मकड़ी की समझदारी

जंगली मकडी में मेरा कभी कोई ख़ास वास्ता नहीं रहा है क्यूंकि शहरों में ही पला बढ़ा हूँ हमारे घरों में वो लम्बी पतली टांगों वाली मकड़ियां हुआ करती थी जिनके जाले उतारने के लिए हमारे घरों में एक लम्बा पतला बांस का डंडा हुआ करता था और साल में एक दो बार जाले उतारने का अभियान मेरे कौतुहल का विषय हुआ करता था। जीरकपुर में रहने के दौरान मकड़ी कि समझदारी से मेरा परिचय हुआ। बात सन 2017 की है और डेली रूटीन के हिसाब से हररोज सुबह नींद साढ़े सात बजे ही खुला करती थी। अपने आप नहीं, …

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