भारतीय इतिहास के उलझे हुए मसले और इतिहासकार इरफान हबीब और रोमिला थापर के नाम एक खत

विजय मोहन वामपंथी इतिहासकार इरफान हबीब और रोमिला थापर को कुछ समय पहले एक चिट्ठी लिखी थी। मैंने उन्हें लिखा है कि आज इतिहास को लेकर भारतीयों में पहले से ज्यादा जागरूकता है। इंटरनेट ने तथ्यों को उजागर करने में बहुत मदद की है। आखिर ऐसा क्या सच सामने आ गया है कि एक समय इतिहास लेखन में इरफान हबीब और रोमिला थापर जैसे बड़े प्रतिष्ठित नाम आज आम लोगों के लिए गाली बन गए हैं। कभी सोचें कि लोग …

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भगवान शिव के 108 नाम और उनके अर्थ

शास्त्रों और पुराणों में भगवान शिव के अनेक नाम है। जिसमें से 108 नामों का विशेष महत्व है। यहां अर्थ सहित नामों को प्रस्तुत किया जा रहा है। 1- शिव – कल्याण स्वरूप2- महेश्वर – माया के अधीश्वर3- शम्भू – आनंद स्वरूप वाले4- पिनाकी – पिनाक धनुष धारण करने वाले5- शशिशेखर – सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले6- वामदेव – अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले7- विरूपाक्ष – ‍विचित्र आंख वाले( शिव के तीन नेत्र हैं)8- कपर्दी – जटाजूट धारण करने वाले9- …

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हिंदी दिवस और हमारी डोगा पुलिस।

बात जरा पुरानी है मेरे मित्र संदीप जी निवासी ग्राम डोभ जिला रोहतक के दादा जी उन्हें हर रोज़ बैठक में अख़बार देकर बैठा देते थे और अख़बार पढ़कर सुनाने को कहते। उसी बैठक में कई बुजुर्ग हुक्का पीते पीते अख़बार सुनते और यह प्रोग्राम हर रोज़ दोपहर में तीन बजे के आस पास चला करता था। एक दिन की बात है संदीप जी ने ख़बर पढ़ी के अमुक स्थान पर दुर्घटना घटी और इतने लोग घायल हुए। दादा जी …

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मिट्टी के जानकार बाबा दीपक सचदे

बाबा दीपक सचदे जी आज इस भौतिक जगत में नही हैं, लेकिन उनके द्वारा स्थापित काम जगत में बोल रहा है। बाबा दीपक सचदे के खेतों की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन कॉन्टेंट 6 से 7 तक है, यह ICAR के कृषि वैज्ञानिकों ने चेक करके बताया था। प्रकृति में जो मिट्टी निर्माण की प्रक्रिया है जो 400 वर्षों में पूरी होती है उसे बाबा दीपक सचदे ने समझ कर उसे सहज रूप से मात्र तीन महीने में पूर्ण कर लिया …

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हकीकत नेचुरल फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड की हुई पहली वार्षिक आम बैठक

प्रेम माहिया हकीकत नेचुरल फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड हनुमानगढ़ की प्रथम वार्षिक बैठक आज दिनांक 13 सितम्बर 2021 को आयोजित की गयी जो बेहद कामयाब रही। लगभग एक साल के अंतराल से मिले सभी सदस्यों में संस्था की उन्नति को लेकर बेहद उत्साह रहा है इस चुनौतीपूर्ण समय में इस किसान कम्पनी से जुड़े सभी किसान सदस्यों ने अच्छी तरक्की की है और किसान कम्पनी को उपभोक्ताओं का साथ और विश्वास भी मिला है, नये उत्पादक भी किसान कम्पनी से …

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समाज सेवा और सम्मान

नारायणगढ़ सिविल हॉस्पिटल में सुबह आठ बजे मेरे एक मित्र श्रीमान अजय वालिया जी दिखाने के लिए ओपीडी की लाइन में लगने लगे तो उसने देखा कि लाइन अभी लंबी है इधर पेट मे चूहे कूद रहे थे तो अपने से आगे वाले को बोल कर नज़दीक की दुकान से एक सैंडविच और पीने के लिए लस्सी का पाउच ले आये और लाइन की साइड में बैठ कर खाने लगे तभी उनका ध्यान एक आठ साल के बच्चे ने आकर्षित …

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आर्थिक संगठन का स्वरुप कैसा होगा और यह काम कैसे करेगा

आर्थिक संगठन की आत्मा होती है : पूँजी यानि की कैपिटल जो आज हर किसी के पास नही होती है, पूँजी की मदद से ही सभी व्यापारिक गतिविधियाँ चलाई जा सकती है। पूँजी को हाथ में कैश के रूप में नही रखा जा सकता है। इसके लिए एक बैंक खाते की आवश्यकता होती है और वो भी करंट अकाउंट होना चाहिए क्यूंकि हमें ऐसा बैंक खाता चाहिए होता है जिसमें जितनी बार मर्जी लेन देन किया जा सके। बचत खाता …

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शुभ लाभ आर्थिक संगठन

भूमिका हमारा देश असल में एक दुनिया हैं यहाँ आदिकाल से ही पूरे विश्व से शोधार्थी आते रहे हैं और यहाँ से सीख सीख कर ज्ञान और अनुभव पूरी दुनिया में ले जाते रहे हैं। शोधार्थियों के शोध ग्रंथों को पढ़ कर और उनके अनुभवों को सुन कर यहाँ की धन संपदा और वैभव को लूटने के मकसद से यहाँ हमलावर भी आते रहे हैं जिन्होंने हमारी धन संपदा को लूटने के साथ साथ हमारे ज्ञान केन्द्रों जैसे नालंदा और …

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गधे की कब्र और अंधविश्वास का कारोबार

आचार्य रजनीश एक फकीर किसी बंजारे की सेवा से बहुत प्रसन्‍न हो गया। और उस बंजारे को उसने एक गधा भेंट किया। बंजारा बड़ा प्रसन्‍न था। गधे के साथ, अब उसे पेदल यात्रा न करनी पड़ती थी। सामान भी अपने कंधे पर न ढोना पड़ता था। और गधा बड़ा स्‍वामीभक्‍त था। लेकिन एक यात्रा पर गधा अचानक बीमार पडा और मर गया। दुःख में उसने उसकी कब्र बनायी, और कब्र के पास बैठकर रो रहा था कि एक राहगीर गुजरा। …

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निब वाले पेन हमारा बचपन और हम

जब हम स्कूल में पढ़ते थे उस स्कूली दौर में निब पैन का चलन जोरों पर था। तब कैमलिन और चेलपार्क की स्याही प्रायः हर घर में मिल ही जाती थी, कोई कोई टिकिया से स्याही बनाकर भी उपयोग करते थे और जिन्होंने भी पैन में स्याही डाली होगी वो ड्रॉपर के महत्व से भली भांति परिचित होंगे। महीने में दो-तीन बार निब पैन को खोलकर उसे गरम पानी में डालकर उसकी सर्विसिंग भी की जाती थी और लगभग सभी …

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