बाबा नानक के खोजे सिद्दांतों पर प्रैक्टिकल कर रहे हैं सरदार राजिंदर सिंह जी

17 / 100

श्रीमान राजेन्द्र सिंह जी इंदौर वाले एक श्रेष्ठ मित्र रत्न हैं जिनकी प्राप्ति सोशल मीडिया मंथन से हुई है। जीवन में मुलाकात बस एक आध बार ही हुई है लेकिन ऐसे लगता है कई जन्मों का साथ है।

मानवीय गुणों से भरपूर राजेंद्र सिंह जी भारतीय रेलवे में बतौर गार्ड सेवाएं दिया करते थे और जीवन में कुछ और अच्छा करने  के उद्देश्य से इन्होंने अपने परिवार के साथ बैठ कर एक कैल्कुलेशन की जिसमें VRS लेने पर पेंशन के साथ इतने एक बेनेफिट मिल सकते थे कि आगे जीवन में गुजारा ठीक हो सकता था।

rajinder singh web

परिवार को सरदार जी घर में मिल रहे थे जो पहले महीने में एक आध बार ही मिल पाते थे उन्होंने बाकी सब गुणा भाग पर ध्यान ना देते हुए हाँ हाँ बोल दी। फिर एक दिन फेसबुक में सरदार राजिंदर सिंह जी की एक तस्वीर नज़र आई जिसमें उन्होंने बहुत सारे हार पहने हुए थे और साथ में परिवार भी था जो उन्हें महकमे से VRS दिला कर घर ले आया।

सरदार राजिंदर सिंह जी का परिवार सिंधी सिखों के कुल से सम्बन्ध रखता है जो गुरु नानक देव जी के समय से सिख विचारधारा से जुड़ा हुआ है। जिसका असर इनके व्यवाहर और सोचनी में पूरी तरह से झलकता है। ये सभी महापुरुषों के बताए हुए अनेक महान  जीवन सूत्रों को जीवन मे उतार कर प्रयोग करके उसका अभ्यास करते रहते हैं और इनके एक्शन से मालूम चलता है कि इनकी वैचारिक डेप्थ कितनी है।

पिछले कुछ समय मे इन्होंने लगभग साढ़े आठ हज़ार पेड़ों को मरने से बचाया है।

कैसे?

ये शहर में से एक इलाका चुनते हैं और उसे स्कैन करते हैं और उसमें से पेडों की लिस्ट बनाते हैं जिनके साथ धक्का हो रहा होता है जैसे उसको ईटों के खडंजे या  पेवर ब्लॉक से जूड़ा हुआ है या जो ट्री गार्ड उसे बचाने के लिए लगाए गए थे वो आज उसमें फंस चुके हैं और पेड़ों को चौबीस घंटे हथकड़ी पहनने जैसी फीलिंग आती है।

सभी पेडों की लोकेशन और स्थिति सहित लिस्ट बनाने के बाद वो उस इलाके में नियुक्त सरकारी कर्मचारी जिसे अंतर्गत वो क्षेत्र और पेड़ आते हैं के पास जा कर अपने सदव्यवहार और मीठी वाणी बोल बचनों से उसके हृदय का द्वारा खोल कर उसमें पेडों के हित हेतु जो कार्य किया जा सकता है उसे अर्जी के रूप में रख देते हैं।

303173582 5492277977504772 422658960738479190 n

इनके मोह पाश से आजतक कोई अधिकारी बचा नहीं है, वो अधिकारी जैसे ही अपनी शक्तियों का प्रयोग करके पेड़ों की रक्षा और साज संभाल का काम शुरू करता है तो ये अपने प्रेस नेटवर्क को एक्टीवेट करके उस अधिकारी द्वारा करवाये जा रहे कार्य को प्रेस में छपवा देते हैं जिसमें स्थानीय लोगों द्वारा अधिकारी और महकमे की सच्ची तारीफ लिखी होती है।

बस अगले कुछ दिनों में सरकारी सेना सारे काम को उम्मीद से भी अधिक दर्जे पर निबटा डालती है। सरदार राजिंदर सिंह जी इस प्रयोग को अनेकों बार दोहरा चुके हैं और सारे इंदौर के अधिकारी इंतज़ार करते हैं कि सरदार जी उनके पास चाय पीने कब आये और इनकी मीठी वाणी से आदेश ग्रहण करें।

304445237 5492277254171511 7449020791850119346 n

महीनों से खराब रेलवे एस्कालेटर को कराया ठीक

एक बार की बात है कि सरदार राजिंदर सिंह जी किसी सज्जन को स्टेशन पर छोड़ने गए तो वहाँ का स्वचालित सीढ़ियों वाला एसकेलेटर खराब था तो उसपर सीढियाँ चढ़ कर पुल पार करके जाना पड़ा।

कुछ दिन बाद दोबारा उधर जाना हुआ तो स्थिति ज्यों की त्यों थी बूढ़े बुजुर्ग खज्जल हो कर सिस्टम्स को कोसते हुए सीढ़ियों पर रगड़े खाते हुए अपने कर्मों को रो रहे थे।

सरदार जी का संवेदी दिल तुरन्त ही मेल्ट होकर खौलने लगा और घर वापिस आ कर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को आँखों देखा हाल प्रेषित कर दिया और वहाँ से सिस्टम एक्टीवेट हुआ और कुछ ही घंटों में रेलवे इंजिनियर की टीम एक पुर्जे के इंतज़ार में महीनों से बैठी थी उन्होंने हाथों हाथ उसे मंगवा कर एसकेलेटर को चालू कर दिया जिसकी खबर इन्हे अपने नेटवर्क से उसी समय मिल गयी थी जब कुछ घंटों के बाद ही स्वचालित सीढ़ियों पर कर्मचारी अपने औजार लेकर खड़े दिखाई दिये थे।

सरदार राजिन्द्र सिंह जी ने इंदौर के पास एक कृषि योग्य जमीन भी खरीदी है और उस पर जैविक खेती करके परिवार के जरूरत की सभी चीजें वहां करने का प्रयास कर रहे हैं। इन्होंने कृषि भूमि पर एक छोटी से आवसीय व्यावस्था करके खेत पर ही शिफ्ट हो गए हैं।

खेत मजदूर का कराया दस लाख का बीमा

इनके खेत पर जो सहयोगी है उसका नाम जितेन्द्र है उसके रहने की एक अच्छी व्यवस्था इन्होने उसे बना कर दी है और उसे वोर्किंग पार्टनर का पद भी दिया है उसकी सोशल सिक्यूरिटी हेतु पोस्ट ऑफिस स्कीम में उसका और उसकी पत्नी का दस लाख रुपये का इंश्योरेंस करवा दिया है और इसके अलावाऔर सभी सरकारी स्कीमें जिसमें वो और उसका परिवार लाभार्थी हो सकता है का लाभ उसे दिलाया है। इसकी प्रेरणा वो अपने अन्य साथी किसानों को भी देते हैं ताकि खेत पर काम करने वाले मजदूरों का भविष्य सुरक्षित बने।   

सड़क पर रहने वाले कुत्तों के प्रति संवेदनशीलता

सड़क पर कुत्तों की सेवा के प्रति लोगों में जगरूकता फैलाने वाली संस्था Dogitization के स्वयं सेवक भी हैं। जहाँ कहीं जन और जीव हित की कोई भी बात कहीं किसी भी वजह से रुकी पड़ी है वहाँ खालसा जी घुस कर सवा लाख वाला काम कर डालते हैं।

सरदार राजिंदर सिंह जी कहते हैं कि शहरों को स्मार्ट सिटी बनने के अभियान ने गली मोहल्ले के कुत्तों पर बेहद नकारात्मक प्रभाव डाला है।  पहले इंदौर शहर में लोग अपने घरों के बाहर ही बर्तन रखा करते थे जिसमें वो घर का बचा खुचा खाना डाल दिया करते थे और कुत्ते अपनी अपनी ज्यूरीडिक्शन और पॉवर के मुताबिक वहाँ से खाते रहते थे।

चकाचक साफ़ सफाई की प्राप्ति के लिए इंटरनेशनल स्तर की कूड़ा प्रबंधन प्रणाली विकसित की गयी है जिसमें सूखा कूड़ा गीला कचरा और काँच पाँच अलग अलग एकत्र किया जाता है।  नियम ऐसे सख्त हैं कि आप अपने घर के बाहर एक रोटी तक नहीं रख सकते है कि कुत्ता उसे खा सके। एक रोटी घर के बाहर रखने पर चालान की व्यवस्था है।

क्योंकि किसी पाषाण हृदयी ने ही स्मार्ट सिटी का परफॉर्मा और पैरामीटर तैयार किया है उसमें गली मोहल्ले के कुत्तों के लिए कोई जगह नहीं है।  नतीजा क्या है पिछले कुछ समय में इंदौर शहर में डॉग बाईट  के मामलों में भयंकर इजाफा हुआ है। कुत्ते भूखे मरते हैं और फिर परेशान होकर लोगों को काटते हैं।

डौगीटाईजेशन संस्था के साथ मिलकर सरदार जी इंदौर शहर के नागरिकों को गली के कुत्तों के प्रति संवेदी बनाते हैं और उनकी जागरूकता का स्तर बढाते हैं। स्मार्ट सिटी प्रबंधन करने वाले अधिकारियों से भी इस विषय में इनका पत्राचार चलता रहता है । इनकी जीवन संगिनी चंचल कौर जी का भरपूर स्पोर्ट इन्हे इनके हरेक कार्य में मिलता है।

बहुत सामान है भाई और क्या क्या लिखूँ, इनके फेसबुक प्रोफाइल का लिंक दे रहा हूँ समय मिले तो चक्कर काट आओ

https://www.facebook.com/RAJENDRASINGHRATLAMWALA

बड़ा ही आनंद मिलेगा।