
चंडीगढ़
नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय पंजाब चंडीगढ़ के द्वारा आज ऑफ़ फार्म सेक्टर विभाग की प्रथम सलाहकार कमेटी की बैठक का आयोजन किया गया जिसमें नाबार्ड के साथ काम कर रहे विभिन्न विभागों, संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया
कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत अर्पिता भट्टाचार्य डी.जी.एम. नाबार्ड ने विभिन्न विभागों से आये प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए कहा कि नाबार्ड पंजाब ऑफ फार्म सेक्टर गतिविधियों के तहत जिओग्राफिकल इंडिकेटर विषय पर प्रदेश में एक चर्चा की शुरुआत करने का प्रयास कर रहा है ताकि प्रदेश में इस विषय पर जागरूकता फैले और विभिन्न स्टेकहोल्डर्स साथ में मिलकर काम करें और एक दूसरे के कोआर्डिनेशन में काम करें।
श्री राजीव सिवाच , मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यलय पंजाब चंडीगढ़ ने अपने उद्भोधन में बताया कि नाबार्ड की प्राथमिकता खेती से बाहर ग्रामीण सेक्टर में काम कर रहे अन्य ग्रामीणों के लिए रोजगार की संभावनाओं को प्रबल बनाना है इसके लिए नाबार्ड वृहद् स्तर पर कार्ययोजना तैयार कर रहा है । करोना काल में शहरों से गाँवों की ओर बड़े स्तर पर पलायन हुआ है और वे गाँवों में नये रोजगारों का सृजन कर रहे हैं । ऐसी स्थिति में नाबार्ड रूरल इकोसिस्टम में काम कर रहे सभी स्टेकहोल्डर्स को एक मंच पर ला कर सलाहकार कमेटी के माध्यम से वैचारिक विमर्श करके एक सपोर्ट सिस्टम विकसित करना चाहता है ।
इसीलिये आज सलाहकार कमेटी की प्रथम बैठक में पंजाब राज्य में ज्योग्राफिकल इंडिकेटर के मार्फ़त गाँवों में काम कर रहे बुनकरों कारीगरों के हकों की रक्षा के लिए और नये ज्योग्राफिकल इंडिकेटर्स की पहचान की संभावनाओं की तलाश हेतु आज हम सभी यहाँ एकत्रित हुए हैं । मैं आशा करता हूँ कि आज की परिचर्चा से आप सभी की इस विषय पर जानकारी बढ़ेगी और आप उसका उपयोग अपनी कल्याणकारी योजनाओं में अच्छे तरीके से कर पाएंगे ।
श्री राजकिरण जौहरी सहायक महाप्रबंधक नाबार्ड ने सभी प्रतिभागियों को बताया कि नाबार्ड ऑफ फार्म सेक्टर में काफी लम्बे समय से कार्य कर रहा है पहले फ़ूडप्रोसेसिंग और स्किल डेवलपमेंट के विषय जैसे ब्यूटी पार्लर्स का प्रशिक्षण सिलाई कढाई आदि का प्रशिक्षण आदि का प्रावधान था लेकिन अब नाबार्ड ने इस सूची में अनेक नये विषय जैसे इलेक्ट्रीशियन का प्रशिक्षण आदि भी शामिल किया है। आज की कार्यशाला में आये सभी प्रतिभागियों को सलाहकार कमेटी की बैठक में आमंत्रित करके नये विचारों को ग्रहण करना और उन्हें समाज की भलाई में लागू करने का प्रयास करना ही मुख्य उद्देश्य है
पंजाब स्टेट कौंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी चंडीगढ़ की सहनिदेशक और हेड रिसर्च डॉ दीपिंदर कौर बख्शी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि कौंसिल सन 1998 से पेटेंट इनफार्मेशन सेंटर का सञ्चालन कर रहा है जिसका उद्देश्य पंजाब राज्य में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के बारे में जागरूकता का प्रचार प्रसार करना है ।
भारत ने WTO की सदस्यता ग्रहण करने के साथ साथ अन्तर्राष्ट्रीय संधियों के तहत अपने देश में विभिन्न कानूनी प्रावधानों की रचना की जिनमें से ज्योग्राफिकल इंडिकेटर भी एक एक है । सबसे पहली GI दार्जलिंग चाय के लिए दिया गया था और आज पूरे भारत में लगभग 370 GIs जारी किये जा चुके हैं जिसमें से पंजाब के लिए 2 जारी किये गये हैं और वे दो भी विभिन्न राज्यों के साथ सांझे हैं । उदहारण के तौर पर बासमती का जी आई पंजाब के साथ साथ 6 अन्य राज्यों के साथ कुल 30 जिलों के पास है । फुलकारी जो कि एक हेंडीक्राफ्ट है इसके GI में पंजाब के साथ साथ हरियाणा और राजस्थान के जिले भी शामिल किये गये हैं ।
कौंसिल ने अमृतसर के पापड़ वडीयों को GI रजिस्टर करने के लिए एकदम उपयुक्त माना है और इसके लिए काफी डॉक्यूमेंटेशन भी किया है। लेकिन GI रजिस्टर करने की प्रक्रिया और ऑब्जेक्शन्स को टैकल करने की प्रक्रिया काफी जटिल है और इसमें काफी समय भी लगता है ।
भारत सरकार ने नेशनल आई.पी.आर.पालिसी को इन्टरनेट पर उपलब्ध कराया हुआ है जहाँ से इस विषय पर भारत सरकार की सोच एवं गंभीरता का पता चलता है। इसके बाद पंजाब स्टेट कौंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी से आई मैडम दिव्या जी ने ज्योग्राफिकल इंडीकेटर्स से जुडी प्रक्रियाओं पर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन की जिसे सभी प्रतिभागियों ने काफी सराहा ।
इसी कार्यशाला में ऑनलाइन जुड़े बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन मोदीपुरम मेरठ के निदेशक डॉ डी.डी.के.शर्मा जी ने बासमती के जी आई लेने के अपने अनुभवों और इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से 1121 धान की किस्म के निर्यातकों को कानूनी नोटिस भेज कर बासमती उगाने वाले किसानों के हितों की रक्षा की जा रही है । इसीतरह से भारत के बाहर से दुनिया भर के बाजारों में बासमती के नाम से नकली चावल भेजने वालों और बेचने वालों पर भी कानूनी प्रावधानों के तहत कारवाईयाँ करके बासमती उगाने वाले किसानों के हितों को सुरक्षित रखा जा रहा है ।
बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन बासमती चावल की गुणवत्ता से जुडी सभी टेस्टिंग प्रणालियाँ एक ही छत के नीचे उपलब्ध करवाता है । जिससे बासमती बीजों की किस्मों का अनुसन्धान और विकास सतत रूप से चलता रहे और किसानों को समय पर अच्छी गुणवत्ता वाला बीज उपलब्ध रहे और बासमती की खेती से जुडी विधियाँ भी किसानों को आसानी से पता चलती रहें।
पंजाब कृषि विश्वविधालय के विस्तार विभाग से आये सहायक प्रोफेसर डॉ लवलीश गर्ग ने रूरल बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर और स्टार्टअप पंजाब की ओर से बताया कि लुधियाना में कृषि विश्वविधालय कैंपस में विचारों को नवाचारों में और फिर उन्हें एंटरप्राइज में बदलने के लिए इस सेंटर की शुरुआत की गयी है ताकि पूरे पंजाब से ऐसे नवाचारी सूझवान आविष्कारकों को ढूंढा जा सके और फिर उनके आइडियाज पर शोध करके वैज्ञानिकों की मदद से प्रोटोटाइप्स विकसित करने का कार्य किया जा रहा है। फिर आविष्कारक को कम्पनी बनाने और फिर अपना उद्योग लगाने के लिए आर्थिक सहायता देने और हैण्डहोल्डिंग सपोर्ट देने का भी प्रावधान रखा गया है।
हर वर्ष अप्रैल में नये विचारों की खोज के लिए आवेदन मांगे जाते हैं जिनकी सूचना प्रदेश के मुख्य अखबारों में , कृषि विश्वविधालय की मैगजीन में और वेबसाइट पर जारी की जाती है । एक दो महीनों में हमारी कमेटी आये हुए विचारों की छंटनी कर लेती है और फिर चुने गये विचारों को आगे बढाने पर काम किया जाता है। डॉ लवलीश गर्ग जी ने अपने साथ बैठक में मौजूद मैडम हरजोत गंभीर जी का परिचय करवाया जिनके विचार को उनके सेंटर ने विकसित किया था और आज डिलीशियस डिलाइट के नाम से एक बड़ा ब्रांड बाजार में खड़ा हो चुका है।
मैडम हरजोत गंभीर ने बताया कि उनकी बिटिया को बिस्किट से एलर्जी हुई तो उनका ध्यान ऐसे खाद्य पदर्थों की खोज की ओर मुडा जो केमिकल रहित हों लेकिन मार्किट में ऐसे विकल्प ही मौजूद नही थे । जब उन्होंने इस बाबत खोजबीन की तो मुझे मालूम चला की मार्केट में उपलब्ध बेकरी प्रोडक्ट्स के निर्माण में काफी मात्र में रसायनों का प्रयोग किया जाता है।
तब मैंने बिस्किट कूकीज आदि के निर्माण के लिए पंजाब कृषि विश्वविधालय की मदद ली और फिर मेरा विचार इसे रोजगार में बदलने का भी था और फिर मैंने रूरल बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर की तकनीकी मदद और आर्थिक ग्रांट की बदौलत आज एक केमिकल फ्री कूकीज निर्माण इकाई की स्थापना की और डिलीशियस डिलाइट के नाम से ब्रांड भी बनाया ।
अपने शुरूआती संघर्ष और अपनी लगन का जिक्र करते हुए उन्होंने बड़े उत्साह से बताया कि जब उन्होंने अपना काम शुरू किया ही था तो एक कॉर्पोरेट हाउस से एक आर्डर मिला लेकिन ठीक उसीसमय घर में बिटिया की शादी थी और मेहँदी की रस्म के बाद रात में सफ़र करके मीटिंग में पहुंची और आर्डर लिया और फिर वापिस आ कर घर में फंक्शन को ज्वाइन किया।
फिर जब आर्डर को प्रोसेस करने की बात आई तो उस दिन शनिवार और रविवार थे लेकिन पंजाब विश्वविधालय की प्रयोगशाला की मदद की आवश्यकता थी। विश्वविधालय ने छुट्टी होने के बावजूद भी अपने द्वार खोल दिए और पहले आर्डर को पूरा किया । मैडम हरजोत गंभीर जी के उत्साह और लगन को देख कर बैठक में मौजूद सभी प्रतिभागियों ने ताली बजा कर अपनी ख़ुशी का इजहार किया।
इसकेबाद मैडम अर्पिता भट्टाचार्य डी.जी.एम.नाबार्ड ने नाभा पटियाला से आये प्रोग्रेसिव एंटरप्रेन्योर श्री राजपाल माखनी जी का परिचय कराया और उन्हें अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया।
सरदार राजपाल माखनी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत में आज स्टैण्डर्डडाइजेशन की बहुत अधिक आवश्यकता है हमारे यहाँ बहुत कुछ नया बनाया जाता है लेकिन वो जुगाड़ ही बनकर रह जाता है और आर्गेनिक फार्मिंग के मसले में ज्यादातर किसान अधिक पैसे की चाहत में बिना सोचे समझे आगे बढ़ते चले जाते हैं और मॉलनरिश्ड फल को जैविक बता कर एक गलत दिशा में कदम बढा देते हैं जिससे पूरे सेक्टर का नुक्सान होता है।
दूसरे आजकल आई.टी. सेक्टर से कृषि कार्यो में आये हुए कुछ युवाओं ने इसे रोमेंटिसाइज़ किया हुआ है जिसमें पोपुलर मीडिया में नित ऐसी ख़बरें हमें पढने को मिलती हैं जिसमें एक एकड से लाखों रुपये कमाने की ख़बरें छपी होती हैं जिनमें ज्यादा सच्चाई तो नही होती है लेकिन एक्सपेरिमेंट करने के लिए अनेक लोगों को प्रेरित करती हैं और फिर बिना तकनीक और समझ के ऐसे ज्यादतर प्रयोग नुक्सान खा कर फेल हो जाते हैं ।
फिर सरदार राजपाल जी ने भारत में फैले व्यापक ट्रस्ट डेफिशियट का जिक्र किया जिसमें उदहारण देते हुए उन्हें बताया कि हरेक पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल भरवाते समय आपको जीरो देखने के लिए कहा जाता है इसके क्या मायने हैं आप इसका अंदाजा स्वयं लगा सकते हैं और इसका प्रभाव हमारे जीवन में होने वाले हरेक कार्य पर दिखाई दे सकता है।
मैं प्रोफेसर अनिल गुप्ता जो हनी बी नेटवर्क के फाउंडर हैं और जिन्होंने सृष्टी , ज्ञान और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है के साथ मिलकर पंजाब राज्य में ग्रास्र्रूट्स इन्नोवेटर्स के साथ मिलकर कार्य करता हूँ।
प्रोफेसर अनिल गुप्ता जी ने 1974 में हरियाणा कृषि विश्वविधालय से जेनेटिक्स विषय में मास्टर्स डिग्री करके पारम्परिक ज्ञान के अभिलेखन में कार्य शुरू किया और फिर ज्ञान धारकों और तृणमूल आविष्कारकों को आगे बढाने के लिए 1989 में हनीबी नेटवर्क और फिर 1992 में सृष्टि और 1997 में ज्ञान यानि ग्रासरूट्स इनोवेशन औग्मेंटेशन नेटवर्क की स्थापना की और फिर भारत सरकार ने वर्ष 2000 में इस कार्य से प्रेरणा लेकर राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान की स्थापना की ।
हनी बी नेटवर्क अपनी सहयोगी संस्थाओं और 77 देशों में फैले नेटवर्क के मार्फ़त अब तक लगभग दस लाख से अधिक आविष्कार और बेस्ट एक्साम्प्ल ऑफ़ ट्रेडिशनल नालेज डॉक्यूमेंट कर चुका है । आजकल हनी बी नेटवर्क ग्लोबल इनोवेशन फाउंडेशन को बनाने की तैयारी में जुटा है जिसके लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय कम्पीटीशन आयोजित कराया जा चुका है।
राजपाल जी का पूरा उद्बोधन नीचे दिए गये ऑडियो लिंक पर पूरा सुना जा सकता है।
कार्यशाला के समापन के अवसर पर नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यलाया के महाप्रबंधक श्री पी.के.भारद्वाज जी ने आये हुए सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया और कहा नाबार्ड अपने सभी सहयोगियों के साथ नवोदित विचारों पर मिलकर काम करने के लिए सैदेव तैयार है । सलाहकार कमेटी का गठन इसी उद्देश्य से किया गया है कि नाबार्ड को ऑफ फार्म सेक्टर में अपनी सेवाओं का विस्तार करने के लिए सभी सम्बंधित विभागों का सहयोग तो मिले ही और एक अभूतपूर्व समन्वय भी विकसित हो।
कार्यशाला में आये सभी सहयोगियों ने ज्योग्राफिकल इंडिकेटर की उपयोगिता और इसके प्रचार प्रसार की आवश्यकता के लिए सहमति दर्शाई और इतनी शानदार और ज्ञान से परिपूर्ण कार्यशाला आयोजित करने के लिए धन्यवाद दिया।