जीवन के कई सवाल और उनके जवाब

kamal jeet

जीवन के कई सवाल ऐसे होते हैं जिनके हल किताबों में कभी नहीं मिलते हैं क्युरोसिटी के कीड़े बरसों बरस उन सालों पर एड़ी ठाये इंतज़ार करते रहते हैं कि कभी तो कोई महाबली गुणीजन ऐसा टकर जाएगा जो सवाल के साथ न्याय कर देगा साल 1992 में 10+1 का छात्र बनकर यूनिवर्सिटी कालेज रोहतक में पहुंचा और रोहतक जिले के देहात से आये बालकों से मेरा पहला सम्पर्क हुआ और मेरे तो सवाल बहुत रहते थे फिर भी मैं …

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मनुस्मृति दहन दिवस की ऐतिहासिक प्रासंगिकता

25 दिसम्बर को मनुसमृति दहन दिवस भी देश में आजकल मनाया जाने लगा है और सोशल मीडिया के प्रचलन के साथ साथ यह भी कुछ लोगों के लिए पर्व के रूप में अब देखा जाने लगा है। मैं अठ्ठाईस तीस साल का हो गया था मैंने कभी मनुस्मृति का नाम तक नहीं सुना था जब कानून की पढ़ाई शुरू की तो जस्टिस मार्कंडेय काटजू का लिखा पेपर ANCIENT INDIAN JURISPRUDENCE पढ़ा तो श्रुति और स्मृति का कांसेप्ट पल्ले पड़ा और …

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भगवान श्रीराम मंदिर जी के निर्माण में श्री के के मुहम्मद जी का योगदान

साल 1976-77 में डॉ ब्रज बसी लाल जी जो आर्कियो लॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया में बड़े पद पर थे ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर खुदाई प्रारंभ की।  उनकी टीम में कई युवा आर्कियोलोजी वाले थे जिनमें एक युवा श्रीमान के के मुहम्मद साहब भी थे जो उस खुदाई दल में एक मात्र मुस्लिम भी थे। के के मुहम्मद जिनको आज मैं सुन रहा था ने अपनी याद से बताया कि उस साल जैसे ही हम खुदाई वाले इलाके में …

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श्रीमान वीरेंद्र गोयल जी द्वारा प्रदत जीवन सूत्र

श्रीमान वीरेंद्र गोयाल जी इंदौर में रहने वाले एक उद्योगपति हैं और इनका मूल निवास हरियाणा के हिसार जिले के गाँव तलवंडी रुक्का से है। ये लम्बे समय से इंदौर में रहते हैं और इनका कम्बल बनाने का कारखाना है। सोशल मीडिया के माध्यम से मेरा इनसे परिचय है। एक बार मैं इंदौर में इनके घर पर भी गया हूँ और जनक पलटा जी से मुझे इन्होने ही मिलवाया था। अच्छी गुणकारी बातों का संग्रह इनकी आदतों में शुमार है। …

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हरियाणवी देसी चुटकले

कितना बड़ा दर्द रै रामफल भाई आजकल वा छोरी भी अंग्रेजी गाणे सुण सै जुणसी अंग्रेज़ी के पेपर मैं मेरे पै पर्ची मांगया करदी डाक्टर की हाजिर जवाबी एक बै एक आदमी डॉक्टर धोरे जा कै कहवे है’ “डॉक्टर साब मेरे दस्त लाग रे सै!”डॉक्टर मैच देख रह्या होवे है और बोले है : लागे रहण दे, तनै के उसके गोस्से पाथने सै: तजुर्बे की बात रोडवेज बस में जितनी लुगाई चढया करे हैंसीट खुसन का उतना ही खतरा रहया …

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न्याय कानून मर्यादा और हम

न्याय किसी भी सभ्यता की नींव होता है। भारत में जिस सभ्यता को फिलहाल हम जी रहे हैं उसमें बसने वाले बाशिंदों को जब जब न्याय की आवश्यकता पड़ती है तो वो अपनी जरूरत और हैसियत मुताबिक खरीद लाते हैं और अपना काम सा चला लेते हैं। पंचकुला कोर्ट में आज से दो बरस पूर्व दस रुपये के स्टाम्प की जगह अनउपलब्धता का बहाना बना कर सौ रुपये का स्टांप पेपर एक सौ तीस रुपये का मिलना एक रुटीन सी …

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खपीटरों के किस्से कहानियां

मोबाइल रिचार्ज वर्सेज सुथरा ब्याह एक बार की बात जब ये जिओ आया ना था और मोबाइल के रिचार्ज बहुत महंगे होया करदे। एक खपीटर के न्यू जच गयी अक तेरा ब्याह तो बस फेसबुक ही करवा सके है और बस दिन रात जुटा रहंदा। फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजन और छोरियां के फोटू लगाये बैठे छोरां नैं ढूंढ कै हटान मैं डेली दो जी बी डाटा का नास ठा दिया करता। एक दिन जब वो फेर हर रोज की तरिया नेट …

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माँ बोली के मसले और समाधान

माँ बोली आजकल ऐसा शब्द है जिसको हथियार बना कर देश में जनता को काटने बाँटने का काम कई जगह चल रहा है। माँ बोली के पैरोकार राज्यों को ऐसा चाहते हैं कि उनमें बस वहीं के लोग आयें बसें और घिसियाँ करते रहे। किसी में आगे बढ़ने की इच्छा हो तो वो बस मन मार के अपने ही राज्य में जड़ा रहे। ऐसा करने के पीछे दर असल उनका लक्ष्य भारत के विराट स्वरूप को टुकड़े टुकड़े करके रखना …

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रोजमर्रा के मसले और उनके संभावित समाधान

गणित में निल बटे सन्नाटा रहने के बावजूद मेरी इंजिनीयरिंग में रुचि बराबर बनी रही मैंने ऐसे दोस्त ढूंढ लिए जो दीवार की चिनाई करने से लेकर रेडियो स्टेशन को सूट केस में पैक करके कहीं भी ले जा कर उसे शुरू करने लायक बनाने में सक्षम थे। सांख्यिकी के पेपर में तीन नम्बर आये थे तो अध्यापक महोदय ने ने मेरी गैरत को जगाने के लिए क्लास के सामने ही मेरे से पूछा था कि इन तीन नम्बरों से …

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शेरनी का दूध

शिक्षा कभी शेरनी का दूध हुआ करती थी। जब गुरुजनों से विद्या दान में मिला करती थी। जिसे पी कर जीव दहाड़ने लगता था लेकिन अब आजकल ये रींगता हुआ जमाना इस बात का गवाह है कि शिक्षा के नाम पे कुछ और ही महंगी पैकिंग में उपलब्ध कराया जा रहा है जिसे घप घप पीने वाले दिन रात झींगुरों की तरह अपनी अपनी जगह चिपके रींग रहे हैं। जिससे दिन दहाड़े भरी दोपहर में वातावरण में एक अनजान भय …

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