रीड इंडिया संस्था गुरुग्राम के सहयोग से 150 महिलाओं को जड़ी बूटी और खाद्य प्रसंस्करण पर बेसिक ट्रेनिंग और एक आर्थिक संगठन के गठन के उद्द्देश्य से यमुनानगर जिले में एक मूक वैचारिक क्रांति उभर रही है।गांव कस्बे की किसी भी दुकान में गांव का बना हुआ कोई भी सामान नही मिलता। सारा सामान बड़े शहरों में बनी फैक्टरियों से घूमता घमाता कस्बों गांवों के नुक्कड़ की दुकानों में भरा रहता है और सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम खर्चा ही खर्चा करते रहते है।
इसी विचार बीज को लेकर वैचारिक क्रांति की फॉउंडेशन रखी गयी है।महात्मा गांधी जी ने जब डांडी यात्रा करके नमक बनाया था तो देश को यह संदेश दिया था कि हमने नमक जैसी चीज की मैन्युफैक्चरिंग भी अपने हाथ से छूटने नही देनी है।लेकिन समय बीतने के साथ साथ जब हमें आजादी मिली तो हम धीरे धीरे गांधी जी के ग्राम स्वराज से दूर होते चले गए।
मैन्युफैक्चरिंग स्किल्स पूरी तरह से हमारी किताबों और मानस से गायब हो गए और समाज एक डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में तब्दील होता चला गया है।साबुन जैसी एक छोटी सी चीज जिसे हम गांव में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों जैसे नीम, गुलाब, तोरई, तुलसी, अमरूद, व अन्य जड़ी बूटियों को प्रयोग करके बनाया जा सकता है और आपस मे बेचा जा सकता है और जब उच्च गुणवत्ता का स्तर बन जाये तो उसे बड़े शहरों में ब्रांड बना कर भी भेजा जा सकता है।
मौजूदा ट्रेनिंग में 150 महिलाओं को 10 उत्पाद बनाने सिखा कर उनके 10 प्रोड्यूसर ग्रुप बनाने की योजना है जो 10 किलोमीटर क्षेत्र में अपने लिए बाज़ार ढूंढेगा और उच्च गुणवत्ता स्तर हासिल करने का प्रयास करेगा।100 रुपये प्रतिमाह की सीड कैपिटल हर माह इस आर्थिक संगठन में डाली जाएगी और दस लाख रुपये की कैपिटल एकत्र हो जाने तक यह कार्रवाई चलती रहेगी।अभी शुरुआत में संगठन का वैधानिक स्वरूप क्या होगा उसको लेकर मैं मन नही बना पाए रहा हूँ लेकिन आखिर में यह निश्चित ही एक प्रॉपर कम्पनी होगी।
यह निर्णय मैं कभी भी नही लूँगा। हम अपना रोल केवल एजुकेशन और ट्रेनिंग तक ही सीमित रखने वाले हैं क्योंकि जिसकी जो लड़ाई होती है वो उसे खुद ही लड़नी पड़ती है। समाजिक कार्यों और डीलिंग में मुझे इससे बेहतरीन सिद्दांत आज तक कोई नही मिला है।
हरियाणा के स्टार आविष्कारक श्रीमान Dharambir Kamboj जी से बेतरीन प्रशिक्षक इस विषय पर भला कौन हो सकता है और जो खुद एक सेलिब्रिटी इन्नोवेटर होने के साथ साथ अपने क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक संगठन में काम करते हुए देखने का सपना कई वर्षों से देखे बैठे हैं।रीड इंडिया संस्था गुरुग्राम की कंट्री डायरेक्टर मैडम Geeta Malhotra जी ने बताया है कि महिलाओं के द्वारा बनाये गए उत्पादों को बड़े शहरों में बेचने के लिए रीड काउंसिल नाम से एक उपक्रम की स्थापना भी की गई है।
आज के प्रशिक्षण में महिलाओं के द्वारा अपने गांवों में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों की पहचान भी की और एक बायोडायवर्सिटी कांटेस्ट की बात भी चलाई गई है जिसके तहत गांव में खेतों में पगडंडियों के किनारे और इधर उधर अपने आप उगे हुए पौधों पेड़ों झाड़ियों की सूची बनाई जाएगी और उससे क्या क्या उत्पाद बनाये जा सकते हैं उनपर आने वाले दिनों में प्रशिक्षण चलेगा।महिलाओं के आर्थिक उपक्रम को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने के लिए हरको बैंक चंडीगढ़ के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री Rahul Uppal जी की ओर से भी मार्गदर्शन मिला है
जिसे आने वाले समय में कोई न कोई दिशा और ठोस स्वरूप मिल जाएगा ऐसा लगता है।नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के रीजनल डायरेक्टर डॉ अरुण चंदन जी 30 अगस्त को प्रशिक्षण में स्वयं मौजूद रहेंगे और सभी महिलाओं के 2 पौधे और पेड़ जड़ी बूटियों के प्रदान करेंगे। जिनसे आने वाले दिनों में जड़ी बूटी के उत्पाद बना कर गांवों में उपयोग भी किया जाएगा और पैकेज्ड गुड़स भी बनाये जाएंगे।मुझे तो फिलहाल महिलाओं के उत्साह को देख कर यही महसूस हो रहा है कि एक ज़ोरदार अनुभव को हम भी जीने वाले हैं और ग्राम स्वराज्य के प्रैक्टिकल पक्ष को नजदीक से देखने का अवसर मिलने वाला है।