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सर रिचर्ड टेंपल के दो गुप्त पत्र

जुलाई 1879, पूना

सर रिचर्ड टेंपल (Sir Richard Temple) भारत के मशहूर लोक सेवक रहे हैं जिन्होंने 1847 से 1880 तक अपनी सेवाएं दी जिनमें पंजाब, सेंट्रल प्रोविंस और बंगाल में इनका कार्यकाल रहा।

इनके कार्यकाल का सबसे स्वर्णिम दौर साल 1877 से 1880 तक का था जब ये बॉम्बे के कमिशनर के पद पर थे।

उस दौर में भारत के वायसराय लॉर्ड लिट्टन (Lord Litton)vको इन्होंने दो गुप्त पत्र लिखे थे जिनमें बहुत सारी ग्रामर की गलतियाँ थी। इन गलतियों का कारण यह था कि ये दोनों पत्र इन्होंने बड़ी जल्दी और भागम भाग जैसी स्थिति में लिखे थे।

इस भागम भाग का कारण था कि थोड़े दिन पहले साल 1875 में ही बॉम्बे प्रेसिडेन्सी के अंतर्गत आने वाले जिलों अहमद नगर पूना सतारा में किसान बड़ी दिक्कत में आये हुए थे और कई जगहों पर किसानों ने हालातों से तंग आकर झगड़े भी कर दिये थे जिन्हे सरकारी रिकार्डों में दंगे कहा गया।

साल 1876-77 में दक्कन के इलाके में प्लेग, स्माल पॉक्स और कोलेरा आदि बिमारियाँ बड़े स्तर पर फैली और बहुत लोग मारे गए जिस चक्कर में कृषि कार्य बाधित हो जाने से अकाल भी पड़ गया।

सर रिचर्ड टेंपल ने वायसराय लॉर्ड लिट्टन को अपने द्वारा लिखे गुप्त पत्रों में किसानों की मनोदशा और उससे पड़ने वाले दूरगामी प्रभावों के बारे में अंदेशा जताया गया था।

ब्रिटिश सरकार ने एक इंकवायरी कमीशन का गठन किया और उसी की रिपोर्ट के आधार पर ब्रिटिश पार्लीयमेंट ने डेक्कन एग्रीकल्चरिस्ट एक्ट (Deccan Agriculturilst Act) 1879 पास किया।

एक्ट का एकमात्र उद्देश्य किसानों को लगान के भुगतान और कर्जे की मार से बचाना ही था लेकिन एक्ट के आते आते बहुत देर हो चुकी थी।

लोगों का तेल हालातों ने निकाल दिया था और बगावत के सुर कई जगहों पर फूटने लगे थे। एक साधारण से ब्राहमण वासुदेव बलवंत फड़के ने खूनी बगावत कर भी दी थी।

जिसका कारण सर रिचर्ड टेंपल ने अपने पत्र में बताया कि लोगों में बाहरी लोगों के द्वारा राजपाट के काम किये जाने का भारी रोष है।

साल 1818 में जब ब्रिटिशर्स ने पेशवा राज का अंत किया तो प्रचार तो यही किया कि मुसलमानों के राजभाग का अंत ब्रिस्टिशर्स ने किया है जबकि बॉम्बे प्रेसिडेन्सी के सयाने लोग यह समझते बूझते और जानते हैं कि राज तो असल में मराठाओं का ही अंग्रेजों ने खतम करके छीना था।

यह बात सर रिचर्ड टेंपल ने एक दम सही पकड़ी थी।

चूंकि रिचर्ड टेंपल एंग्लो सिख वार का अनुभव साक्षात देख चुके थे और इनके कार्यकाल में ही खालसा राज को ब्रिटिशर्स ने हजम कर लिया था और पूरे पंजाब को निगल लिया था।

इसीलिए उन्हें अपने अनुभव से दूर अंदेशी थी। सर रिचर्ड टेंपल ने लॉर्ड लिट्टन जी को अपने पत्रों ने सिर्फ समस्या बताई अपितु समस्या की वजह भी साफ साफ बताई।

रिचर्ड टेंपल ने ब्रिटिश राज के प्रचार प्रसार और कामयाबी की राह में आने वाले संभावित कारणों में से एक कारण बताया चितपावन ब्राह्मण।

तब तक अंग्रेजों को सिर्फ ब्राह्मण के बारे में अच्छे से पता था लेकिन ये चितपावन ब्राह्मण (Chitpawan Barahmin) क्या है इसका कोई Idea नहीं था।

सर रिचर्ड टेंपल ने अपने पत्र में इनके बारे में विस्तार से जिकर किया है।

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