रिफाइंड तेल की कथा कहानी

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बात सन 1985 के आस पास की है जब रामायण के एपिसोड में मैंने सफोला करडी के तेल का विज्ञापन देखा जिसमें हार्ट अटैक होता आदमी और एम्बुलेंस के सायरन की आवाज सुनाई दी और यह दावा किया गया कि अब सफोला का तेल आ गया है और अब हार्ट अटैक नहीं होंगे। याद तो आपको भी होगा हेल्दी ऑयल फॉर हेल्दी पीपल : सफोला शुद्ध करडी का तेल

लेकिन आप सभी जानते ही हैं सफोला के बाद उसका भाई,बाप,चाचे का लड़का, बुआ का लड़का और मासी दा मुंडा आदि सारे दुनिया भर के रिफाइंड मार्किट में आ गये और बारी बारी हमने बरत के भी देख लिए लिए लेकिन हार्ट अटैक कितने गुना बढ़ गये आप और हम सभी जानते हैं। सब कोई न कोई अपना अजीज खोये बैठे हैं।

बीमारियों की ओरिजिनल कहानी

पूरी दुनिया का स्वयंभू पिता जी ” मरीका” यानि कि अमेरिका सबसे ज्यादा सोयाबीन नामक फसल का उत्पादन करता है। खुद खाने की लिए नहीं, हमें खिलाने के लिए भी नहीं, अपने देश के सूअरों यानि पिग्स को पलाने के लिए। सूअर भी तो मरीका के हैं वेरी वेरी स्पेशंल हैं सीधे सोयाबीन थोड़ी ना खायेंगे उनको इसके केक चाहिए, सोया केक

तो लीजिये भाइयों बहनों मेरे जैसे पढ़े लिखे फ़ूड टेक्नोलॉजिस्टो ने जब प्रयोगशाला में सोया केक बनाया तो उनके हाथ केक साथ तेल का एक कुआं भी लग गया और कुआं क्या लगा कसम से लाटरी लग गयी। दुनिया में मार्केटिंग और समान बेचने का एक सबसे पुराना हथियार है एक स्टोरी गढ़ना और फिर उस स्टोरी को बेचना ( ये काम मैं भी करता हूँ लेकिन सिर्फ और सिर्फ अपने देश और देश वासियों के हित में )

तो जनाब एक स्टोरी गढ़ी गयी और हार्ट अटैक का डर दिखा कर “साल्वेंट एक्सट्रैक्शन विधि ” से तेल निकाल कर मशूहूरी के जरिये आपके रसोई घर में पहुँच गया रिफाइंड।


साल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्रोसेस

नाम सुनने में जितना आकर्षक काम उतना ही रद्दी है जनाब साल्वेंट को आप घोलक बोल सकते हैं, रिफाइंड तेल निकलने के लिए दुनिया में एक यूनिवर्सल घोलक का प्रयोग किया जाता है “एन हेक्सेन “ ये एन हेक्सेन पेट्रोलियम रिफाइनरी में पेट्रोलियम साफ़ करते समय एक बाय प्रोडक्ट के तौर पर बाहर निकलता है। हवा के संपर्क में आते ही यह गैस भी बन सकता है।

वर्ष 2001 से अमरीका में इसे खाने पीने के सामान बनाने के प्रोसेस से दूर रखने का हुकम सुनाया हुआ है क्यूंकि यह साबित हो चुका है कि इससे कैंसर होता है | इसकी हलकी मात्रा खाने में आ जाये तो निम्लिखित उपलब्धियां हो सकती हैं :
अनिद्रा , यूफोरिया , मस्कुलर डिसट्राफी , नर्वस कोर्डिनेशन में कमी इनमें से कोई ना कोई सबके साथ लगा ही होता है।

अब मैं शोर्ट में आपको साल्वेंट एक्सट्रैक्शन विधि से रूबरू करवा देता हूँ ।

रिफाइंड तेल बनाने के लिए निम्नलिखित बीजों में से कोई एक बीज होना चाहिए अपने पास

  • कैनोला Canola
  • सोयाबीन Soybean
  • मक्का Corn
  • सूरजमुखी Sunflower
  • कुसुम Safflower
  • मूंगफली Peanut
  1. बीजों को छील छाल कर, धुल मिटटी हटा कर पीसने के लिए तैयार कर लिया जात है
  2. बीजों को पीस कर 110 से 180 डिग्री सेल्सिअस पर स्टीम बाथ देकर तेल निकालने के लिए रेडी किया जाता है
  3. अत्त्याधिक दबाव और घर्षण वाले रास्ते से बीजों को गुजरा जाता है जिससे तेल पल्प से अलग होने की स्थिथि में आ जाता है
  4. अब इस पिलपले पल्प को एन हेक्सेन जो कि लिक्विड अवस्था में पड़ा होता है के अंदर उपर से धीरे धीरे करके गिराया जाता है और एक सटीरर के जरिये इस मिश्रण को घुमाते रहते हैं पेट्रोलियम से अलग हुआ एन हेक्सेन अपने अंदर तेल को समाने के लिए बेकरार होता है और देखते ही देखते पल्प में से बूँद बूँद तेल सारा एन हेक्सेन के अंदर समा जाता है सेंट्रीफ्यूज विधि से एन हेक्सेन और पल्प को अलग कर लिया जाता है जो पल्प बचता है उसे सोया केक बनाने के के लिए छोड़ दिया जाता है और एन हेक्सेन में घुला हुआ तेल अब हमारी रसोई तक के सफ़र में आगे चल पड़ता है
  5. अब वाटर डीगुममिंग (Degumming) विधि के जरिये एन हेक्सेन में घुले हुए तेल में एक चिपचिपा पदार्थ होता है लेसिथिन उसे अलग करने के लिए घुले हुए मिक्सचर में पानी की धार मारी जाती है और सेंट्री फ्यूज प्रक्रिया से भी इस घुले हुए मिक्सचर और पानी को निकलते है इससे हाइड्रेटेड फासफयीड नीचे बैठ जाते हैं और कीचड की शक्ल में द्रव से अलग हो जाते हैं | इसी कीचड से बाद में लेसिथिन बनता है और आपकी प्यारी टोफियों का सामान
  6. अब घुले हुए द्रव में कास्टिक सोडा (साबुन बनाने वाला ) और सोडियम कार्बोनेट आदि घोले जाते हैं ताकि इस द्रव में फैटी एसिड , फोस्फोलिपिड्स , पिगमेंट्स मोम आदि हो तो वो निकल आये जिससे आयल में आगे जा कर किसी प्रकार का ओक्सिडेशन या गन्दी स्मेल आदि ना उत्पन्न हो | इस प्रक्रिया को प्यार से न्युट्रालिज़ेशन कहते हैं एक बार फिर टैंक में नीचे कीचड जमा हो जाता है जिसमें उपरोक्त सभी पदार्थ जमे रहते हैं
  7. अब तेल को ब्लीच (रंग काट ) करने के लिए तुरंत गर्म किया जाता है और फुल्लर अर्थ ( एक प्रकार की मिटटी ) , एक्टिवेटिड कार्बोन और एक्टिवेटिड मिटटी पर गिराया जाता है जिससे तेल के अंदर मौजूद सभी प्रकार के रंग छूट जाते हैं और आपका तेल चमकदार अवस्था में दिखाई देने लगता है
  8. इस तेल में अभी भी एन हेक्सेन घुली हुई होती है इसमें सबसे पहले सिट्रिक एसिड मिलाते हैं ताकि ताम्बे और लोहे का कोई अंश मौजूद हो तो वो नीचे बैठ जाए उसके बाद इस तैलीय द्रव पदार्थ को 500 डिग्री मीलार्ड नोट किया जाए 500 डिग्री पर गर्म किया जाता है और एन हेक्सेन जो घुली होती हो वो बेताल के जैसे उड़ कर वापिस गैस अवथा में ऊपर उड़ जाती है और नीचे रिफाइंड तेल बच जाता है
    इस रिफाइंड आयल में फ्री रेडिकल्स बहुतायत मात्रा में मिलते हैं और ये ही फ्री रेडिकल्स हमारे शरीर में पहुँच कर भिन्न भिन्न प्रोटीन्स , लिपिड्स और शुगर्स के साथ मिल कर पता नहीं क्या क्या बनाते हैं और शरीर का थर्ड डिग्री ट्रीटमेंट अंदर से चालू रहता है

आज के दौर में कानूनी कण्ट्रोल

खाने के तेल पर जबरदस्त कानूनी शिकंजा कसा हुआ है जिसे समझने के लिए कई सारे मसलों को समझना पडेगा। जैसे एक बड़ा ही खूबसूरत शब्द है ब्लेंडिंग जिसे मैं सरल भाषा में कहूं तो मिलावट 1990 के दशक से भारत सरकार ने चुपके चुपके सरसों के तेल में ब्लेंडिंग की परमिशन दे रखी थी जिसके चलते तेल बनाने वाली कम्पनियां सरसों के तेल की बोतल में 70% से अधिक पाम आयल जैसा घटिया या फिर कोई भी तेल जैसे रिफाइंड आदि की ब्लेंडिंग कर सकती थी हम बाज़ार से ब्रांडेड तेल की बोतल लेकर आते थे और अपनी नसों में जहर भरने लगते थे

भारत सरकार ने अपनी इस नीति को इसी साल जून में बंद लिया है सम्बंधित खबर इस लिंक पर पढ़ें । आप ऐसा कतई ना समझें के आप पर या आपके परिवार पर व्यवस्था को तरस आ गया है और उन्होंने यह ब्लेंडिंग की नीति बंद कर दी है दर असल पिछले कुछ सालों में कानूनी शिकंजा कसके सभी तेल के कोल्हुओं और कच्ची घानियों को फ़ूड सेफ्टी के नाम पर बंद करवा दिया गया है ।

कोई भी कोल्हू आज की तारीख में चल नही रहा है इसके चलते कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए पूरा मैदान साफ़ है और वो जैसे चाहे बिजनेस का पूरा शेयर ले ले और क्वालिटी के नाम पर हमें जो मर्जी खिलाये हमारी समझ में तो वैसे भी न पहले कुछ आया था और ना आगे कुछ आना है उन्होंने सबकुछ घुमा फिरा कर ही बताना है

क्या हम कुछ कर सकते हैं ?

हाँ भाई कुछ कर सकते हैं लेकिन अकेले अकेले नही क्यूंकि जिसे रास्ता मालूम है उसके पास ताकत सीमित है और जिन्हें रास्ता नही मालूम है उन्हें रास्ता खोजते खोजते जीवन बीत जाएगा यदि कुछ उपभोक्ता परिवार चाहें तो एक क्लोज नेटवर्क बना कर अपने इंटरनल यूज के लिए एक कोहलू और कच्ची घानी से जुड़ सकते हैं और सदा सदा के लिए अपनी शुद्ध खाद्य तेलों की आवश्यकताओं की पूर्ती कर सकते हैं सेफ फ़ूड नेटवर्क भी इसी व्यावाहरिक सोच के साथ लक्ष्य पूर्ती की दिशा में आगे बढ़ रहा है क्यूंकि यह वो दौर है जिसमें यदि हम नहीं संभले तो फ़ूड से जुडी समस्त जानकारियाँ, कला और ज्ञान सारा कॉर्पोरेट कम्पनियां भुलवा देंगी और फिर गुलामी का एक अंतहीन दौर शुरू होगा जिसे काट पाना किसी के लिए संभव नही होगा

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