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प्रशांत और उर्मिला ने जीवन में स्थायी सुख चैन शान्ति और ख़ुशी आनंद मौज से भरा गौपालन केन्द्रित मॉडल किया विकसित

prashant urmila family 1

प्रशांत दर्शी और उर्मिला धुरंधर आई.टी. प्रोफेशनल्स हैं और दोनों अमरीका में बड़ी मल्टी नेशनल आई टी कारपोरेशन में काम करते थे। प्रशांत और उर्मिला ने अपने जीवन में एक आर्थिक स्थायित्व पाने के बाद अपनी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत में आकर देसी गौ वंश के साथ काम करना शुरू किया।

प्रशांत ने अपने साक्षात्कार में बताया कि मेरा नाम प्रशांत दर्शी है और मैं आंध्र प्रदेश के गुंटूर में जन्मा था। मैं और मेरी पत्नी उर्मिला अपनी दो बेटियों अनिका और अदित्री के साथ दिल्ली में रहते हैं और जीवन में स्थायी सुख चैन शान्ति और ख़ुशी आनंद मौज के भरा गौपालन केन्द्रित  एक मॉडल  विकसित कर रहे हैं।

बचपन मर्यादा मूल्य एवं संस्कार

हमारा छोटा सा शहर लाल मिर्च के लिए प्रसिद्ध और  मैंने अपना बचपन गुंटूर में अपने दादा दादी के साथ ही बिताया और फिर उत्तर भारत चला गया क्योंकि मेरे पिता छत्तीसगढ़ में भिलाई स्टील प्लांट (बी.एस.पी.) में काम करते थे।

हमारा परिवार एक मध्यवर्गीय परिवार हैं जिसमें मैं , मेरी माँ और  2 छोटी बहने हैं। साल 2001 में मेरे जीवन की बड़ी त्रासदी एक दिन अचानक एक दुर्घटना में मेरे पिता जी का असमय निधन हो गया और अचानक से मेरे कंधों पर अपने परिवार को सपोर्ट करने की बड़ी जिम्मेदारी आ गई।

मैं अचानक से एक लड़के से एक बड़े व्यस्क में बदल गया। मैंने बी.आई.टी दुर्ग से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और बस तुरंत ही दिल्ली की ओर नौकरी की तलाश में चला गया क्योंकि मेरे लिए मेरे परिवार को आर्थिक रूप से सपोर्ट करना मेरे लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। दिल्ली में मैंने एक वर्ष तक नौकरी पाने के लिए संघर्ष किया क्योंकि 2002 में आईटी रिसेशन काफी गंभीर था लेकिन बाद में भगवान की कृपा से मुझे एक सूचना प्रौद्योगिकी की मल्टी नेशनल कम्पनी में काम मिल गया। साल 2005 में मुझे अमरीका में एक पर काम करने का अवसर मिला। मैं अपने काम में इतना डूब गया कि कब चार साल बीते मुझे पता ही नहीं चला ।

साल 2009 में मुझे उर्मिला के रूप में जीवन साथी मिला वो भी मेरी ही तरह एक मल्टी नेशनल कम्पनी में आई टी सेक्टर में काम करती थी।मैं और उर्मिला दोनों आई टी सेक्टर में हम बड़े प्रोजेक्ट्स और टीमों का प्रबंधन कर रहे थे। हमारे जीवन में दूसरी त्रासदी तब आई जब साल 2013 में हमने अपनी माँ को दिल का दौरा पड़ने की वजह से खो दिया। अब पूरे परिवार की जिम्मेदारी हमारे कन्धों पर आ गयी और हमने अपनी दोनों छोटी बहनों के विवाह संस्कार की जिम्मेदारी का निर्वहन किया।

यह सब करते करते मेरे मुझे कभी ना थकने देने वाली ऊर्जा का एहसास लगातार होता रहता था जो मुझे हमेशा भारत भूमि से लगातार मिलती रहती थी। लगातार इतने वर्षों तक अमरीका की चकाचौंध को देखने के बाद मेरा भारत भूमि और इसे सांस्कृतिक आनंद के प्रति लगाव जुड़ाव बढ़ता ही चला जा रहा था ।   

नौकरी छोड़ कर भारत वापिस आने का निर्णय

हमारे गुंटूर वाले घर में जहाँ मेरा बचपन दादा दादी के साथ बीता था वहां घर में ओंगोल गायें और बैल भी थे। मैं उन्ही के बीच में खेल कूद कर बड़ा हुआ और गायों के साथ मैंने हमेशा एक जुड़ाव महसूस किया। गायों के प्रति यह लगाव और मेरी बेटियों को शुद्ध दूध प्रदान करने की इच्छा, मेरे मन में भारत वापस आकर एक छोटा गौशाला शुरू करने तक मुझे लेकर गयी।

साल 2018 में जब मेरी बेटियाँ स्कूल जाने लगी तो अमरीका में अपनी लुभावनी उच्च वेतन वाली नौकरी छोड़ दी और जन्म भूमि की गोद में भारत माता के पास वापस आ गया। तब तक हम अपने परिवार के लिए वित्तीय सुरक्षा का प्रबंध कर चुके थे  और मेरी पत्नी उर्मिला का सहयोग और समर्थन मेरे लिए एक बहुत बड़ी वैचारिक ताकत का काम कर रहा था।

तमाम मुश्किलों और चुनौतियों का मुकाबला करके हम दिल्ली में एक जगह बनाकर बसने के लिए आ गए थे। भारत में अगले कुछ महीनों में मैंने यात्रा की और कई गौशालाओं का दौरा किया और अपनी छोटी गौशाला बनाने का काम शुरू किया। गौमाता की कृपा से मुझे दिल्ली के बाहरी इलाके बादली के श्री अजित गुलिया जी  से मिलने का अवसर मिला जिन्होंने मुझे बहुत सहायता प्रदान की, मुझे भूमि प्रदान की और जब मैं अपनी गौशाला बना रहा था तब मेरा साथ दिया क्योंकि मेरे पास स्थानीय ज्ञान और संपर्कों की कमी थी।

मेरा इरादा एक मॉडल गौसदन बनाने का था जहाँ हम देसी नस्ल की गायों की नस्ल सुधार पर काम कर सकें जिनकी संख्या अब लगातार तेजी से कम होती जा रही है और शुद्ध नसल की देसी गाय मिलना अब इतना आसान भी नहीं रहा है।

काफी भाग दौड़ के बाद हमारा गौसदन अस्तित्व में आ गया और हमारे यहाँ प्रतिदिन 120 लीटर शुद्ध देसी गाय का दूध का उत्पादन शुरू हो गया जिससे हमने ताजा दूध की डिलीवरी और शुद्ध देसी घी के निर्माण का कार्य शुरू किया।

गौसदन में मेरे अनुभव

एक बार जब गौसदन स्थापित करने के लिए हमने जरूरी चीजें जैसे बाड़ा, चारे, दाना पानी का प्रबंध आदि सब  कर दिया तो देसी गौवंशों को धुंध कर और खरीदकर वहां लेकर आना था और मैं बेहद उत्साहित था लेकिन ठीक इसी समय मेरे प्रोजेक्ट के साथी ने मुझे अकेला छोड़ने का निर्णय ले लिया तो मेरे सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गयी। मुझे मेरे साथी को उसके द्वारा किया गया निवेश वापिस करना था और मुझे इसी वक्त गौवंश खरीदने के लिए धन की भी आवश्यकता थी।

मैं एक भगवान और नियति में विश्वास करने वाला व्यक्ति हूँ और मैं निश्चिंत भाव से मेरे साथी का निवेश शुभकामनाओं सहित उसे सहर्ष वापिस कर दिया। अब चुनौतियों के समंदर में मैं अकेला कूदने को तैयार था। मैं स्थानीय संपर्कों, ज्ञान और समझ के लिए अपने साथी पर निर्भर था लेकिन अब यह जिम्मेदारी भी मुझे ही उठानी थी।

मैं राजस्थान पहुंचा और वहां मैंने घूम फिर कर तीन राठी गायें पसंद की और उन्हें ले आया और गौसदन में दूध उत्पादन शुरू हो गया। दूध के ग्राहक कहाँ हैं मुझे इस बात का भी कोई ज्ञान नहीं था बस मैं एक धुन में चला जा रहा था।     

मुझे दिल्ली के द्वारिका नगर में एक उपभोक्ता मिला जिसने मुझे दो लीटर दूध का आर्डर दिया। मैं सुबह तीन बजे अपने गौ सदन में पहुँच जाता था। सभी गायों को चारा डालता , उनके भले चंगे होने कि निगरानी करता और दुहाई करके 2 लीटर दूध लेकर उसे अपने उपभोक्ता देवता को पहुंचाने के लिए जाता। इस पूरे काम में मुझे एक असीम सुख की प्राप्ति होती जिसकी मुझे सदा से एक चाह थी।

सोशल मीडिया से मदद      

हमारे गौसदन का गौ अमृत जब उपभोक्ताओं के घरों तक पहुंचा तो उ होने अपने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स से इसका जिक्र किया तो मेरे पास बहुत सरे नए सम्पर्क आये जिन्हें गौरस (दूध) प्राप्त करने की इच्छा थी। एक वर्ष पूरा होते होते हमारे गौसदन से लगभग सौ के आसपास उपभोक्ता परिवार जुड़ चुके थे। 

कोविड काल के अनुभव   

कोविड आया तो हमारे लिए नरक का द्वार खुल गया क्योंकि गौ सदन के सारे कर्मचारी काम छोड़ कर अपने घरों को दौड़ गए। अचानक से लॉक डाउन लगने की वजह से कर्मचारियों में जान बचाने का एक अनजान डर उनके दिलों में बैठ गया और उन्होंने किसी बात की चिंता ना करते हुए गौसदन को खाली कर दिया और अपने अपने शहरों को दौड़ गए।

मैं अकेला रह गया था सभी काम करने के लिए और ऐसे वक़्त में परमात्मा ने मेरे लिए ऑक्सीजन की एक बूंद एक कर्मचारी के तौर पर रख दी जो गौसदन में दुहाई का काम करता था और उसने आखिरी वक़्त में  गौसदन को छोड़ का ना जाने का मन बना लिया। मेरे लिए यह एक बहुत बड़ी राहत की बात थी।

हम दोनों ने कमर कसी और यह सुनिश्चित किया कि हमारे हरेक उपभोक्ता को समय पर दूध मिले ताकि उनके शरीरों में कोविड से लड़ने की शक्ति उत्पन्न हो। 

परमात्मा ने हमारी सुनी और हम दोनों मिलकर अपने सभी उपभोक्ताओं को शुद्ध दूध की उपलब्धता कराने में पूरी तरह से कामयाब रहे और हमारी इस भावना को हमारे उपभोक्ताओं द्वारा बहुत सहराना भी मिली।

लम्पी स्किन बिमारी का हमला   

अभी हम कोविड बीमारी के आतंक से निकले भी नहीं थे कि हमारे सामने लम्पी स्किन बीमारी नाम की एक और चुनौती आकर खड़ी हो गयी। इस बिमारी ने सभी गौपालकों को आश्चर्यचकित कर दिया और चूंकि यह गायों की एक वायरल और अत्यधिक संक्रामक बीमारी थी इसलिए कोई उचित उपचार नहीं था। हमारे गौ सदन में भी इस बिमारी का प्रभाव गौमाताओं पर दिखाई दिया और हमारे गौसदन में जैसे ही गौमताओ का स्वास्थ्य गिरने लगा तो मेरे अंदर एक अजीब सी ताकात ज्ञान और रौशनी का संचार हुआ और मैंने देसी नुस्खों के प्रयोग करने शुरू किये जिसके मुझे अच्छे नतीजे मिले और मैंने पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी  अनुभव ले लिया।

अब मुझे गौसदन चालते हुए चार वर्ष हो गए थे जो धन आय की प्राप्ति होती वो गौ सदन में ही लग जाया करती थी और मैं अपने परिवार का गुजारा अपनी पूर्व काल में की हुई बचत से ही कर पा रहा था।

अमरीका में मैं बी.एम् डब्ल्यू कार चलाया करता था और यहाँ अब मेरे पास एक स्प्लेंडर मोटर साईकिल थी। मुझे मेरी हालत पर कोई पछतावा नहीं था क्यूंकि मैंने सिर्फ आर्थिकता को केंद्र में रख ही गौसदन चलाने का विचार नहीं बनाया था।

मैं जब अपने गौसदन में पहुंचता था और गौमाताओं के बीच में जाकर उनके दाने पानी चारे का इंतजाम करता तो मेरा मन खुशियों से भर जाता था और आशा का संचार हमेशा बना रहता था। मेरी बेटियां जब गौ सदन में आती और वो गायों और बछड़े बछड़ीयों के साथ खेलती तो मुझे अपना बचपन भी याद आता और इस बात की मुझे हमेशा ख़ुशी होती कि मैं अपनी बेटियों को वो सब दे पाया जो मुझे मेरे परिवार ने बचपन में दिया था।

उर्मिला ने भी बच्चियों के स्कूल जाने के समय से कोई नौकरी नहीं की है उसने अपना 100% दोनों बच्चियों के पालन पोषण परवरिश और ट्रेनिंग में लगाया है हमारी बड़ी अनिका बिटिया सोशल साइंस ने इंटरनेशनल ओलंपियाड में पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर आई है।

मैं इस बात को पूरी तरह से मानता हूँ कि गायों की उपस्थिति में सकारात्मक तरंगें होती हैं जो किसी भी किस्म की नकारात्मकता को हर लेती हैं। हमारे गौ सदन में गौमाताओं के साथ समय बिताने के लिए कई लोग आते हैं और उनका यह कहना है कि यहाँ बिताया कुछ समय उनकी चिंताओं दिक्कतों और परेशानियों को खत्म सा कर देता है।       

शुद्ध दूध और शुद्ध तेल मॉडल

मुझे  अपने गौ सदन में गौमाताओं के लिए हमेशा शुद्ध खल की आवश्यकता रहती थी और मुझे अलग लग जगहों से खल लेकर आनी पड़ती थी। मैंने एक बात और महसूस की हमारी बाजार से लाये जाने वाली खल में से तेल को बुरी तरह निचोड़ा हुआ होता है। जिससे गायों को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है। यदि हम अपनी खुद की सरसों का तेल निकालने की यूनिट लगा लें तो इसके दो फायदे होंगें एक तो हमें शुद्ध खल मिल जाएगी दूसरे हमें शुद्ध तेल की उपलब्धता भी हो जाएगी जिससे हमारे उपभोक्ताओं को शुद्ध सरसों का तेल भी मिलने लगेगा।  

मेरे मन में बस एक योजना थी न निवेश था और न ही तेल के प्रोजेक्ट पर काम करने का बल। गौमाता की कृपा हुई और मेरी कामनाओं का प्रतिफल मुझे एक नये मित्र के रूप में मिला जिनका नाम हर्षवर्धन जी है और जिनके पास गौसेवा और गाय से जुड़ने का संकल्प नियति ने पहले से भी उनके मन में स्थापित किया हुआ था। ये एटा उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और इनके पास पर्याप्त भूमि और भण्डारण के संसाधन थे और इन्होने मेरी तेल की यूनिट लगाने की कार्य योजना को सुना और मेरे साथ जुड़ने की सहमति जताई।  हम दोनों ने अपने व्यावसायिक पार्टनरशिप की शुरुआत कर दी और उसी के तहत एटा में तेल निकालने की मशीन लगाईं गयी। तेल निकालने के लिए सरसों की व्यवस्था भी स्थानीय तौर पर ही कर ली गयी।

हमारे यूनिट में कोल्ड प्रेस तकनीक एक द्वारा सरसों मूंगफली और तिल के तेल का उत्पादन शुरू हो गया है। अब हमें उच्च गुणवता की खल भी मिल रही है जिसका उपयोग हम अपने गौसदन में कर रहे हैं। गौमाताओं को पोषण युक्त भोजन मिलने से अब उनके स्वास्थ्य में भी सुधार और निखार है।

मैंने अपने अभियान को दुनिया से जोड़ने के लिए www.divyumfarms.com पोर्टल भी बनाया और अब हमारे सभी उत्पाद इस पोर्टल के माध्यम से ग्राहकों के द्वारा मंगवाए जा रहे हैं। आप भी इस पोर्टल पर जाकर अपने परिवार के लिए जहर रहित उत्पाद आर्डर कर सकते हैं जिसे हम पूरे भारत में कोरियर के माध्यम से डिलीवर करते हैं। हमारे सभी उत्पाद रसायनमुक्त होते हैं और हम अपने उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को केंद्र में रख कर ही सारे काम करते हैं।

संपर्क सूत्र

प्रशांत दर्शी जी का मोबाइल नम्बर है 9560917764

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