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अनगिनत खुशियों का एंटरप्राइज

कई बार मुझे ऐसे लगता था कि भाई तूने इतने बखेड़े छेड़ रखें हैं जीवन में कुछ बखेड़े कम कर लेकिन ग्वाला सरकार मुझे एक ऐसे बड़े बखेड़े मैनेजमेंट के पास लेकर गए जहाँ धनी तो उस दिन दुबई गया हुआ था लेकिन मुझे आँखें खोल देने वाला अनुभव मिला और मैंने उसे नाम दिया अनगिनत खुशियों का एंटरप्राइज।

ग्वाला सरकार को कुछ फिजोयोथेरेपी का सेशन लेना था और मैं सुबह उनके पास गया हुआ था। पहले उन्होंने मैंने खुद से बनाई हुई हाऊ बिलाऊ की सब्जी खिलाई जिसमें न जाने क्या क्या सामान था मेरी पकड़ में एक बस बादाम का टुकडा आया इसके अलावा मैं कुछ पहचान नहीं सका।

फिर ग्वाला सरकार ने मुझे कहा कि चलो आज आपको एक ऐसे महाबली से मिलवाता हूँ जिनके दर्शन दुर्लभ होने के साथ साथ उनके काम भी दुर्लभ हैं।

थोड़ी देर में हम जीरकपुर अम्बाला हाईवे के नीचे पहुंचे और भीड़ भरी मार्किट में मुझे कुछ भी ख़ास नज़र नहीं आया। हम एक रेस्टोरेंट में बैठ गये जहाँ 99 रुपये में चार सब्जी वाले बुफे का बोर्ड लगा था और बहुत सारे लोग खाने में मंडे हुए थे।

तभी एक शख्स प्रकट हुए और ग्वाला सरकार का अभिवादन किया और हालचाल पूछा।

शख्स का व्यक्तित्व करिश्माई था ललाट पर चन्दन का तिलक और दोनों कानों पर भी तिलक पतला छरहरा बदन और कमीज पैंट के अंदर कसी हुई और मैंने एक नज़र में ही स्कैन करके हेलो के लिए हाथ आगे बढ़ा दिया।

उनके द्वारा मिलाये गए हाथ से मुझे मालूम चल गया कि ये कितनी जानकारी देंगे।

ग्वाला सरकार मिश्रा जी को मुझे इस स्थान के बारे में बारे में विस्तार से बताने का कह कर खुद फिजियोथेरेपी कराने चले गये।

मिश्रा जी ने मेरे पूछा क्या आप चाय पियेंगे मुझे सन 2001 में रोहतक गोहाना के बीच बसे माहरा गाँव के सरपंच चौधरी यादराम जी का बताया हौया सूत्र एक दम अच्छे से याद था कि किसी भी नयी जगह पर सामने से चाय का ऑफर आ जाए तो हर हाल में लपकना होता है इससे दो घड़ी मिल जाती हैं बात सुनने समझने को।

मैंने तुरंत कहा जरूर मिश्रा जी लेकिन आपके साथ।

उसके बाद मिश्रा जी ने रेस्तरां में किचेन एरिया की ओर देखा और उँगलियों से इशारा किया दो चाय और धीमे स्वर में आदेश भी दिया।

क्युरोसिटी के कीड़ों को ऐडी ठाय पांच मिनट आलरेडी हो चुके थे अब तो बस हो हल्ले को मैं भींचे बैठा था।

मिश्रा जी के चेहरे मोहरे को देख कर मैंने अंदाजा तो लगा ही लिया था कि पूर्वी उत्तर प्रदेश से हैं फिर भी मैंने बातचीत शुरू करने के लिए पूछ ही लिया मिश्रा जी आप कहाँ से हैं।

उन्होंने बताया कि हूँ तो मैं आजमगढ़ से लेकिन 46 वर्षों तक मुंबई में काम किये हैं अनेकों तरह के कामों का अनुभव है मुझे और पिछले कुछ वर्षों से मैं यहाँ वालिया जी के साथ हूँ और इस पूरे उपक्रम की जिम्मेदारी मेरे पास है।

वालिया जी जो उसवक्त दुबई में थे वोही इस काम्प्लेक्स के मुख्य कार्यकर्ता हैं।

बता आगे बढ़ी तो मिश्रा जी ने बताया कि हमारी कम्पनी में एक टॉप क्लास हेयर ड्रेसिंग सैलून, एक किरयाने की दूकान, एक मेडिसिन शॉप, एक जनरल हॉस्पिटल, आयुर्वेदिक हॉस्पिटल, पंचकर्म केंद्र फिजियोथेरेपी केंद्र, सॉफ्टवेर कंपनी और यह रेस्तरां जहाँ आप बैठे हैं इसके अलावा हम रियल एस्टेट में भी काम करते हैं और यह सारा काम एक ही कम्पनी में होता है और हमारे इस समूह में 170 के आसपास कर्मचारी हैं।

करोना काल में हमने एक भी स्टाफ की सैलरी कम नहीं की , किसी को निकाला नहीं और कोई आपने गाँव जा कर वापिस नहीं आया वो अलग बात है।

हमारे सभी स्टाफ ESI और PF में कवर्ड हैं साल में जब हम अपना सालाना फंक्शन करते हैं तो अच्छा परफॉर्म करने वाले कर्मचारियों को फ्लैट और गाड़ियाँ भी देते हैं।

मिश्रा जी ने आगे बताया कि हमारे सभी कार्य किराए के भवनों में चल रहे हैं मैं यहाँ सुबह साढे आठ बजे आकर बैठ जाता हूँ और मेरे जाने का कोई समय नहीं है।

हमने अपने कर्मचारियों की हाजिरी और रिपोर्टिंग ऑटोमेट की हुई है मुझे यहाँ बैठे बैठे रिपोर्ट मिलती रहती है कि कौन कितने बजे ड्यूटी पर पहुंचा और वो क्या करने लग रहा है।

मैंने 46 वर्षों में मुंबई में काम करके जो सीखा है उसे मैं यहाँ लागू करने का प्रयास कर रहा हूँ ताकि कार्य संस्कृति विकसित हो सके और लोग जीवन में अपने प्रति जवाबदेह बनना सीखें और आर्गेनाइजेशन की भी तरक्की हो।

मैंने बारी बारी मिश्रा जी से निवेदन करके सभी डिपार्टमेंटल हेडस को वहीँ बुलवाया और विस्तार से बातचीत की।

आई टी डिविजन के हेड से मुलाकात बेहद शानदार और अत्यंत मोटीवेटिंग रही।

सच में मैंने एक ही व्यक्ति को इतने सारे काम करते हुए एकसाथ नहीं देखा।

हालाँकि मैं उसदिन वालिया जी से मिल नहीं सका लेकिन उनका काम देख मैं मैं अत्यंत मोटिवेट हुआ और मुझे अपने बखेड़ों को न सिर्फ समेटने का कांफिडेंस मिला और नये पंगे छेड़ने का हौंसला भी मिला।

मैंने जो बात देखी और समझी उसका क्रक्स यह था कि एक घातक टीम बनाओ जो काबिल हो उसे आर्गेनाइजेशन की पॉवर से चलाओ और सरकार द्वारा ESI और PF के लाभ देकर उनकी समाजिक और आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करो।

बड़े दिनों बात कुछ ऐसा देखा जिसका असर और स्वाद जीवन भर कायम रहेगा।

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