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गले का कैंसर: कारण, लक्षण और बचाव

रोचक तथ्य 

  • भारत में गले के कैंसर के मामलों में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि दर्ज की गई है।
  • धूम्रपान, तंबाकू, शराब और जंक फूड का सेवन इसकी प्रमुख वजहों में शामिल है।
  • लगातार प्रदूषण और रसायनों के संपर्क से भी जोखिम बढ़ता है।
  • गले में गांठ, आवाज में बदलाव और जीभ पर ना भरने वाला घाव इसके संकेत हो सकते हैं।
  • मुख स्वच्छता और संतुलित आहार से इस रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है।
  • अगले 15 वर्षों में कैंसर के 21 लाख नए मामले सामने आने की आशंका है।
  • उचित आहार और पर्याप्त पानी का सेवन उपचार में सहायक माना जाता है।

गले में गांठ या सूजन बनने की समस्या को अक्सर सामान्य मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि यह एक गंभीर रोग का संकेत हो सकता है। गले का कैंसर एक ऐसा रोग है, जो किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन वर्तमान समय में युवाओं में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

क्यों बढ़ रहा है गले का कैंसर

बदली हुई जीवनशैली और खानपान की गलत आदतें युवाओं में इस रोग की संवेदनशीलता को बढ़ा रही हैं। तंबाकू, गुटखा और धूम्रपान जैसी आदतें गले और मुख के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव डालती हैं। लगभग अस्सी प्रतिशत मुंह के कैंसर तंबाकू सेवन की वजह से होते हैं, और यही स्थिति गले के कैंसर में भी देखी जाती है।

इसके अलावा, बढ़ते प्रदूषण और रसायनों के संपर्क में रहने वाले लोग भी जोखिम में आते हैं। बाहर का तला-भुना भोजन और मुख स्वच्छता में लापरवाही भी बीमारी के कारकों में शामिल है।

कैसे पहचानें

गले के कैंसर की पहचान शुरुआती स्तर पर हो जाए तो उपचार आसान हो सकता है। कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • गले में गांठ या सूजन महसूस होना
  • आवाज बैठ जाना या बोलने में बदलाव
  • जीभ पर लगी चोट का लंबे समय तक ना भरना
  • एक तरफ कान में दर्द या भारीपन का अनुभव

ऐसे लक्षण दिखने पर चिकित्सकीय जांच आवश्यक है।

बचाव के उपाय

स्वस्थ जीवनशैली अपनाना इस रोग से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। इसके लिए:

  • तंबाकू, गुटखा, शराब और धूम्रपान से दूर रहें।
  • प्रदूषित वातावरण और धुएं से यथासंभव दूर रहें।
  • मुख स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।
  • जंक फूड की जगह पौष्टिक और घर का बना भोजन अपनाएं।
  • रात में देर से भोजन न करें और तनाव कम करें।
  • नियमित व्यायाम करें।

आहार और उपचार

गले के कैंसर के उपचार में दवाइयों और कीमोथेरेपी के साथ-साथ पौष्टिक आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रोटीनयुक्त भोजन, हरी सब्जियां और ताजे फल लाभदायक होते हैं। पर्याप्त पानी पीना आवश्यक है। पैकेटबंद और तली चीजें शरीर में सूजन बढ़ाती हैं, इसलिए इन्हें छोड़ देना बेहतर है।

यह जानकारी केवल जागरूकता के उद्देश्य से है। स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।

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