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चौंसठ कला सम्पूर्ण व्यक्तित्व कैसा होता है

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सनातन संस्कृति के साहित्य में चौंसठ कला सम्पूर्ण व्यक्तित्व का जिक्र आता है। भगवान श्रीकृष्ण को चौंसठ कला सम्पूर्ण व्यक्तित्व माना जाता है। लेकिन हमें यह कहीं नहीं बताया पढ़ाया जाता है कि वो चौंसठ कलाएं कौन सी हैं। मैंने साहित्य में थोड़ी शोध करके चौंसठ कलाओं कि सूची निकाली है जिसे आपकी जानकारी हेतु प्रस्तुत किया जा रहा है।

1:- इतिहास

2:- आगम

3:- काव्य

4:- अलंकार

5:- नाटक

6:- गायकत्व

7:- कवित्व

8:- कामशास्त्र

9:- दुरोदर (द्यूत)

10:- देशभाषालिपिज्ञान

11:- लिपिकर्प

12:- वाचन

13:- गणक

14:- व्यवहार

15:- स्वरशास्त्र

16:- शाकुन

17:- सामुद्रिक

18:- रत्नशास्त्र

19:- गज-अश्व-रथकौशल

20:- मल्लशास्त्र

21:- सूपकर्म (रसोई पकाना)

22:- भूरूहदोहद (बागवानी)

23:- गन्धवाद

24:- धातुवाद

25:- रससम्बन्धी खनिवाद

26:- बिलवाद

27:- अग्निसंस्तम्भ

28:- जलसंस्तम्भ

29:- वाच:स्तम्भन

30:- वय:स्तम्भन

31:- वशीकरण

32:- आकर्षण

33:- मोहन

34:- विद्वेषण

35:- उच्चाटन

36:- मारण

37:- कालवंचन

38:- स्वर्णकार

39:- परकायप्रवेश

40:- पादुका सिद्धि

41:- वाकसिद्धि

42:- गुटिकासिद्धि

43:- ऐन्द्रजालिक

44:- अंजन

45:- परदृष्टिवंचन

46:- स्वरवंचन

47:- मणि-मन्त्र औषधादिकी

48:- सिद्धि

49:- चौरकर्म

50:- चित्रक्रिया

51:- लोहक्रिया

52:- अश्मक्रिया

53:- मृत्क्रिया

54:- दारूक्रिया

55:- वेणुक्रिया

56:- चर्मक्रिया

57:- अम्बरक्रिया

58:- अदृश्यकरण

59:- दन्तिकरण

60:- मृगयाविधि

61:- वाणिज्य

62:- पाशुपाल्य

63:- कृषि

64:- आसवकर्म

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