मनुष्य के दस महत्वपूर्ण कर्तव्य

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धर्म का एकमात्र अर्थ केवल कर्तव्य ही होता है न कि उपासना पद्दति , हिन्दू सनातन मत विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक व्यवस्थाओं में से एक है, आइये जानें सनातन मत के अनुसार हमारे क्या क्या कर्तव्य हैं |

सनातन मत एक वैज्ञानिक व्यवस्था पर मनीषियों द्वारा बहुत लम्बे समय के चिंतन और मनन के बाद स्थापित हुआ है , अक्सर हिन्दू धर्म को पूजा पद्दति के तरीके से देखा जाता है और इस विषय पर चर्चा का स्कोप खत्म कर  दिया जाता है | धर्म मेरा बड़ा रोचक विषय रहा है

आर्यसमाज से सम्पर्क में आ कर मैंने बचपन में ही एक बात तो अच्छे से समझ ली थी के धर्म का अर्थ केवल और केवल कर्तव्य है ड्यूटी है इसके अलावा कुछ नहीं है | हम सभी यदि अपने कर्तव्यों के प्रति पाबन्द रहें तो यह दुनिया एक बेहतर जगह बन सकती है सभी जीवों के लिए |

हमारी उपासना पद्दति कोई भी सकती है , हमारे इष्ट अलग अलग हो सकते हैं , हमारा खानपान भी अलग अलग हो सकता है लेकिन हम सभी इतने विभिन्न  कारको के होते हुए भी अपने अपने कर्तव्यों से बंध कर एक सस्टेनेबल व्यवस्था स्थापित कर सकते हैं |

सनातन संस्कृति के अनुसार यदि जीव निम्नलिखित दस कर्तव्यों का पालन करता है तो उसका जीवन तो सुखमय होगा ही इसके अलावा पूरी पृथ्वी एक स्वर्ग के समान बनाई जा सकती हैं | 

  1. स्वयं के प्रति कर्तव्य 
  2. परमात्मा के प्रति कर्तव्य 
  3. पूर्वजों के प्रति कर्यव्य 
  4. आने वाली पीढ़ी के प्रति कर्तव्य 
  5. साथ में रहने वाले मनुष्यों के प्रति कर्तव्य 
  6. दुसरे जीवो के प्रति कर्तव्य 
  7. समाज के प्रति कर्तव्य 
  8. नैतिक कर्तव्य 
  9. व्यावसायिक कर्तव्य 
  10. दूसरों के मत विश्वास के प्रति कर्तव्य 

कर्तव्यबोध मनुष्य के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है , यदि यह सही समय पर हो  जाए तो मनुष्य का जीवन काफी व्यवस्थित और जीवन शैली काफी हद तक सुचारू हो सकती  है | चर्चा एक  महत्वपूर्ण टूल है इसे समय समय पर करते रहना चाहिए इससे सम्बंधित विषय पर काफी प्रकाश मन के अंदर हो जाता है |