धौले एंड काले कानून और किसानपुत्र की व्यथा का व्यावाहरिक पक्ष ग्रामीण भारत की तकलीफ
मेरे एक अजीज साथी हैं सांगवान साहब जिनसे मेरा परिचय फेसबुक के माध्यम से हुआ था और मुझे उनका स्वभाव और विचार ठीक लगे और मेरी उनसे कब दोस्ती हुई और पारिवारिक भाईचारे में बदल गयी पता ही नही चला। मेरे पास वो कई बार चंडीगढ़ आये और मुलाकातें होती रही और मुझे उनकी अपने भविष्य को बनाने सम्बंधित आकांक्षाओं और योजनाओं का पता चलता रहा। बीच बीच में कई बार मेरी उनसे चर्चा बिजनेस सेटअप को लेकर हो जाया करती थी और पिछले एक डेढ़ साल में मैं दो बार उनके घर भी गया और उनके साथियों से भी …