एक सीधा सवाल देश के किसानों से

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खेत यात्रा सौजन्य से भाई अजय जांगड़ा जी कुरुक्षेत्र वाले

इस देश में आत्मविश्वाश और आत्म निर्भरता का रास्ता केवल और केवल और खेतों से जाता है।

हम जैसे नौकरी पेशा, बिना जमीन और बिना गाय वाले लोग संडे को सपरिवार खेतों में घूमने चले जाएं तो सड़कों और मॉल्स में से भीड़ छंट जाएगी और खेतों में रौनकें बढ़ेंगी।

वहां अपन को फुलस्टॉप लगा देना मांगता है क्योंकि सभ्यता का चरम है वो उससे आगे संस्कार और मर्यादायें और संस्कृति की दुनिया शुरू होती है।

फोटो लगभग तीन साल पुरानी है जब भाई Ajay Jangra जी कुरुक्षेत्र में जैविक खेतों की सैर कराने ले गए थे।

सवाल किसांनो से है कि तुम्हारे खेतों में बच्चों के लिए क्या है?

फलदार पेड़ हैं?
खुद के बनाये झूले पींगें हैं?
बकरी, मुर्गी, गाय के बछड़े हैं? खेलने के लिए
रेत में खेलने की जगह है
ट्यूब वेल्स हैं नहाने कूदने के लिए
किचन है खाना पकाने के लिए
बेंच कुर्सियां है?
खेत पर आए परिवारों को साथ में खरीद कर ले जाने के लिए क्या है?

नही है तो सोचो क्यों नही है?