यारों के यार राजेंद्र सिंह जी धनौला वाले

पंजाब के देहातों में लोग बड़े जिगरे वाले हैं। सुबह नौ बजे ड्यूटी जाने से पहले घरेलू काम काज की मर्यादा निभा कर शाम को दफ्तर से लौट कर फिर से खेत और पशुओं में खो जाना एक सोहणा शग़ल माना जाता है। हमारे लिए ये एक मुश्किल काम हो सकता है लेकिन इनके लिए एक रूटीन एक्टिविटी है। दिल्ली में बैठ को जो मर्जी बोले जाओ उड़ता पंजाब आदि आदि। पंजाब के अंदर उतर कर देखेंगे तो सजदा पंजाब गजदा पंजाब ते गाता पंजाब नचदा ते वसदा पंजाब है। कल जैसे ही बस से धनौला बस स्टैंड पर उतरा …

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