लाला जी का बदला

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कल देर शाम अजय गोदारा भाई जी के साथ चाय पर बैठा था तो इन्होंने किसी रेफरेंस में एक किस्सा सुनाया ठेठ बागड़ी बोली में।

एक बार की बात है एक लाला जी अपने पोते को लेकर शेव बनवाने के लिए इलाके के मशहूर नाई की दुकान पर गया तो वहाँ नाई देवता नदारद मिले वहाँ एक नया कारिंदा मिला।

ऑप्शन कोई दूसरी नहीं थी सो कारिंदे के सामने गर्दन झुका कर बैठ गए और कारिंदे ने पहले जम कर उनका चेहरा मांजा और उनकी चमकती गंजी टाट पर एक टोला दे मारा।

लाला जी को गुस्सा तो आया ही वहाँ बैठे और लोग भी हँसने लगे लाला जी ने सब्र का घूँट भरा और शेव बनवाई और हिसाब करते हुए पचास का नोट अलग से दिया और कहा कि ये टोले का है।

बड़ा मज़ा आया आपके टोले से।

लाला जी और पोता घर आ गए और एक दो दिन के बाद दोपहर में लाला जी गद्दी पर विराजमान थे और पोता स्कूल से आकर उन्हें अखबार पढ़ कर सुना रहा था।

पोते ने खबर पढ़ी कि नाई के कारिंदे को शेव बनवाने आये एक बदमाश ने बुरी तरह पीटा है और उसका सिविल हस्पताल में उपचार चल रहा है।

लाला जी बोले : मार तो आपां ने उस दिन ही दियो था पचास ही रपियाँ मैं।

बस अभी सांसद महुआ मोईत्रा को कैश फॉर क्वेरी मामले में संसद से निकाले जाने की खबर सुनी तो लाला जी की स्ट्रेटजी फिर से याद आ गयी।

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