भारत के पूर्वी हिस्से, विशेषकर असम में, चावल सिर्फ एक अनाज नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है। जहाँ देश के कई हिस्सों में सफेद चावल मुख्य भोजन है, वहीं असम में एक खास लाल रंग का चावल पसंद किया जाता है, जिसे ‘बाओ-धान’ के नाम से जाना जाता है। यह सिर्फ रंग में ही अनोखा नहीं, बल्कि अपने स्वाद, पोषण और स्वास्थ्य लाभों के कारण भी विशिष्ट है। आइए जानते हैं असम के इस खास चावल के बारे में सब कुछ।
क्या है बाओ-धान चावल?
बाओ-धान, जिसे असमिया लाल चावल भी कहते हैं, ब्रह्मपुत्र घाटी में उगाया जाने वाला चावल की एक पारंपरिक किस्म है। इसका अनूठा लाल रंग इसके छिलके से आता है, जो एंथोसायनिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। एंथोसायनिन प्राकृतिक रंगद्रव्य हैं जिनमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं।
नियमित सफेद चावल के विपरीत, बाओ-धान या तो बिना छिलके वाला होता है या आंशिक रूप से छिलके वाला होता है, जिसका अर्थ है कि इसकी पौष्टिक चोकर की परत बरकरार रहती है। यही परत इसे एक अखरोट जैसा स्वाद और कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। यह चावल खनिज, प्रोटीन और विटामिन जैसे बी-कॉम्प्लेक्स, आयरन, कैल्शियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों का एक पावरहाउस है।
बाओ-धान का समृद्ध इतिहास
चावल सबसे पुराने अनाजों में से एक है जिसका सेवन किया जाता रहा है, और असम के लाल चावल का भारतीय सांस्कृतिक और औषधीय परंपराओं में एक सदियों पुराना इतिहास है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों, जैसे चरक संहिता (लगभग 700 ईसा पूर्व) में भी इस दुर्लभ चावल की किस्म का उल्लेख मिलता है, जहाँ इसके अनूठे स्वाद, बनावट, स्वाद, स्वास्थ्य लाभ और शक्तिशाली गुणों के लिए इसकी प्रशंसा की गई थी। ऐसा माना जाता था कि यह शरीर के दोषों को ठीक करता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है। असमिया संस्कृति में, लाल चावल धार्मिक समारोहों और आयुर्वेदिकD प्रथाओं में भी महत्वपूर्ण था, और इसके पौष्टिक और स्वास्थ्य-बढ़ाने वाले गुणों के लिए इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
पोषण और स्वास्थ्य लाभ
असम का लाल चावल अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है, जो सूजन को कम करने और कुछ बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं। यह उच्च फाइबर और खनिज सामग्री के कारण वजन प्रबंधन, त्वचा के स्वास्थ्य और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए भी फायदेमंद है। एंथोसायनिन के साथ चोकर का बने रहना इसे सफेद चावल की किस्मों की तुलना में पोषण में बेहतर बनाता है।
अपने आहार में बाओ-धान को कैसे शामिल करें?
असम में, बाओ-धान को कई स्वादिष्ट तरीकों से तैयार किया जाता है:
- पोइता भात (Poita Bhaat): यह एक सरल और स्वस्थ व्यंजन है जिसे बचे हुए पके लाल चावल को रात भर पानी में भिगोकर बनाया जाता है, जिससे हल्का किण्वन होता है। इसे अगले दिन सरसों के तेल, कटे हुए प्याज, हरी मिर्च और नमक के साथ खाया जाता है, अक्सर आलू पिटिका (मसले हुए आलू) के साथ, जिसमें सरसों का तेल, नमक और मसाले मिलाए जाते हैं। इस किण्वित चावल को गर्मियों के लिए एक ठंडा भोजन माना जाता है जो पाचन में सहायता करता है।
- उबले हुए लाल चावल (Steamed Red Rice): असम में उबले हुए लाल चावल को आमतौर पर विभिन्न दालों के साथ खाया जाता है। चावल का अखरोट जैसा स्वाद दालों के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है, जिससे यह एक आरामदायक और पौष्टिक दैनिक भोजन बन जाता है।
- पायोख (Payokh): यह एक मीठा व्यंजन है जिसे दूध और कंडेन्स्ड मिल्क में लाल चावल को भुने हुए काजू और चीनी के साथ पकाकर बनाया जाता है। चावल को अक्सर पहले भिगोया जाता है और फिर पकाने से पहले एक चिकनी या थोड़ी दानेदार प्यूरी में मिलाया जाता है। इस मलाईदार मिठाई को गर्म या ठंडा परोसा जाता है और यह एक उत्सव या समारोह में लाल चावल के पौष्टिक लाभों का आनंद लेने का एक स्वादिष्ट तरीका है।
- सुंगा भात (Sunga Bhat): यह बांस की नलियों में चावल पकाने का एक अनूठा तरीका है, जिसमें चिपचिपा या लाल चावल का उपयोग किया जाता है और इसे बिहू जैसे असमिया त्योहारों के दौरान तैयार किया जाता है। इस तरह से पकाया गया चावल बांस से सुगंध को सोख लेता है और आमतौर पर गुड़ और दूध के साथ परोसा जाता है।
- लाल चावल पुलाव (Red Rice Pulao): इसे पुलाव की तरह भी बनाया जा सकता है, जहाँ इसे मसालों और कभी-कभी सब्जियों या मांस के साथ पकाया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप नियमित सफेद चावल पुलाव का एक रंगीन और स्वस्थ विकल्प बनता है। चावल का अखरोट जैसा स्वाद पारंपरिक असमिया मसालों और तैयारियों के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है।
यदि आप अपने आहार में कुछ नया और पौष्टिक जोड़ना चाहते हैं, तो असम का बाओ-धान चावल एक बेहतरीन विकल्प है। इसके अनूठे स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के साथ, यह निश्चित रूप से आपके भोजन को एक नया आयाम देगा!