अमृत जैविक किसान प्रोड्यूसर कम्पनी की कहानी

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sugni devi kheri sikander
माता सुगनी देवी जी 3 सितम्बर 2021 को गाँव खेडी सिकंदर कैथल में

कुर्सी पर बीच मे बैठी यह माता जी हरियाणा के हृदय कैथल में उभर रही एक बहुत बड़ी कृषि क्रांति का कारण है। माता जी का नाम सुगनी देवी है और इनका जीवन खेती किसानी के इर्द गिर्द ही रहा और साल 2004 में इन्हें कैंसर की शिकायत हो गयी और इनका बेटा राजेश जो खेती किसानी अभी शुरू कर ही रहा था।

वो इन्हें पी.जी.आई. चंडीगढ़ दिखाने के लिए जाने लगा। वहां डॉक्टर्स के साथ होने वाले विर्मश से राजेश को पता चला कि रासायनिक खेती ही असली नास की जड़ है और गांवों के निर्मल वातावरण को बर्बाद करने के पीछे खेतों में डाले जाने वाले रसायन है। डॉक्टर की बताई एक बात राजेश के दिल मे सीधी उतर गई कि यदि माँ बचानी है तो इसे जैविक भोजन करवाओ तभी हमारी दी हुई दवाईयां ज्यादा असरकारक होंगी।

राजेश का ध्यान जैविक सब्जी उत्पादन की ओर मुड़ गया और एक लंबी यात्रा की शुरुआत हुई जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ वर्मा जी, हरियाणा किसान आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ रमेश यादव जी, धरणी सुफलम संस्था के सुनील गुप्ता जी, फरल के श्री प्रदीप जी आदि महानुभावों का सहयोग रहा। आज स्थिति यह है कि कुल तीन एकड़ भूमि का मालिक 16 एकड़ भूमि जिसमें 13 एकड़ भूमि ठेके की है पर पिछले एक दशक से सफ़लतापूवर्क सब्जियों की जैविक खेती कर रहा है।

आज राजेश ने अपने साथ किसानों को जोड़ कर अमृत जैविक के नाम से एक ब्रांड भी खड़ा कर दिया है। राजेश बताते हैं कि उनके आर्थिक संगठन में 570 किसान पूरे कैथल से जुड़ चुके हैं। इनमें से तकरीबन 90 किसान आज सर्टिफाइड जैविक करके सब्जियां एक जगह एकत्र करके दिल्ली नोएडा पंचकूला में अनेक मार्केटिंग समूहों को हर रोज़ भेज रहे है।

राजेश बताते हैं कि हम सब्जियों के रेट के लिए मार्किट का सिस्टम फॉलो नहीं करते हैं हमारा अपना अलग सिस्टम है हमने एक कमेटी बना रखी है जो सब्जियों के दाम एक सप्ताह के लिए तय कर लेती है और फिर मार्किट में जो भी दाम हो हम फ़िकर नही करते हैं। हम सभी सदस्य किसान बेहद खुश हैं और संतुष्ट भी हैं।

इसी ग्रुप के दूसरे किसान कुलवंत सिंह ने बताया कि हमारे इस ग्रुप को जिला और राज्यस्तर के अधिकारियों का मार्गदर्शन सहयोग और प्यार बहुत मिला है। उदहारण के तौर पर हरियाणा सरकार के उद्यान विभाग के महानिदेशक श्री अर्जुन सिंह जी ने हमें मधुमक्खी पालन की ओर न सिर्फ मोड़ा अपितु हमारी समुचित ट्रेनिंग की भी व्यवस्था करवाई जिसका आज हमारे पूरे समूह को बहुत लाभ मिला है।

राजेश बताते हैं कि आज कैंसर डिटेक्ट होने के 17 साल के बाद भी हमारी माँ का आशीवार्द हमारे सर पर बना हुआ है इसका कारण सिर्फ जैविक खेती है। चाय का दूसरा सेट लगाते लगाते मैंने वहां बैठे किसानों से सवाल पूछा कि धरने में गए थे, तभी अनायास सभी के चेहरे पर एक गहरा अनजाना सा भाव तैर गया और सबसे सीनियर किसान बोले कि हमारी भावनाएं और संवेदनाएं संघर्षरत किसानों के साथ हैं लेकिन हमारे पास व्यवस्थाएं बनाने के लिए समय और संसाधनों की कमी है।

आज मेरी किस्मत अच्छी थी कि दफ्तर के काम से आज गांव खेड़ी सिकन्दर में जाने का मौका मिला।