दूब घास दूर्वा दरोब Cynodon_dactylon एक चमत्कारी औषधि

नंद किशोर प्रजापति कानवन चार दिन पहले कुशग्रहणी अमावस्या थी तब हमनें कुश/डाब की चर्चा की थी ,उसके गुणों ओर धार्मिक महत्व को जाना था। आज गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की प्रिय दरोब/दूर्वा का दिन हैं। आज की परिचर्चा में हम दरोब के गुणों को जानने का प्रयास करेंगे। दूर्वे अमृत संपन्ने शत मूले शतांकुरे!शतंम् हरती पापानी शतंम् आयुष्य वर्धिनी!! हे दूर्वा तुम अमृत संपन्न हो.. पाप और रोगो का निवारण करने वाली हो .शत मूल व शतांकुर वाली …

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विधि का विधान

प्रदीप सिसोदिया भगवान श्री राम का विवाह और राज्याभिषेक, दोनों शुभ मुहूर्त देख कर किए गए थे; फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ, न ही राज्याभिषेक! और जब मुनि वशिष्ठ से इसका उत्तर मांगा गया, तो उन्होंने साफ कह दिया “सुनहु भरत भावी प्रबल,बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।हानि लाभ, जीवन मरण,यश अपयश विधि हाथ।।” अर्थात – जो विधि ने निर्धारित किया है, वही होकर रहेगा! न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के! न ही महादेव शिव जी …

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कहाँ से आये ब्राह्मण और सब क्यों उनके पीछे पड़े हैं?

हरि गुप्ता ब्राह्मण ने समाज नहीं बनाया। समाज ने ब्राह्मण बनाया। भारत में किसी साजिश के तहत ये बात स्थापित की गयी है कि ब्राह्मणों ने अपने मुताबिक समाज बनाया और उसके शिखर पर जाकर बैठ गया। ये असत्य और अन्यायपूर्ण कथन है। वास्तविकता ये है कि समाज ने ब्राह्मण बनाया। समाज ने एक संरचना विकसित की जिसमें धर्म को शिखर पर रखा। कला, विद्या और धर्म इन तीनों का सम्यक बंटवारा है भारतीय समाज। कला का अर्थ है हर …

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जहां अकबर पैदा हुआ और राणा रतन सिंह को फांसी हुई

राजीव पुरोहित मुग़ल जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर का नाम आते ही दिमाग़ में मुगलिया सल्तनत, दीन-ए-इलाही और बीरबल तानसेन मानसिंघ टोडरमल महाराणा परताप के नाम याद आते है ।अगर ये सवाल किया जाए कि अकबर बादशाह का जन्म कहां हुआ था तो कई लोग गूगल पर इसका जवाब तलाशेंगे। अकबर का जन्म उमरकोट में हुआ था।हुमायूं बिहार के अफ़ग़ान गवर्नर शेर ख़ान से लड़ाई हारने के बाद उमरकोट में रहने लगे थे , उस समय उस बेवतन बादशाह के साथ सिर्फ …

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डॉ अख्लाक्ष प्रताप सिंह एक बेहतरीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले इंसान

दो दशकों में बहुत कुछ बेशक़ बदल जाता है। बस नही बदलता तो वो है सीनियर्स और जूनियर्स का बेशुमार प्यार और रिगार्ड और सीखने जानने बताने कहने सुनने की बेशुमार चाहत। डॉ अख्लाक्ष प्रताप सिंह जी हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में हमारे से इमिजेट सीनियर बैच में थे और मेरी पिछली मुलाक़ात इनसे साल 2000 में बस ऐसे ही चलते फिरते हुई थी। डॉ साहब उस जमाने मे भी बायोकेमिस्ट्री के ठीक ठाक विद्वान हुआ करते थे और इनकी विद्वत्ता …

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उपवास का महत्वऔर प्लेसिबो की खोज

डॉक्टर रसेल ट्रॉल यह पहले अमेरिकन एलोपैथिक डॉक्टर थे। सरकारी डॉक्टर होने के नाते वो गांव गांव जाकर बीमार लोगों को दवाइयां देते थे। एक दिन उन्होंने देखा कि एक महिला बहुत ही गंभीर बीमार है। उन्होंने चेक किया और उनके घर वालों को बताया कि वो महिला 1 हफ्ते से ज्यादा दिन जीवित नहीं रह सकेगी, इसलिए उन्होंने उसे कोई भी दवा नहीं दी। उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया। 15 दिन के बाद डॉक्टर ट्रॉल फिर उसी …

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हमारे कौरव पाण्डव और हमारा महाभारत

जयवीर रावत शास्त्र कहते हैं कि अठारह दिनों के महाभारत युद्ध में उस समय की पुरुष जनसंख्या का 80% सफाया हो गया था। युद्ध के अंत में, संजय कुरुक्षेत्र के उस स्थान पर गए जहां संसार का सबसे महानतम युद्ध हुआ था। उसने इधर-उधर देखा और सोचने लगा कि क्या वास्तव में यहीं युद्ध हुआ था? यदि यहां युद्ध हुआ था तो जहां वो खड़ा है, वहां की जमीन रक्त से सराबोर होनी चाहिए। क्या वो आज उसी जगह पर …

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जेंथिप, भामती और भारती के बहाने

कुमारी वंदना सुकरात के बारे में प्रचलित है कि उनकी पत्नी बहुत कर्कशा थी। एक बार जब उसने भोजन करने के लिए सुकरात को आवाज दी, सुकरात अपने शिष्यों से चर्चा में मगन थे। जब बारबार आवाज देने पर भी वे नहीं गए तो सुकरात की पत्नी ने आकर उन पर पानी उड़ेल दिया (पानी की जगह कहीं कहीं चाय और कहीं कहीं कीचड़ का भी उल्लेख मिलता है)। सब दंग रह गए तो सुकरात ने कहा – मेरी पत्नी …

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आर.टी.आई. लिखने का तरीका

हीर चंद्र ठाकुर ये कानून हमारे देश मे 2005 मे लागू हुआ था जिस का उपयोग कर के आप सरकार और किसी भी विभाग से सूचना मांग सकते है, आम तौर पर लोगो को इतना ही पता होता है परंतु आज मैं आप को इस के बारे मे कुछ ओर रोचक जानकारी देता हूँ। आर.टी.आई. से आप सरकार से कोई भी सवाल पूछ कर सूचना ले सकते है आर.टी.आई. से आप सरकार के किसी भी दस्तावेज़ की जांच कर सकते …

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श्राद्ध करने की सहज विधि

कृष्ण भागवत किंकर पितृपक्ष, महालय या पार्वण पक्ष या श्राद्ध पक्ष 20 सितम्बर से आरम्भ होने वाला है। अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हुए उन्हें धन्यवाद पूर्वक स्मरण करने के साथ जीवन में शांति , सुख, समृद्धि, वृद्धि, निर्विघ्नता आदि के लिए श्राद्ध, पितृ तर्पण,पिण्डदान, गोदान, आदि करने का विधान सनातनी परम्परा है। लुटेरे-आक्रान्ताओं के आक्रमणों से उत्पन्न हजार वर्षों की अव्यवस्था के कारण अधिकांश सनातनी हिंदुओं में श्राद्ध के ठीक-ठीक विधानों की जानकारी न्यूनतम है साथ में …

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