हनुमान जी केवल एक देवता नहीं, बल्कि शक्ति, ज्ञान, भक्ति और नीति के प्रतीक हैं।
शास्त्रों में उनके 11 प्रमुख रूप बताए गए हैं, जिन्हें “एकादश रूप” कहा जाता है। इनके अलावा भी कई विशेष रूपों का वर्णन अलग-अलग पुराणों और ग्रंथों में मिलता है।
आइए विस्तार से समझते हैं 👇
हनुमान जी के 11 प्रमुख रूप (एकादश रूप)
यह रूप हनुमान कल्प और हनुमान तंत्र में वर्णित हैं।
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प्रभान्जनसुत (आञ्जनेय रूप)
- माता अंजना और केसरी के पुत्र।
- यह बाल रूप है जिसमें वे पर्वतों पर कूदते-फांदते हैं। इसमें उनका बचपन, वीरता और चपलता झलकती है।
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मारुतिनंदन रूप
- वायु देव के पुत्र के रूप में।
- यह रूप उनकी अतुल शक्ति, गति और उड़ान क्षमता का प्रतीक है।
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भक्त हनुमान (रामभक्त रूप)
- यह सबसे प्रसिद्ध रूप है। वे राम के चरणों में समर्पित रहते हैं — “राम दूत हनुमान” के रूप में।
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वीर हनुमान (संजीवनी रूप)
- लंका युद्ध में लक्ष्मण के लिए संजीवनी पर्वत लाने वाला रूप। इसमें उनकी असीम शक्ति और निष्ठा दिखती है।
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पंचमुखी हनुमान (पंचमुख रूप)
यह रूप अत्यंत शक्तिशाली और दुर्लभ है।
पाँच मुख:
- हनुमान (मुख्य मुख – पूर्व दिशा)
- नरसिंह (दक्षिण दिशा)
- गरुड़ (पश्चिम दिशा)
- वराह (उत्तर दिशा)
- हयग्रीव (ऊपर की दिशा)
यह रूप तब प्रकट हुआ जब उन्होंने पाताल में जाकर रावण के पुत्र अहिरावण को मारा।
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संकीर्तन हनुमान
- यह रूप भक्ति और नाम-स्मरण का प्रतीक है। भक्तों के साथ कीर्तन और प्रभु नाम का प्रचार करने वाला।
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ज्ञान हनुमान
- वे वेद, वेदांग, व्याकरण, ज्योतिष और नीति शास्त्रों में निपुण हैं। यह रूप ज्ञान और विवेक का प्रतीक है।
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संकटमोचन हनुमान
- भक्तों के सभी दुख, भय और संकट दूर करने वाला रूप। “संकटमोचन हनुमान अति बलवाना” इसी रूप से जुड़ा है।
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ब्रह्मचारी हनुमान
- जीवनभर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने वाला रूप। यह संयम और आत्मनियंत्रण का प्रतीक है।
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कृष्ण सेवक हनुमान (भविष्य रूप)
- द्वापर युग में जब वे अर्जुन के रथ के ध्वज पर विराजमान हुए। यह रूप दर्शाता है कि वे केवल राम ही नहीं, धर्म के हर स्वरूप के सेवक हैं।
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महाकाल हनुमान
- यह रूप क्रोध और विनाश का प्रतीक है, जो अधर्म और राक्षसी शक्तियों का संहार करता है। तांत्रिक साधनाओं में यह रूप विशेष पूजनीय है।
अन्य प्रसिद्ध रूप
इनके अलावा भी अनेक स्थानीय और तांत्रिक रूप हैं:
- बाल हनुमान – मासूम और चंचल रूप
- भक्तशिरोमणि हनुमान – भक्ति के सर्वोच्च उदाहरण
- अष्टसिद्धि नव निधि दाता हनुमान
- रूद्रावतार हनुमान – शिव के ग्यारहवें रूद्र का अवतार
- रामरक्षा हनुमान – रक्षा और सुरक्षा देने वाला रूप
विशेष तथ्य
हनुमान जी को चिरंजीवी माना गया है, अर्थात वे आज भी जीवित हैं।
वे राम, कृष्ण, शंकर, भैरव — सभी रूपों के भक्त हैं।
उनका प्रत्येक रूप भक्त की आवश्यकता के अनुसार प्रकट होता है — संकट से रक्षा, ज्ञान की प्राप्ति, भक्ति की गहराई, या साहस का संचार।