महत्वपूर्ण तथ्य
- हरियाणा में राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण फरवरी 2025 के बाद अस्तित्व में नहीं रहा।
- वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पीके दास 22 फरवरी 2025 को इसी पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
- पिछले 9 महीनों से प्राधिकरण का पुनर्गठन नहीं किया गया।
- फरवरी 2025 में 26 लंबित परियोजनाओं के आवेदन अब तक मंजूरी की प्रतीक्षा में हैं।
- प्राधिकरण पोर्टल भी इस अवधि में बंद रहा, जिससे नए आवेदनों की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
- खनन, नदी घाटी, थर्मल पावर, तेल एवं गैस, सीमेंट, पेट्रोलियम, रासायनिक, चीनी मिल, इंडस्ट्रियल एस्टेट और 20000 वर्ग मीटर से अधिक भवन परियोजनाओं की अनुमति इसी प्राधिकरण द्वारा दी जाती है।
- भारत सरकार की अधिसूचना (14.09.2006) एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रत्येक राज्य में इस प्राधिकरण का होना अनिवार्य है।
- प्राधिकरण पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
हरियाणा में राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण का फरवरी 2025 के बाद से पुनर्गठन न होना कई महत्वपूर्ण औद्योगिक और निर्माण परियोजनाओं की प्रगति को सीधे प्रभावित कर रहा है। इस प्राधिकरण का कार्य विभिन्न परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव का परीक्षण करना और आवश्यकता अनुसार मंजूरी प्रदान करना होता है, ताकि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन कायम रह सके।
प्राधिकरण की आवश्यकता और कानूनी आधार
भारत सरकार के जलवायु एवं वन मंत्रालय द्वारा 14 सितंबर 2006 की अधिसूचना और पर्यावरण संरक्षण नियम 1986 के तहत प्रत्येक राज्य में यह प्राधिकरण स्थापित किया जाना अनिवार्य है। इसमें प्रशासनिक अनुभव रखने वाले अधिकारी और वे व्यक्ति शामिल होते हैं जिनका पर्यावरणीय कार्यों में उल्लेखनीय अनुभव हो। विभाग के निदेशक को इसका सदस्य सचिव नियुक्त किया जाता है।
पद रिक्त रहने से परियोजनाओं पर प्रभाव
फरवरी 2025 में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पीके दास की सेवानिवृत्ति के बाद से यह पद रिक्त है और प्राधिकरण का पुनर्गठन अब तक नहीं हुआ। परिणामस्वरूप, फरवरी महीने की 26 परियोजनाओं के आवेदन आज तक लंबित हैं। साथ ही, प्राधिकरण का पोर्टल कार्यरत न होने से यह स्पष्ट नहीं है कि इस अवधि में कितने नए आवेदन जमा हुए हैं।
किन-किन क्षेत्रों की परियोजनाएं प्रभावित
यह प्राधिकरण निम्न क्षेत्रों से संबंधित परियोजनाओं की पर्यावरणीय समीक्षा करता है:
- खनन और नदी घाटी विकास
- थर्मल पावर और परमाणु परियोजनाएं
- तेल और गैस खोज तथा रिफाइनरी इकाइयां
- सीमेंट, रसायन और पेट्रोकेमिकल उद्योग
- चमड़ा, पेंट, डिस्टिलरी और चीनी मिल्स
- इंडस्ट्रियल एस्टेट व बड़े पैमाने के पार्क
- राष्ट्रीय राजमार्ग और शहरी स्थानीय निकाय निर्माण परियोजनाएं
- 20000 वर्ग मीटर से अधिक के भवन निर्माण
प्राधिकरण की अनुपस्थिति से इन सभी क्षेत्रों की योजनाएं अटकी हुई हैं, जिससे औद्योगिक विकास और सार्वजनिक उपयोग की कई परियोजनाओं में देरी हो रही है।
पर्यावरण प्रबंधन पर व्यापक असर
यह प्राधिकरण पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। इसका निष्क्रिय रहना यह संकेत देता है कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़े आवश्यक कदम समय पर लागू नहीं हो रहे हैं। इससे निर्माण कार्य में देरी के साथ पर्यावरणीय संतुलन को लेकर भी चिंता गहराने लगी है।
निष्कर्ष
हरियाणा में पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के तत्काल पुनर्गठन की आवश्यकता है, ताकि पर्यावरणीय मंजूरी से जुड़े कार्यों को सुचारु रूप से आगे बढ़ाया जा सके। औद्योगिक प्रगति और पर्यावरण सुरक्षा, दोनों ही आज की प्राथमिक आवश्यकता हैं।