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स्टार्टअप इंडिया उभरती अर्थव्यवस्था का नया आधार

  • भारत में मान्यता प्राप्त नवउद्यम (Startup) की संख्या 1,90,000 से अधिक है।
  • इन नवउद्यमों में करीब 10,000 निवेशकों ने पूंजी लगाई है।
  • वर्ष 2014 के बाद से भारतीय नवउद्यमों ने लगभग 164 बिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 14 लाख करोड़ रुपये) का निवेश जुटाया है।
  • नवउद्यमों में कुल लगाए गए पूंजी का लगभग 83 प्रतिशत भाग विदेशी स्रोतों से आया है।
  • 2014 से सितंबर 2025 के बीच नवउद्यम क्षेत्र में लगभग 136 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 11.6 लाख करोड़ रुपये) का विदेशी निवेश हुआ।
  • विशेषज्ञों के अनुसार नवउद्यमों को दीर्घकाल में घरेलू निवेश की ओर बढ़ना आवश्यक है।
  • भारत में बीमा कंपनियां, पेंशन फंड और एंडोमेंट फंड हर वर्ष लगभग 200 अरब डॉलर निवेश करते हैं।
  • यदि ये संस्थान अपने निवेश का केवल 3 प्रतिशत भी नवउद्यम में लगाएं, तो लगभग 6 अरब डॉलर का घरेलू निवेश उपलब्ध हो सकता है।

परिचय

भारत पिछले कुछ वर्षों में नवाचार और उद्यमिता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा है। बहुत कम समय में भारत ने दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा (Startup Ecosystem) तैयार कर लिया है। पहले से ही भारत (Software Services), (Consulting) और (Digital Public Infrastructure) के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल है। अब नवउद्यम देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं।

भारत में नवउद्यमों की बढ़ती भूमिका

आज भारत में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग से मान्यता प्राप्त नवउद्यमों की संख्या 1,90,000 से अधिक है। इन नवउद्यमों में लगभग 10,000 निवेशकों ने पूंजी लगाई है। वर्ष 2014 के बाद से भारतीय नवउद्यम क्षेत्र में 164 बिलियन अमेरिकी डॉलर का (Investment) आया है, जो भारतीय आर्थिक गतिविधियों में उनके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।

विदेशी निवेश की प्रमुख भूमिका

नवउद्यमों की वृद्धि में विदेशी पूंजी ने अहम योगदान दिया है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारतीय नवउद्यमों में निवेशित कुल पूंजी का लगभग 83 प्रतिशत भाग (Foreign Investment) से आता है। 2014 से सितंबर 2025 तक लगभग 136 बिलियन अमेरिकी डॉलर विदेशी निवेश के रूप में आया। यह निवेश नवउद्यमों को विस्तार, शोध और रोजगार निर्माण में सक्षम बनाता है।

विदेशी पूंजी पर अधिक निर्भरता की चुनौती

हालांकि विदेशी निवेश ने भारतीय नवउद्यमों को आगे बढ़ाने में बड़ा सहयोग दिया है, लेकिन विशेषज्ञों का मत है कि इस पर अधिक निर्भरता लंबे समय में उचित नहीं है। अगर देश की नई तकनीकें और नवाचार केवल विदेशी पूंजी पर आधारित रहेंगे, तो आर्थिक नियंत्रण का एक बड़ा हिस्सा भी बाहर ही रहेगा।

घरेलू निवेश बढ़ाने की आवश्यकता

भारत तकनीकी और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना चाहता है। इसके लिए जरूरी है कि देश के नवउद्यमों में भारतीय निवेशक और संस्थाएँ अधिक हिस्सेदारी लें। जब भारतीय नवउद्यमों में घरेलू पूंजी बढ़ेगी, तो कमाई भी देश के भीतर ही रहेगी और भारत की तकनीकी स्वतंत्रता मजबूत होगी।

संभावित घरेलू निवेश के स्रोत

देश के बीमा कंपनियां, पेंशन फंड और एंडोमेंट फंड हर वर्ष लगभग 200 अरब डॉलर का निवेश करते हैं। यदि वे अपने निवेश का केवल 3 प्रतिशत नवउद्यम क्षेत्र में लगाने पर सहमत हों, तो लगभग 6 अरब डॉलर की घरेलू पूंजी उपलब्ध कराई जा सकती है। यह धनराशि भारत के नवउद्यम क्षेत्र को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है।

नीतिगत सुधार की जरूरत

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए, जो नवउद्यमों को घरेलू स्तर पर अधिक पूंजी उपलब्ध कराएं और भारतीय स्वामित्व को मजबूत बनाए रखें। यह कदम न केवल तकनीकी विकास को भारत-केंद्रित बनाएगा, बल्कि राष्ट्रीय हित और रणनीतिक तकनीकों की सुरक्षा के लिए भी उपयोगी होगा।

निष्कर्ष

भारत का नवउद्यम पारितंत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है और यह देश की आर्थिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि विदेशी पूंजी ने इसे आगे बढ़ाने में योगदान दिया है, लेकिन भविष्य में भारत को अपनी तकनीकी और आर्थिक सुरक्षा के लिए घरेलू निवेश को प्राथमिकता देनी होगी। यह बदलाव भारत को आत्मनिर्भर, सुरक्षित और नवाचार में अग्रणी देश के रूप में स्थापित कर सकता है।