नमस्कार,
फ़ूड मानव जीवन का आधार है जिसकी आवश्यकता हमें हरदम पडती ही रहती है और आधुनिक युग में तेजी से भागती दौड़ती जिन्दगी में फ़ूड के बारे में हमारी समझ और जानकारी तेजी से घटी है हम पूरी तरह से फ़ूड कम्पनियों के द्वारा किये गये प्रचार पर निर्भर हो गये हैं और फ़ूड बनाने वाली कम्पनियां हरदम मिथ्या प्रचार करके नये नये प्रकार के फ़ूड हमें परोस रही हैं।
जिसका नतीजा हमें हमारी सेहत में आ रही समस्याओं को देख कर समझ में तो आ जाता है लेकिन हम कुछ कर नही सकते हैं क्यूंकि अब हरेक व्यवस्था हमारे हाथ से बाहर हो चली है।
यही हाल किसानों का है या अन्य उत्पादकों का है, उनका उपभोक्ताओं से सीधा सम्पर्क समाप्त हो जाने की वजह से वे भी अधिक से अधिक रसायनों का प्रयोग करके अपने उत्पादन को मार्किट में पहुंचा देना चाहते हैं जिसकी वजह से जहर से लदे फल सब्जियां सब जगह पहुँच रहे हैं और हरेक उपभोक्ता के मन में यह सवाल रहता है कि पता नही यह खाने लायक है भी या नही।
उदहारण के तौर पर हमसभी जानतें हैं कि हरी सब्जियां जैसे पालक मेथी आदि नेचुरल आयरन से भरपूर होती हैं लेकिन यदि यह सब्जियां सीवरेज या गंदे नाले के पानी से उगाई जा रही हैं तो हमेशा खाने वाले को नुक्सान ही पहुंचाएंगी। हरबार जब भी हरी सब्जी सामने आती है तो मन में यही सवाल उठता है कि क्या यह सब्जी गंदे नाले या सीवरेज के पानी से तो नही उगाई गयी है ? इस बात की तसल्ली करने का हमारे पास कोई तरीका उपलब्ध नही है और हम अँधेरे में और शक शुबह में ही सब्जी खरीद कर खाते रहते हैं ।
इसी तरह मशरूम को उगाने में प्रयोग किये जाने वाले कम्पोस्ट को स्टरलाइज करने के लिए आईसोप्यूट्रान नामक रासयन का प्रयोग कर लिया जाता है और ऐसे मशरूम बाजार में अक्सर मिल जाते हैं। बहुत कम मशरूम उत्पादक ऐसे हैं जिनके पास अपने पास्चुराईज करने के प्लांट हैं। लेकिन वो कौन से मशरूम उत्पादक हैं उनका हमें पता नही लग पाता है और हम बस बिना जानकारी के ही आँख बंद करके उपभोग करते रहते हैं।
यदि खाने वाले को नही पता है तो वो अज्ञानतावश इनका उपयोग भोजन में करता रहता है और अपना शरीर खराब करता रहता है।
इस समस्या के चंगुल से निकलना एक अकेले व्यक्ति के बस में नही है , मैं एक फ़ूड टेक्नोलॉजिस्ट होने के बावजूद इस समस्या के समाधान के लिए आजतक प्रयासरत हूँ लेकिन कभी कोई ऐसा मॉडल सेटअप नही कर सका जिसमें किसान, प्रोसेसर, हैंडलर, कंज्यूमर सभी आपस में पारदर्शिता के साथ जुड सकें और उपभोक्ता को यह कांफिडेंस रहे कि वो सही में अच्छा भोजन खा रहा है । इस मॉडल को सेटअप करने के लिए अपनी सेहत के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं की आवश्यकता पड़ती है जो कम जिओग्राफिक क्षेत्र में फैले हों।
पिछले कुछ समय से मैं हर्मीटेज पार्क प्रोजेक्ट के बिजनेस हेड श्री कमल जिंदल जी के सम्पर्क में हूँ और उनके साथ सेफ फ़ूड विषय पर कई बार विमर्श हुआ है और मैंने अपना यह हाईपोथैटिकल मॉडल उनसे डिसकस किया तो मुझे प्रेरणा दी है कि हर्मीटेज पार्क हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले परिवारों में विषय में वैचारिक विर्मश को चलाया जाने में मेरी मदद करेंगे और हम यह प्रयास करेंगे कि व्यापक विमर्श के बाद सेफ फ़ूड नेटवर्क का एक व्यवाहरिक मॉडल हर्मीटेज पार्क हाउसिंग सोसायटी में प्रायोगिक तौर पर सेटअप किया जाए जो सर्वसुलभ भी हो जिसमें जानकारियों के साथ साथ शुद्ध एवं सात्विक खाद्य पदार्थ भी उपलब्ध कराए जा सकें।
हम करेंगे क्या ?
समय समय पर आपको व्हाट्सएप्प और अन्य माध्यमों जैसे पैम्फलेट आदि से फ़ूड साइंस , न्यूट्रीशन से जुडी वैज्ञानिक और रोचक जानकारियाँ आपके साथ शेयर करेंगे। ऐसे किसान जिनके यहाँ मीठे पानी से सब्जियां उगाई जाती हैं और उनके खेतों से दूर दूर तक सीवरेज का कनेक्शन नही है, वहां पैदा हुई मौसमी सब्जियां उपलब्ध कराई जायेंगी। साफसुथरे और बिना किसी प्रिजर्वेटिव के बने ताजे पदार्थ उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था बनाई जाएगी।
आपके मन उठने वाले फ़ूड एवं न्यूट्रीयशन से जुड़े सभी सवालों के उत्तर देने का प्रयास करेंगे ताकि फ़ूड के विषय में आपकी समझ और गहरी हो ।
आपको क्या फायदा होगा
आप अपने भोजन में प्रयोग में लाई जा रही वस्तुओं के प्रति बहुत अधिक आश्वस्त और कॉंफिडेंट होंगे क्यूंकि आपको पता होगा कि आप क्या उपभोग कर रहे हैं।
प्रिजर्वेटिव रहित ताजे भोज्य पदार्थों के विकल्प आपके पास उपलब्ध होंगे।
फ़ूड के विषय में आपकी समझ में दिन प्रतिदिन वृद्धि होगी और आप वैज्ञनिक समझ से अच्छा जीवन जी सकेंगे।
आप एक बार जुड़ जाईये शेष बातें होती रहेंगी विषय बेहद विशाल और रोचक है ?
जुड़ने के लिए आपको क्या करना है ?
आपसे निवेदन है कि आप नीचे दिए गये फॉर्म को भर दें | जिसकी मदद से हम आपको अपने नेटवर्क में जोड़ लेंगे |
धन्यवाद सहित
कमल जीत
फ़ूड टेक्नोलॉजिस्ट