
जंगली मकडी में मेरा कभी कोई ख़ास वास्ता नहीं रहा है क्यूंकि शहरों में ही पला बढ़ा हूँ हमारे घरों में वो लम्बी पतली टांगों वाली मकड़ियां हुआ करती थी जिनके जाले उतारने के लिए हमारे घरों में एक लम्बा पतला बांस का डंडा हुआ करता था और साल में एक दो बार जाले उतारने का अभियान मेरे कौतुहल का विषय हुआ करता था।
जीरकपुर में रहने के दौरान मकड़ी कि समझदारी से मेरा परिचय हुआ। बात सन 2017 की है और डेली रूटीन के हिसाब से हररोज सुबह नींद साढ़े सात बजे ही खुला करती थी। अपने आप नहीं, नीचे डेली ऑफिस में डोर बेल बजा करती थी और मुझे पता होता था कि साफ़ सफाई वाली टीम आ गयी है और मैं सीधे नीचे भागा करता था।
पिछले कुछ दिनों से हो यह रहा था कि जैसे ही मैं घर का मेन गेट खोलने के लिए दरवाजे से बाहर निकल कर आँगन में प्रवेश करता तो मेरे चेहरे पर मकडी का जाला लिपट जाता और मेरे क्रोध का मीटर चढ़ जाता। घर के इमिजेट बगल में एक बड़ा खाली प्लाट है और वहां अनजान कारणों के चलते एक मकडी ने हमारे आँगन में अन्दर कि तरफ ठीक मेन गेट के सामने स्थित बरामदे को अपनी शिकारगाह बना लिया था और सुबह सुबह जैसे ही मैं ताला खोलने के भागता भागता नीचे आता था तो सीधा मकड़ी का जाला मेरे फेस से लिपट जाता था।
दो तीन दिन तो ऐसा चला फिर मैंने डेली ताला खोलने से पहले झाडू का प्रयोग करने कि योजना बनाई।
भला हो कीट साक्षरता मिशन के प्रणेता डॉ सुरेंद्र दलाल जी का जिन्होंने मकड़ी का महत्व और उम्र के बारे में मुझे बता रखा था और मुझे यह अच्छे से पता है के मेरे घर पर डेली होने वाले डेंगू और मलेरिया मच्छर के अटैक को ये मकड़ी अपनी डिनर पार्टी में ख़र्च कर दे रही है।
मकड़ीका जीवन काल लगभग एक वर्ष होता है और मकड़ी घर और खेत दोनों जगह इंसान पर बहुत उपकार करती है। पिछले एक हफ्ते से मैं हर रोज मकड़ी के जाले को झाड़ू से हटाने का काम कर रहा था मकड़ी इतनी चतुर थी के कभी मेरी झाड़ू की मार में नहीं आयी बिलकुल स्पाइडर मैन के जैसे रियल टाइम जाला बुनकर ऐसे निकल जाती थी के मैं देखता रह जाता था।
पिछले दो दिन से मैंने देखा के मकड़ी को मेरी तकलीफ समझ में आ गयी है ऐसा लगता है क्यूंकि जाला मेरे रास्ते में न बना कर ऐ सी के आउटडोर फैन और काइनेटिक के मिरर के बीच बनाया जा रहा जो कि साइड में हैं।
मकड़ी रात दस बजे के बाद से लेकर सुबह तक फुल फ्लेज तरीके से पूरे इलाके पर कब्ज़ा जमा लेती है और शायद पूरा मकडी परिवार पार्टी उड़ाता है। कल मकड़ी रानी का फोटो लेने का प्रयास करूँगा , आज सुबह बस एक पल के लिए दिखी और फिर सीधे ऐ सी के पंखे के पीछे चली गयी।
अगले वर्ष भी जाला मकडी ने ठीक वहीँ बनाया और अब पिछले कई सालों से बरसातों में मकडी जाला बनाती हैं लेकिन रास्ते में नहीं उसने आँगन में एक और बढ़िया मुफीद जगह तलाश ली है जहाँ पूरी बरसात भर जाला रहता है और फिर मकडी अपना समय काट कर प्लाट में शिफ्ट हो जाती है। मकडी ने कभी भी रास्ते में जाला फिर नहीं बनाया है।
मैं मकड़ी की समझदारी भरे समझौते से सचमुच अभिभूत हूँ और दंग भी हूँ।