पत्थरों की बरसात

kamal jeet

डॉ सुधीर कोहड़ा जी जो हमारे बैच के सुपर सीनियर थे कम से कम 6 साल आगे थे से हमारे बैच के बालकों से पक्की दोस्ती ऐसे अचानक से ही नही हो गयी थी इसके पीछे एक पत्थरों की बरसात वाली घटना घटी थी। डॉ सुधीर कोहड़ा जी का घर हिसार शहर में होने के बावजूद उन्होंने हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल होस्टल में एक कमरा लिया हुआ था जहां वो अपनी पढ़ाई के साथ साथ फूल पत्तियों से नेचुरल …

Read More

जीवन के कई सवाल और उनके जवाब

जीवन के कई सवाल ऐसे होते हैं जिनके हल किताबों में कभी नहीं मिलते हैं क्युरोसिटी के कीड़े बरसों बरस उन सालों पर एड़ी ठाये इंतज़ार करते रहते हैं कि कभी तो कोई महाबली गुणीजन ऐसा टकर जाएगा जो सवाल के साथ न्याय कर देगा साल 1992 में 10+1 का छात्र बनकर यूनिवर्सिटी कालेज रोहतक में पहुंचा और रोहतक जिले के देहात से आये बालकों से मेरा पहला सम्पर्क हुआ और मेरे तो सवाल बहुत रहते थे फिर भी मैं …

Read More

मनुस्मृति दहन दिवस की ऐतिहासिक प्रासंगिकता

25 दिसम्बर को मनुसमृति दहन दिवस भी देश में आजकल मनाया जाने लगा है और सोशल मीडिया के प्रचलन के साथ साथ यह भी कुछ लोगों के लिए पर्व के रूप में अब देखा जाने लगा है। मैं अठ्ठाईस तीस साल का हो गया था मैंने कभी मनुस्मृति का नाम तक नहीं सुना था जब कानून की पढ़ाई शुरू की तो जस्टिस मार्कंडेय काटजू का लिखा पेपर ANCIENT INDIAN JURISPRUDENCE पढ़ा तो श्रुति और स्मृति का कांसेप्ट पल्ले पड़ा और …

Read More

भगवान श्रीराम मंदिर जी के निर्माण में श्री के के मुहम्मद जी का योगदान

साल 1976-77 में डॉ ब्रज बसी लाल जी जो आर्कियो लॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया में बड़े पद पर थे ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर खुदाई प्रारंभ की।  उनकी टीम में कई युवा आर्कियोलोजी वाले थे जिनमें एक युवा श्रीमान के के मुहम्मद साहब भी थे जो उस खुदाई दल में एक मात्र मुस्लिम भी थे। के के मुहम्मद जिनको आज मैं सुन रहा था ने अपनी याद से बताया कि उस साल जैसे ही हम खुदाई वाले इलाके में …

Read More

श्रीमान वीरेंद्र गोयल जी द्वारा प्रदत जीवन सूत्र

श्रीमान वीरेंद्र गोयाल जी इंदौर में रहने वाले एक उद्योगपति हैं और इनका मूल निवास हरियाणा के हिसार जिले के गाँव तलवंडी रुक्का से है। ये लम्बे समय से इंदौर में रहते हैं और इनका कम्बल बनाने का कारखाना है। सोशल मीडिया के माध्यम से मेरा इनसे परिचय है। एक बार मैं इंदौर में इनके घर पर भी गया हूँ और जनक पलटा जी से मुझे इन्होने ही मिलवाया था। अच्छी गुणकारी बातों का संग्रह इनकी आदतों में शुमार है। …

Read More

न्याय कानून मर्यादा और हम

न्याय किसी भी सभ्यता की नींव होता है। भारत में जिस सभ्यता को फिलहाल हम जी रहे हैं उसमें बसने वाले बाशिंदों को जब जब न्याय की आवश्यकता पड़ती है तो वो अपनी जरूरत और हैसियत मुताबिक खरीद लाते हैं और अपना काम सा चला लेते हैं। पंचकुला कोर्ट में आज से दो बरस पूर्व दस रुपये के स्टाम्प की जगह अनउपलब्धता का बहाना बना कर सौ रुपये का स्टांप पेपर एक सौ तीस रुपये का मिलना एक रुटीन सी …

Read More

माँ बोली के मसले और समाधान

माँ बोली आजकल ऐसा शब्द है जिसको हथियार बना कर देश में जनता को काटने बाँटने का काम कई जगह चल रहा है। माँ बोली के पैरोकार राज्यों को ऐसा चाहते हैं कि उनमें बस वहीं के लोग आयें बसें और घिसियाँ करते रहे। किसी में आगे बढ़ने की इच्छा हो तो वो बस मन मार के अपने ही राज्य में जड़ा रहे। ऐसा करने के पीछे दर असल उनका लक्ष्य भारत के विराट स्वरूप को टुकड़े टुकड़े करके रखना …

Read More

रोजमर्रा के मसले और उनके संभावित समाधान

गणित में निल बटे सन्नाटा रहने के बावजूद मेरी इंजिनीयरिंग में रुचि बराबर बनी रही मैंने ऐसे दोस्त ढूंढ लिए जो दीवार की चिनाई करने से लेकर रेडियो स्टेशन को सूट केस में पैक करके कहीं भी ले जा कर उसे शुरू करने लायक बनाने में सक्षम थे। सांख्यिकी के पेपर में तीन नम्बर आये थे तो अध्यापक महोदय ने ने मेरी गैरत को जगाने के लिए क्लास के सामने ही मेरे से पूछा था कि इन तीन नम्बरों से …

Read More

शेरनी का दूध

शिक्षा कभी शेरनी का दूध हुआ करती थी। जब गुरुजनों से विद्या दान में मिला करती थी। जिसे पी कर जीव दहाड़ने लगता था लेकिन अब आजकल ये रींगता हुआ जमाना इस बात का गवाह है कि शिक्षा के नाम पे कुछ और ही महंगी पैकिंग में उपलब्ध कराया जा रहा है जिसे घप घप पीने वाले दिन रात झींगुरों की तरह अपनी अपनी जगह चिपके रींग रहे हैं। जिससे दिन दहाड़े भरी दोपहर में वातावरण में एक अनजान भय …

Read More

लाला जी का बदला

कल देर शाम अजय गोदारा भाई जी के साथ चाय पर बैठा था तो इन्होंने किसी रेफरेंस में एक किस्सा सुनाया ठेठ बागड़ी बोली में। एक बार की बात है एक लाला जी अपने पोते को लेकर शेव बनवाने के लिए इलाके के मशहूर नाई की दुकान पर गया तो वहाँ नाई देवता नदारद मिले वहाँ एक नया कारिंदा मिला। ऑप्शन कोई दूसरी नहीं थी सो कारिंदे के सामने गर्दन झुका कर बैठ गए और कारिंदे ने पहले जम कर …

Read More

Exit mobile version