ज्योतिष और खपीटर

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एक बार गाम में एक ज्योतिष नै एक कमरा किराए पे ले लिया और डेली गाम के जिज्ञासु कट्ठे कर लिया करता और तरह तराह की बात बताया करता।

एक दिन कसूती भीड़ कट्ठी हो रही थी और ज्योतिष बोल्या भाई पुनरवासी के दिन जे किसे भाई ने नीलटांच पक्षी दिख ज्या ते उस भाई न जीते जीते किसे भी चीज़ का तोडा नही रहवेगा। अर मरे पीछे सीधा स्वर्ग में जा गया। एक खपीटर भी उड़े खड़ा खड़ा उसकी बात सुने था।

अगले दिन वो खेत का काम अधूरा ऐ छोड़ के यो सोच के जंगल की ओर चाल पड्या अक किते नीलटांच दिख ज्या ते मेरा इस जन्म का दरिदर कट जाग्या। अगले जन्म में भी मौज हो जायगी। खपीटर ने सारा दिन जूते तोड़ लिए लेकिन नीलटांच का किते नामो निसान नही दिखा।

हार के अँधेरा होण पे अपना लटका हुआ मुहँ ले के घर की ओर चाल पड्या। रास्ते में एक नाले धोरे एक मरी हुई नीलटांच खपीटर नै मिलगी। मरी हुई नीलटांच नै देख कै खपीटर सोचन लाग्या ज्योतिष न न्यू ते बताई नही के नीलटांच जिन्दी देखन का फायदा होगया या मरी देखन का।

खैर घनी ऐ देर खड़या खडया सोचता रह्या, फेर वा मरी हुई नीलटांच ठा के ने कुर्ते की गोज में घाल के सीधा ज्योतिष के घरां पोहच गया उड़े कसूती भीड़ कठ्ठी हो रखी थी और सबते आगे आ के ज्योतिष टोक लिया और बोल्या

महाराज ज्योतिष जी न्यू ते बताओ के नीलटांच जिन्दी देखनी का फायदा होवेगा या मरी होण देखन का भी हो सके है ?

ज्योतिष बोल्या भाई नीलटांच कति जिन्दी होनी चाहिए ,मरी हुए नीलटांच देखन आले का ते कति नाश हो जाग्या

ज्योतिष की बात सुन के खपीटर वो मरी हुई नीलटांच कुर्ते की गोझ में ते काढ के बोल्या रै ज्योतिष जी माहरा ते जितना नाश होना था हो लिया होगा

ले बेटा ज्योतिष तू भी इस मरी हुई नीलटांच ने देख ले और ले नास के मजे मरबटे