चाय का विकल्प

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चाय एक ऐसा कलंक है जिससे सभी जान तो छुड़वाना चाहते हैं लेकिन जीवन भर कोशिशे चलती रहती हैं

दफ्तरी काम में चाहो ना चाहों छाती फूंकनी ही पडती है खैर दो जनवरी को मेरी मुलकात श्री राजेन्द्र जैन जी से उनके कार्यालय में हुई और बैठते ही मैंने चाय और चीनी ना पीने का निवेदन कर दिया उन्होंने हँसते हुए कहा कोई बात नहीं कमल जीत जी आपको चाय नहीं पिलायेंगे और उन्होंने तुरंत अपने मातहत को आवाज दी कि सबके लिए आँवला पेय बनाकर लाओ और खंड मिट्ठा कुछ नहीं डालना है बस काली मिर्च दिखा लाना जरी सी

बस उसके बाद मैं थोड़ा परिचय शरीचय देने में मशगूल हो गया और पांच मिनट के बाद दिव्य आंवला पेय के दर्शन हुए मैंने बड़े आंनद के साथ पिया और मुझे ख़ुशी डबल थी एक तो बढ़िया चीज मिली थी पीने को दूसरे एक ऐसी चीज का पता चल गया था जो आगे कलेजा फूंकने से भी बचाएगी

कल सुबह घर से निकला तो दो आंवले जैकेट जेब में डाल के साथ ले गया था और जहाँ छाती फूंकने के बात चली मैं तपाक से आंवला पेश किया और रेसिपी बता दी जो मुझे राजेन्द्र जैन जी ने बताई थी

बड़ी सरल है

गैस पर जितने कप बनाने हैं उतना पानी एक पतीले में चढा दो और आंवला लेकर उसको कद्दूकस कर लो और सारे सौदे सपटे को समेत गुठली पतीले में उबलते पानी में पेल दो पांच सात मिनट में पूरा मामला उबलने लगेगा और आंवले की सौंधी महक पतीले से उठ कर आपको बता देगी कि अब प्रोग्राम सेट हो चुका है फिर भी एक आध मिनट और उबलने दो

फिर इस पूरे सिस्टम को थोड़ी सी कालीमिर्च दिखा दो जिससे एक तो स्वाद बढ़ जाएगा दुसरे मैंने www.sciencedirect.com और कुछ प्रतिष्ठित जर्नल्स में पढ़ा है कि काली मिर्च में मौजूद piprine एक्टिव इन्ग्रेडीएंट आंवले में मौजूद Vitamin C की बायोअवेलबिलिटी को भी बढा देता है

अब विटामिन C को तो आप मेरे से ज्यादा जानते ही हैं

जीवन को सरल और सरस बनाने के लिए चाय चीनी, रीकोंसटीटयूटेड स्टैण्डर्डडाईजेड मिल्क यानि की थैली वाला दूध, सभी तरह के  कोल्ड ड्रिंक रिफाइंड पैकेट बंद (जैसे भुजिया बिस्कुट और इनके सारे भाई बहन मामे चाचे) और प्रोजेर्वेवेटिव से सुरक्षित करके भोज्य से अभोज्य बनाये गए सारे पदार्थों को कोहनी तक की नमस्ते करनी बेहद बेहद जरूरी है

दीनबंधु सर छोटू राम जी ने जनहित में कहा था : ले दुश्मन को पहचान और आज के वक़्त में दुश्मन है अविद्या और अडंगा जिसके ढेर में हम घिरे बैठे हैं और हमारे ही जूते हमारे सर पर खा रहे हैं जिसके पैसे भी हम ही भर रहे हैं

परमात्मा भला करे श्री राजेन्द्र जैन जी का और समय का जो मुझे वहां ले गया