा होकर उनसे भी एक दिन कि उनके मनाने का अंदाज कैसा है।

दिल से अगर साफ़ रहोगे तो कम ही लोगों के खास रहोगे।

मुझसे नफ़रत करने वाले भी कमाल का हुनर रखते हैं मुझे देखना नहीं चाहते और मुझ पर ही नज़र रखते हैं।

कौन कैसा है यही फ़िक्र रही तमाम उम्र हम कैसे हैं ये कभी भूल कर भी नहीं सोचा।

आप कितने भी अच्छे क्यों ना हों ऐसा कभी नहीं होगा कि सब आपसे खुश हों।

अगर मैं कहना छोड़ कर सुनने लगा जाऊं तो समझ लेना कि खो दिया है तुमने मुझे।

कुछ फासले ऐसे होते हैं जो तय तो नहीं होते मगर नज़दीकियाँ कमाल की रखते हैं।

भीड़ बहुत है लेकिन अपना कोई नही।

कम्बख़्त ये एतबार ना होता तो कितना अच्छा होता।

लत तुम्हारी लगी है और इल्ज़ाम आता है मोबाईल पर।

ज़िन्दगी का सफ़र भी कितना अजीब है !बिना कुछ लिए आते हैं हर चीज़ के लिए लड़ते हैं और अंत में सबकुछ छोड़कर चले जाते हैं।

बेहतर होगा कि टूट जाएं वो रिश्ते जिनकी वजह से हम टूट जाते हैं।