एक बार की बात है के ताऊ रामफल का अच्छा ब्योंत हो गया और जब पैसे पूसे ठीक ठाक हो गए तो ताऊ रामफल ने अपने सारे शौक़ पूरे कर लिए डबल एम् ऐ की पढ़ाई से ले कर सारे महंगे सस्ते शौक़ आजमा लिए लेकिन दिल नहीं भरा फेर भी कसर रह गयी , एक दिन टी.वी. पर रामायण देखते देखते ताऊ ने सोच्या के अक अब भगवान् की प्राप्ति करणी चाहिए।
किताब कुतूब पढ़ कै देखि लेकिन कोई तार कनेक्शन फ्यूज कुछ नहीं मिला राम के गाम का। एक दो महंतो के पास उठा बैठ करी तो वो बोले के अपनी जमीन जायदाद मठ के नाम कर दो तो मोक्ष मिल सकता है , ताऊ भी पक्का था बोले गारंटी दो पहले , कुल मिला कर बात बनी ही नहीं किसी तरह से भी।
फिर एक दिन ताऊ रामफल को गाँव के किसी पुराने आदमी ने गाँव के बाहर बीहड़ में बसे सयाने के बारे में बता दिया और दो झूठी सच्ची कहानियां भी सूना दी और बस फेर के था ताऊ रामफल का चा तो चढ़ ऐ रह्या था उसने तो अपनी जीप ठायी और सीधा बीहड़ की तरफ निकल गया।
स्याना भी कई दिनों का टोटे के टूटा पड़ा था जैसे ही उसने दूर से जीप आती देखि तो उसने अपना पाखंड खिंडाना शुरू कर दिया और ताऊ रामफल उसके नज़दीक लगे तो वो आसमान में मुझ किये ऐसे बात करते मिला के जैसे परमात्मा से सीधे बात कर रहा हो। बड़ी मुश्किल से उसका वार्तालाप बंद हुआ तो ताऊ रामफल से उसने आने का कारण पूछा।
ताऊ रामफल ने बताया के बस एक बार परमात्मा से बातचीत करवा दे बस , सयाने ने कहा ये तो बाएं हाथ का खेल है भाई बस थोड़ा खर्चा करना पडेगा , ताऊ ने पूछी अक कितना , स्याना धीरे से बोल्या बस तीस एक हज़ार। ताऊ ने जेब में हाथ मारया तो दो दो हज़ार के कई नोट थे और दस काचे नोट ताऊ ने सयाने को दिए चल पकड़ एडवांस और बता दे कार्रवाई।
सयाने की जेब में कड़कड़ते नोटों ने कोहराम मचा दिया और वो उड़ते कदमों से अंदर गया और एक पुड़िया बना कर लाया और उसने पुड़िया खोल कर ताऊ को दिखाते हुए कहा के यजमान बड़ा आसान सा काम है कोई परहेज नहीं है किसी तरह का बस सुबह शाम इस मन्त्र का जाप करना है , जाप करते समय बस एक ही बात का ध्यान रखना है के बंदर का ख्याल न आये।
ताऊ ने तुरंत पुड़िया पकड़ी और सीधे घर , नहा धो कर सीधे आसान पर बैठे और मंत्र का पहला अक्षर ही पढ़ा था के बंदर दिमाग में चमक गया ताऊ ने पुड़िया बंद कर दी। शाम को फिर कोशिश की तो दिमाग में बंदर का हमला हो गया। हफ्ता दस दिन बीत गए ताऊ की हालत खराब हो गयी हर काम में उन्हें बंदर दिख जाए और स्वाभाव भी चिड़चिड़ा हो गया।
घर के सदस्यों ने मनोचिकित्सक को दिखाया तो उसने दस बीस हज़ार का काम और बाँध दिया चौधरी साहब सूए साये लगवा कर वापिस घर आये और पहले दस हज़ार रुपये अपने खींसे में ठोके और सीधे सयाने से मिलने बीहड़ में जा पहुंचे , सयाने की तो मौज ले हुई थी वहां का नज़ारा बदला बदला था, इससे पहले स्याना को सवाल पूछ पाता , चौधरी साहब ने किवाड़ मूँद कर दे मुक्का दे मुक्का दे लात दे कोहनी सयाने का सबसे पहले तो डेढ़ स्याना बनाया और उसके सारे हाड गोड्डे तोड़ ताड़ कर जब उसकी सुनी तो सयाने की एक ही आवाज सुनाई दी के चौधरी साहब अगर मोक्ष वाला काम पसंद न आया हो तो अपने बीस हज़ार उलटे ले लेना।
चौधरी साहब ने अपने खीसें में से तुरंत दस हज़ार और निकाले और उसके मुहं में ठूस दिए और बोले भूतनी के ये दस हज़ार और ले और मेरा बांदर तै पीछा छुटवा मन्ने नहीं जाना स्वर्ग तूहे मर ले स्वर्ग मै।