किसान कम्पनी के शेयर क्या होते हैं और इनका प्रबंधन कैसे करना होता है

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शेयर का मसला समझो

साधारण किसान जैसे ही कम्पनी और शेयर्स का नाम सुनता है तो उसके कान खड़े हो जाते हैं क्योंकि  किसान समाज में शेयरबाजार  को अक्सर लूटमारी और ठगी का अड्डा समझा जाता है और किसान समाज अपने आप को इससे दूर रखता है 

पहले तो आप एक बात अच्छे से समझ लें कि किसान कम्पनी के शेयर्स का शेयर बाजार किसी भी प्रकार का कोई लेना देना नहीं है,  जैसे किसी फर्म में पार्टनर बनते हैं उसी तरह किसान कम्पनी में किसान शेयर खरीद कर अपनी हिस्सेदारी प्राप्त कर सकता है |

शेयर को हम अंश भी कहते हैं , अंश मतलब, वो एक हिस्सा जो,कंपनी का एक आपके पास हैं और यह ज़रूरी नहीं कि यह एक ही हो सकता हैं, बल्कि आपके पास कंपनी के जितने ज्यादा अंश होंगे, किसान कम्पनी में होने वाले लाभ में आपको उतनी ही हिस्सेदारी मिलेगी क्यूंकि साल के अंत में चार्टेड अकाउंटेंट महोदय कम्पनी में प्रति शेयर लाभ की घोषणा करते हैं तो जिस किसान के पास जितने अधिक शेयर होते हैं उसे उतना अधिक लाभांश मिल सकता है | यह किसानों की अपनी मर्जी होती है कि लाभांश को अपने अकाउंट में ट्रान्सफर करवाना है या किसान कम्पनी के और अधिक शेयर खरीद लेने हैं ताकि किसान कम्पनी में हिस्सेदारी बढती रहे | 

sardar gurdev singh saini chairning the meeting of farmers
सरदार गुरुदेव सिंह सैनी जी और ग्वाला सरकार मोहन सिंह आहलूवालिया जी कम्पनी के शेयरहोल्डर किसानों के साथ बैठक करते हुए

एक किसान का एक वोट

एक ख़ास बात नोट करने लायक है कि किसान कम्पनी में हर सदस्य किसान का एक ही वोट होता है चाहे किसी के कितने भी शेयर्स हों सदस्य किसान का एक ही वोट होगा , ऐसा प्रावधान  इसीलिए किया गया है कि  ताकि किसान कम्पनी का कोआपरेटिव करैक्टर बना रहे और सरकारी सुविधाएँ मिल सकें|    

शेयर धारक को शेयर होल्डर कहते हैं 

शेयर वाले मसले को समझने के लिए हमें दो शब्दों पर तीन करना पड़ेगा 

  1. कैपिटल मतलब पूँजी 
  2. औथोराईज्ड कैपिटल मतलब सरकार ने कम्पनी में जितने पैसे इक्कठे करने की अनुमति दी है | 
  3. पेडअप कैपिटल मतलब कितना पैसा इक्कठा हो गया है और शेयर बाँटें जा चुके हैं , ध्यान रखने वाली बात यह है कि पेडअप कैपिटल कभी भी औथोराईज्ड कैपिटल से अधिक नही हो सकती है 

एक उदहारण से समझो

मानिए किसी किसान कंपनी की कुल पूंजी (Total Capital) 10 लाख  रुपये हैं। इस पूंजी(Capital) को 10 रुपये वाले हिस्से में बाँट देने के बाद,तो कंपनी के पास 1 लाख शेयर यानी हिस्से जाते हैं , जिसे वो प्रस्तावित या इच्छुक किसानों जो अंश धारक बनना चाहते हैं को की इच्छा रखती हैं। अब यदि कोई किसान बतौर शेयरहोल्डर 1000 रूपये देकर शेयर लेना चाह रहा तो किसान कम्पनी उस किसान को एक हज़ार रुपये चेक या बैंक ड्राफ्ट (कैश किसी भी सूरत में नही ) लेकर 100 शेयर दे देगी | 

शेयर धारक किसान को लाभ

अब सवाल उठता है कि शेयरधारक बनने से किसान को क्या लाभ मिल सकते हैं ?

  • सबसे पहला अधिकार तो यह है कि किसान अपनी कम्पनी के द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों में  भाग ले सकता है  और किसान कम्पनी द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को ग्रहण कर सकता है जिससे उसकी खेती का खर्च कम हो सकता है और उसकी उत्पादकता और लाभ में बढौतरी हो सकती है | 
  • राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा किसान कम्पनी के माध्यम से दी जा रही सुविधाओं का लाभ उठा सकता है 
  • अपने खली समय में किसान कम्पनी को अपनी सेवाएँ उपलब्ध करवा कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकता है 

शेयर्स प्राप्त करने के बाद किसान को किसान कम्पनी के मेमोरेंडम ऑफ़ एसोसिएशन में वर्णित आर्टिकल ऑफ़ एसोसिएशन में निहित अधिकार भी प्राप्त होते हैं जिनका ब्यौरा नीचे दिया जा रहा है 

  • कंपनी के लाभ में अपना हिस्सा  लेने का अधिकार।
  • लाभांश यानी डिविडेंड को भूगतान के रूप में आय वितरण का अधिकार। यह तब होता हैं जब निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स)  एक निश्चित समय  में चार्टेड अकाउंटेंट के बताने के बाद लाभांश घोषित करते हैं और शेयर होल्डर्स की सलाना बैठक जिसे एनुअल जनरल मीटिंग भी कहते हैं में  शेयरधारकों मंजूरी के बाद  30 दिनों के बाद होना आवश्यक होता है |
  • यदि शेयरधारक जिनके पास Paidup Capital के 10% के शेयर्स हैं, EGM (एक्स्ट्रा आर्डिनरी जनरल मीटिंग  का अनुरोध कर सकते हैं। 
  • परंतु यदि निदेशक मंडल EGM कराने में विफ़ल होता हैं तो शेयरहोल्डर्स खुद EGM बुला सकते हैं।
  • सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण अधिकार हैं वार्षिक आम बैठक में  वोट देने का अधिकार।
  • शेयर होल्डर्स के वोटों की मदद से ही सभी बड़े कार्य निबटाये जाते हैं | 

हर किसान कम्पनी के मेमोरेंडम ऑफ़ एसोसिएशन में वर्णित आर्टिकल ऑफ़ एसोसिएशन में  सभी आंतरिक नियम कानून लिखे होते हैं जिनसे कम्पनी की रोजमर्रा की कारवाई चलती हैं , इसी लिए सभी शेयर होल्डर्स को सलाह दी जाती है कि मेमोरेंडम ऑफ़ एसोसिएशन को अच्छे से पढ़ लें और बार बार पढ़ते रहें |

शेयर अलाटमेंट की प्रक्रिया एक तकनीकी प्रक्रिया है किसान से चेक प्राप्त करलेने से काम ख़तम नही हो जाता है , शेयर्स को अलाट करने के बाद तीस दिनों के अंदर अंदर कंपनी सेक्रेटरी महोदय की मदद से रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनीज को एक सूचना भेजी जाती है उसके बैगैर सब काम अधूरा है और यदि यह काम न किया जाये तो कम्पनी पर जुरमाना लग जाता है | 

इस प्रक्रिया पर आपकी समझ बढ़ाने के लियए एक लेख जल्द ही आपकी सेवा में प्रस्तुत किया जाएगा  

इस विषय में यदि आपको कोई सलाह  करनी हो तो कृपया 9992220655 पर सोमवार से शुक्रवार सुबह 10 बजे से सायं 5 बजे के बीच में कर लें |