मिट्टी के जानकार बाबा दीपक सचदे

बाबा दीपक सचदे जी आज इस भौतिक जगत में नही हैं, लेकिन उनके द्वारा स्थापित काम जगत में बोल रहा है। बाबा दीपक सचदे के खेतों की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन कॉन्टेंट 6 से 7 तक है, यह ICAR के कृषि वैज्ञानिकों ने चेक करके बताया था। प्रकृति में जो मिट्टी निर्माण की प्रक्रिया है जो 400 वर्षों में पूरी होती है उसे बाबा दीपक सचदे ने समझ कर उसे सहज रूप से मात्र तीन महीने में पूर्ण कर लिया …

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हकीकत नेचुरल फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड की हुई पहली वार्षिक आम बैठक

प्रेम माहिया हकीकत नेचुरल फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड हनुमानगढ़ की प्रथम वार्षिक बैठक आज दिनांक 13 सितम्बर 2021 को आयोजित की गयी जो बेहद कामयाब रही। लगभग एक साल के अंतराल से मिले सभी सदस्यों में संस्था की उन्नति को लेकर बेहद उत्साह रहा है इस चुनौतीपूर्ण समय में इस किसान कम्पनी से जुड़े सभी किसान सदस्यों ने अच्छी तरक्की की है और किसान कम्पनी को उपभोक्ताओं का साथ और विश्वास भी मिला है, नये उत्पादक भी किसान कम्पनी से …

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समाज सेवा और सम्मान

नारायणगढ़ सिविल हॉस्पिटल में सुबह आठ बजे मेरे एक मित्र श्रीमान अजय वालिया जी दिखाने के लिए ओपीडी की लाइन में लगने लगे तो उसने देखा कि लाइन अभी लंबी है इधर पेट मे चूहे कूद रहे थे तो अपने से आगे वाले को बोल कर नज़दीक की दुकान से एक सैंडविच और पीने के लिए लस्सी का पाउच ले आये और लाइन की साइड में बैठ कर खाने लगे तभी उनका ध्यान एक आठ साल के बच्चे ने आकर्षित …

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आर्थिक संगठन का स्वरुप कैसा होगा और यह काम कैसे करेगा

आर्थिक संगठन की आत्मा होती है : पूँजी यानि की कैपिटल जो आज हर किसी के पास नही होती है, पूँजी की मदद से ही सभी व्यापारिक गतिविधियाँ चलाई जा सकती है। पूँजी को हाथ में कैश के रूप में नही रखा जा सकता है। इसके लिए एक बैंक खाते की आवश्यकता होती है और वो भी करंट अकाउंट होना चाहिए क्यूंकि हमें ऐसा बैंक खाता चाहिए होता है जिसमें जितनी बार मर्जी लेन देन किया जा सके। बचत खाता …

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शुभ लाभ आर्थिक संगठन

भूमिका हमारा देश असल में एक दुनिया हैं यहाँ आदिकाल से ही पूरे विश्व से शोधार्थी आते रहे हैं और यहाँ से सीख सीख कर ज्ञान और अनुभव पूरी दुनिया में ले जाते रहे हैं। शोधार्थियों के शोध ग्रंथों को पढ़ कर और उनके अनुभवों को सुन कर यहाँ की धन संपदा और वैभव को लूटने के मकसद से यहाँ हमलावर भी आते रहे हैं जिन्होंने हमारी धन संपदा को लूटने के साथ साथ हमारे ज्ञान केन्द्रों जैसे नालंदा और …

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गधे की कब्र और अंधविश्वास का कारोबार

आचार्य रजनीश एक फकीर किसी बंजारे की सेवा से बहुत प्रसन्‍न हो गया। और उस बंजारे को उसने एक गधा भेंट किया। बंजारा बड़ा प्रसन्‍न था। गधे के साथ, अब उसे पेदल यात्रा न करनी पड़ती थी। सामान भी अपने कंधे पर न ढोना पड़ता था। और गधा बड़ा स्‍वामीभक्‍त था। लेकिन एक यात्रा पर गधा अचानक बीमार पडा और मर गया। दुःख में उसने उसकी कब्र बनायी, और कब्र के पास बैठकर रो रहा था कि एक राहगीर गुजरा। …

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निब वाले पेन हमारा बचपन और हम

जब हम स्कूल में पढ़ते थे उस स्कूली दौर में निब पैन का चलन जोरों पर था। तब कैमलिन और चेलपार्क की स्याही प्रायः हर घर में मिल ही जाती थी, कोई कोई टिकिया से स्याही बनाकर भी उपयोग करते थे और जिन्होंने भी पैन में स्याही डाली होगी वो ड्रॉपर के महत्व से भली भांति परिचित होंगे। महीने में दो-तीन बार निब पैन को खोलकर उसे गरम पानी में डालकर उसकी सर्विसिंग भी की जाती थी और लगभग सभी …

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ये कहाँ आ गए हम

शिव शुक्ल किसी दिन सुबह उठकरइसका जायज़ा लीजियेगा , कि कितने घरों मेंअगली पीढ़ी के बच्चे रह रहे हैं ? कितने बाहर निकलकर नोएडा, गुड़गांव,पूना, बेंगलुरु, चंडीगढ़, मुम्बई, कलकत्ता,मद्रास, हैदराबाद, बड़ौदा जैसेबड़े शहरों में जाकर बस गये हैं ? आप एक बार उन गली मोहल्लों सेपैदल निकलिएगा, जहाँ से आपबचपन में स्कूल जाते समय यादोस्तों के संग मस्ती करते हुए निकलते थे. तिरछी नज़रों से झाँकिए हर घर की ओर. आपको एक चुपचाप सी सुनसानियत मिलेगी, न कोई आवाज़, न …

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मेरा 9/11 वाला अनुभव

सन 2001, सितम्बर 11 को शाम साढ़े पांच बजे अहमदाबाद से आश्रम एक्सप्रेस में बैठा था दिल्ली के लिए , उन दिनों नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के साथ मिलकर उत्तर भारत के देहातों में ग्रामीण आविष्कारकों और परम्परागत ज्ञान धारकों को ढूँढने और उनकी जानकारियों का डेटाबेस बनाने का काम शुरू करने के लिए प्रोफेसर अनिल कुमार गुप्ता जी के साथ प्लान फाइनल करने के बाद ट्रेन में सवार हुआ था | पिछले एक वर्ष में इंडियन आर्गेनिक फ़ूड नईदिल्ली में …

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संस्कारों की खेती कैसे की जाती है

सर! मुझे पहचाना?” “कौन?” “सर, मैं आपका स्टूडेंट। 40 साल पहले का “ओह! अच्छा। आजकल ठीक से दिखता नही बेटा और याददाश्त भी कमज़ोर हो गयी है। इसलिए नही पहचान पाया। खैर। आओ, बैठो। क्या करते हो आजकल?” उन्होंने उसे प्यार से बैठाया और पीठ पर हाथ फेरते हुए पूछा। “सर, मैं भी आपकी ही तरह टीचर बन गया हूँ।” “वाह! यह तो अच्छी बात है लेकिन टीचर की तनख़ाह तो बहुत कम होती है फिर तुम कैसे…?” “सर। जब …

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