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पुणे के राहुल पाठक बना रहे हैं बिना बिजली के चलने वाला पोर्टेबल वाटर फ़िल्टर

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राहुल पाठक

पोर्टेबल वाटर फ़िल्टर बनाने वाले ये श्रीमान राहिल पाठक जी हैं जो पुणे, महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। राहुल बताते हैं कि जब पुणे में मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, तब मुझे समझ आया कि तार्किक ढंग से प्रयोग के जरिये ही मैं अनेकों समस्याओं का हल निकाल सकता हूँ जिससे मैं अपने भविष्य का निर्माण करने के साथ साथ अनेकों लोगों का जीवन भी आसान कर सकता हूँ।

साल 1993 में मैंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने का मन बनाया और मैं एक वॉटर प्यूरीफायर की मार्केटिंग करने लगा। मेरी मार्केटिंग करने की प्रक्रिया देख कर मेरे पिता जी ने मुझे मार्केटिंग करने की तकनीक में सुधार करने के कुछ बेहतरीन सुझाव दिए और उससे मुझे कामयाबी मिली और अगले हो साल मैंने 1994-95 में अपनी एक कंपनी बना ली और और खुद ही वॉटर फिल्टर बनाने लगा।

अब मुझे बहुत सारे नए विचार भी आने लगे और मैंने मोबाइल पोर्टेबल वॉटर फिल्टर बनाना शुरू किया। इसकी खासियत यह थी कि वॉटर फिल्टर में इस्तेमाल होने वाली झिल्ली से पानी 90% साफ हो जाता है। इस झिल्ली को उसवक्त मैं चीन से आयात करता था, लेकिन मैं इसे यहीं भारत मे बनाना चाहता था और कुछ समय बाद मैंने इसे बनाना सीख लिया और बनाना शुरू भी कर दिया।

कई वर्षों तक नई खोज करने की आदत के बावजूद मैंने नई तकनीकों के प्रयोग से बिना बिजली के चलने वाला वॉटर फिल्टर बनाया है, जो कि कई देशों में काफी उपयोगी साबित हुआ है। इससे प्राकृतिक आपदा के दौरान स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने में भी मदद मिली है।

पहली बार उपयोग

वर्ष 2005 में जम्मू कश्मीर में आए भूकंप के दौरान मेरे पोर्टेबल मोबाइल वॉटर फिल्टर का पहली बार इस्तेमाल किया गया। मैंने इसे सेना को दान कर दिया। सेना ने इसे उड़ी और तंगधार इलाकों के राहत शिविरों में स्थापित किया था। इससे मुझे काफी सराहना मिली और मेरा हौसला बढ़ा। बाद में एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ऑक्सफेम के कुछ विशेषज्ञों ने मुझसे संपर्क कर एक अलग तरह का वॉटर फिल्टर बनाने की मांग की।

बिना बिजली से चलने वाला फिल्टर

मोबाइल वॉटर फिल्टर इतना उपयोगी था कि उसे बाढ़ प्रभावित दूर-दराज इलाकों में भी इस्तेमाल किया गया। ऑक्सफेम की मांग पर कई वर्षों तक नई खोज और तकनीक के प्रयोग के बाद हम एक बेहतरीन पोर्टेबल वॉटर फिल्टर बनाने में कामयाब रहे, जो न सिर्फ बिजली के बगैर चलता है, बल्कि इसे देश के विभिन्न इलाकों में आसानी से पहुंचाया जा सकता है। इसकी क्षमता दस घंटे में सात हजार लीटर पानी को शुद्ध करने की है।

आपदाओं में इस्तेमाल

कम खर्च, कम वजन और बिना बिजली के चलने के कारण इसे दूरस्थ इलाकों में ले जाना बहुत आसान है। कई राष्ट्रीय आपदाओं में यह बहुत ही कामयाब साबित हुआ है। देश में इसे लगभग 1,500 स्थानों पर लगाया गया। यह विदेशों में उपयोगी साबित हुआ है। हमारे पास इसके चार मॉडल हैं।

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