दाल और मेहमान

एक बार की बात है एक आदमी अपणी घरआली तै बोल्या: आज मेरे दफ्तर के यार खाणा खाण आवेंगे कीमे आछ्या बणा लिए घरआली बोली: जी घर नै तो कीमे ना बच रहया बस दाल ए सै! आदमी बोल्या बस तू दाल ए बणा लिए और वे आवेंगे जद भीतर तै बर्तन नीचै पटके जाइए, मैं कहूँगा के होया तूकहिये खीर पड़गी, फेर कहिये हलवा पड़ग्या, नु करदे करदे सारी चीज गिणा दिए! फेर मैं कहूँगा के बच्या सै तू कहिये दाल बची सै,मैं कहूँगा वा ए लिया! उसकी घरआली बोली ठीक सै.मेहमान आए!! भीतर तै बर्तन गिरण की आवाज …

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