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लाजवंती के औषधीय गुण

महत्वपूर्ण तथ्य

  • लाजवंती को छुईमुई या जयंती भी कहा जाता है।
  • यह एक झाड़ीदार छोटी जड़ी-बूटी होती है जो आसानी से प्राप्त हो जाती है।
  • इसके गुण पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे गैस, अपच, एसिडिटी और अल्सर में लाभ पहुंचा सकते हैं।
  • लाजवंती में टैनिन्स पाए जाते हैं जो सूजन कम करने एवं घाव भरने में सहायक माने जाते हैं।
  • यह पेट की अंदरूनी परत की रक्षा करने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स प्रदान करती है।
  • अत्यधिक एसिड बनने की स्थिति में यह उसे संतुलित करने में सहायक मानी जाती है।
  • गैस्ट्रिक और पेप्टिक अल्सर का संबंध पेट की परत पर घाव बन जाने से होता है।
  • इस तरह के अल्सर का कारण अधिक एसिडिक भोजन, एच. पाइलोरी संक्रमण और लंबे समय तक दर्दनिवारक दवाओं का सेवन हो सकता है।

लाजवंती के औषधीय गुण और पेट की समस्याओं में इसके फायदे

आज की व्यस्त जीवनशैली में भोजन की आदतें काफी बदल गई हैं। जंक फूड, अत्यधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन के सेवन के कारण पाचन से संबंधित परेशानियां तेजी से बढ़ रही हैं। गैस, अपच, एसिडिटी और पेट में जलन जैसी स्थितियां अब आम हो चुकी हैं। इस तरह की परेशानियों में कई लोग आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचारों की ओर रुख करते हैं। इन्हीं में से एक है लाजवंती, जिसे छुईमुई भी कहा जाता है।

लाजवंती क्या है

लाजवंती एक छोटी झाड़ीनुमा वनस्पति है, जिसकी खासियत यह है कि छूते ही इसके पत्ते सिकुड़कर बंद हो जाते हैं। इस प्राकृतिक प्रतिक्रिया के कारण यह आम लोगों के बीच काफी पहचानी जाती है। यह पौधा ग्रामीण क्षेत्रों, खेतों और खुले स्थानों पर आसानी से मिल जाता है। इसे कई सालों से आयुर्वेद में औषधीय पौधे के रूप में उपयोग किया जाता रहा है।

पाचन तंत्र पर लाजवंती के लाभ

लाजवंती में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो पेट की सूजन कम करने और पाचन क्रिया को सुधारने में सहायक माने जाते हैं। नियमित या आवश्यकतानुसार इसका उपयोग पेट को शांत रखने और असहजता को कम करने में मदद कर सकता है।

गैस और अपच में सहायक

जब भोजन ठीक से पच नहीं पाता, तो गैस, फुलाव और पेट में भारीपन की समस्या होती है। लाजवंती के प्रयोग से पेट में जमा गैस निकलने में मदद मिल सकती है और पाचन प्रक्रिया बेहतर हो सकती है।

एसिडिटी और पेट की जलन में उपयोगी

अनियमित भोजन, अधिक मसाला और तैलीय खाने के कारण पेट में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जलन और खट्टे डकार जैसी समस्याएं होने लगती हैं। लाजवंती पेट में बनने वाले अत्यधिक एसिड को संतुलित करने में सहायक मानी जाती है।

गैस्ट्रिक और पेप्टिक अल्सर में राहत

गैस्ट्रिक और पेप्टिक अल्सर ऐसी स्थितियां हैं जिनमें पेट की अंदरूनी परत पर घाव बन जाते हैं। यह समस्या लंबे समय तक अनियमित भोजन, एच. पाइलोरी संक्रमण या दर्दनिवारक दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कारण हो सकती है। लाजवंती में पाए जाने वाले टैनिन्स और एंटीऑक्सिडेंट्स पेट की परत की सुरक्षा करते हैं और घाव भरने की प्रकिया को समर्थन देते हैं।

लाजवंती का सेवन कैसे करें (सामान्य पारंपरिक उपयोग)

आयुर्वेद में सामान्यतः लाजवंती की पत्तियों या जड़ों को सुखाकर काढ़ा बनाने या चूर्ण के रूप में उपयोग करने का वर्णन मिलता है। किसी भी औषधीय पौधे का उपयोग करने से पहले विशेषज्ञ या वैद्य से परामर्श अवश्य लेना चाहिए, especially जब समस्या पुरानी या गंभीर हो।

सावधानियां

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बिना परामर्श इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • किसी भी लक्षण में वृद्धि या असहज प्रतिक्रिया दिखाई दे तो प्रयोग तुरंत रोक दें।
  • खुद से अधिक मात्रा में सेवन से बचें।

पाचन संबंधी समस्याएं जीवनशैली से काफी जुड़ी होती हैं, इसलिए सही भोजन, समय पर खाना, पर्याप्त पानी और नियमित शारीरिक गतिविधि के साथ लाजवंती जैसे प्राकृतिक उपाय बेहतर परिणाम दे सकते हैं।