अमरीका की येल युनिवर्सिटी का निकला भारत से कनेक्शन

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अमरीका की प्रसिद्द येल यूनिवर्सिटी ने 16 फ़रवरी को अपने दास व्यापार के साथ रहे सम्बन्ध के बाबत फॉर्मल तरीके से माफ़ी मांगी है और अपने जारी वक्तव्य में कहा है Today we recognize our universities historical role in and associations with slavery and we apologize for the ways that the Yale’s leaders, over the course of our early history participated in slavery.

डेविड डब्ल्यू ब्लाइट नाम के लेखक ने येल और स्लेवरी प्रोजेक्ट पर एक पुस्तक लिखी जिसका नाम है A history, a comprehensive account of Yale’s past.

इसी पुस्तक में एलिहू येल (1649-1721) जिनके नाम से येल यूनिवर्सिटी का नाम रखा गया है के भारतीय कनेक्शन का भी जिक्र किया गया है। एलिहू येल ने अपने जीवन के लगभग 25 वर्ष भारत के मद्रास शहर जिसे अब चेन्नई भी कहा जाता हैं में बिताये और गुलामों के व्यापार से बहुत मोटा माल कमाया।

मेसाचुएट्स से मद्रास तक

एलिहू येल का जन्म अमरीका के मेसाचुएट्स के बोस्टन शहर में एक व्यापारी परिवार में सन 1649 में हुआ था और जब वो तीन साल का था तो परिवार ब्रिटेन में शिफ्ट हो गया साल 1672 में एलिहू येल ईस्ट इंडिया कम्पनी का जूनियर कर्मचारी बन कर मद्रास पहुंचा। थोड़े ही सालों में वो तरक्की करता करता मद्रास का गवर्नर प्रेसिडेंट बन गया और उसने दो टर्म निकाले 1684-85 और 1687 से 92

गुलामों के व्यापार में भागीदारी

एलिहू येल के जमाने में ईस्ट इंडिया कम्पनी बहुत बड़ा व्यापार मद्रास से किया करती थी जिसमें मुख्य मसाले और कपडे का व्यापार हुआ करता था। इसके अलावा कम्पनी गुलामों का भी व्यापार किया करती थी एलिहू येल ने अपने कार्यकाल के दौरान हुए मानव व्यापार के खाते कभी भी रिकार्ड में नहीं रखे।

इतिहासकार जोसफ यानीईली लिखते हैं कि साल 1680 में एलिहू येल सेंट जोर्ज किले की गवर्निंग कौंसिल का सदस्य हुआ करता था तो एक अकाल पड़ा जिससे स्थानीय इलाके में लोग भूखों मरने लगे और गुलाम बनने के लिए आने लगे। इस अवसर को एलिहू येल और अन्य अधिकारियों ने भुनाया और गुलामों को खरीद कर एक दूसरी इंग्लिश कोलोनी सैंट हेलेना में भेजने लगे।

एलिहू येल ने इस काम से कितने पैसे बनाये इसका कोई रिकार्ड नहीं है लेकिन मद्रास में मौजूद गवर्नर प्रेसिडेंट ने गुलामों के व्यापार में एलिहू येल की भागीदारी को माना और इस बात में कोई शक नहीं है कि एलिहू येल की अकूत सम्पति जिसमें से कुछ हिस्सा येल यूनिवर्सिटी की स्थापना में भी जरूर काम आया होगा ।

एक पुरानी पेंटिंग ने दिया सबूत

येल सेण्टर फॉर ब्रिटिश आर्ट को साल 1970 में एक दुर्लभ पेंटिंग डोनेट की गयी जिसमें चार गोरे एक मेज पर बैठे हैं। एक काला बच्चा उनके टेबल पर पड़े गिलासों में शराब परोस रहा है। बालक अफ्रीकन है या भारतीय यह पता लगाना थोडा मुश्किल है। लेकिन बालक के गले में पड़ा सिल्वर पट्टा इस बात का पुख्ता सबूत है कि बालक को गुलाम बनाया गया है।

एलिहू येल को साल 1692 में गवर्नर के पद से भ्रष्टाचार करने के आरोप में हटा दिया गया था लेकिन वो साल साल भारत में ही पड़ा रहा। साल 1699 में इंग्लैंड वापिस लौटा उस वक़्त वो इतना अमीर हो चुका था कि लन्दन के नामी गिरामी बड़े लोगों में उसकी गिनती होने लगी।

वो अपनी छवि सुधारने के मकसद से अमरीका के कोंनीकट के न्यू हेवन स्थित कोलिगिएट का सबसे बड़ा दानी बन गया यह स्कूल 1701 में बना था लेकिन इसे कहीं से फंडिंग नहीं मिल रही थी। साल 1723 तक एलिहू येल ने इस स्कूल को बहुत सारा धन पुस्तकें और किंग जोर्ज 1 की पेंटिंग भेजी जिसे बेच कर धन एकत्र किया गया और कोंनीकट स्कूल ने एक नये भवन का निर्माण किया। जिसे बाद में येल कोलेज कहा गया जो आगे चल कर येल विश्विधालय बन गया।